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Karva Chauth 2019: करवाचौथ व्रत की कथा पढ़कर अपना व्रत बनाएं सफल, यहां पढ़ें इसकी पूरी कहानी

आज देशभर में करवाचौथ धूम-धाम से मनाई जा रही है. महिलाएं अपने सुहाग के लिए भूखें प्यासे व्रत रख रही है. हिंदू धर्म करवाचौथ का अत्याधिक महत्व है क्योंकि मान्यता है कि सुहागिन महिलाएं अगर ये व्रत रखती है तो उनके पति उम्र लंबी होती है और दांपत्य जीवन सुखी रहता है.

Updated on: 17 Oct 2019, 10:57 AM

नई दिल्ली:

आज देशभर में करवाचौथ धूम-धाम से मनाई जा रही है. महिलाएं अपने सुहाग के लिए भूखें प्यासे व्रत रख रही है. हिंदू धर्म करवाचौथ का अत्याधिक महत्व है क्योंकि मान्यता है कि सुहागिन महिलाएं अगर ये व्रत रखती है तो उनके पति उम्र लंबी होती है और दांपत्य जीवन सुखी रहता है. बता दें कि आज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है और रात में चांद देखने के बाद ही अपना व्रत तोड़ती है. मान्यता के अनुसार छलनी से चन्द्रमा को देखते हुए पति को देखना शुभ माना जाता है. इस व्रत में शिव पार्वती, कार्तिक और करवाचौथ माता का पूजन किया जाता है.

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करवाचौथ में जितना महत्व चांद का होता है उतनी ही इसकी कथा का भी, तो इस मौके पर हम आपको करवाचौथ की कथा बताने जा रहे हैं, जिसे पूजा के समय जरूर पढ़ें.

करवाचौथ की कथा

एक ब्राह्मण के सात पुत्र थे और वीरावती नाम की इकलौती पुत्री थी. सात भाइयों की अकेली बहन होने के कारण वीरावती सभी भाइयों की लाडली थी और उसे सभी भाई जान से बढ़कर प्रेम करते थे. कुछ समय बाद वीरावती का विवाह किसी ब्राह्मण युवक से हो गया. विवाह के बाद वीरावती मायके आई और फिर उसने अपनी भाभियों के साथ करवाचौथ का व्रत रखा लेकिन शाम होते-होते वह भूख से व्याकुल हो उठी.

सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है. लेकिन चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है.

वीरावती की ये हालत उसके भाइयों से देखी नहीं गई और फिर एक भाई ने पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है. दूर से देखने पर वह ऐसा लगा की चांद निकल आया है. फिर एक भाई ने आकर वीरावती को कहा कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो. बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखा और उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ गई.

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उसने जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डाला है तो उसे छींक आ गई. दूसरा टुकड़ा डाला तो उसमें बाल निकल आया. इसके बाद उसने जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिल गया.

उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ. करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं. एक बार इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवाचौथ के दिन धरती पर आईं और वीरावती उनके पास गई और अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की. देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवाचौथ का व्रत करने के लिए कहा. इस बार वीरावती पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत रखा. उसकी श्रद्धा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंनें वीरावती सदासुहागन का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया. इसके बाद से महिलाओं का करवाचौथ व्रत पर अटूट विश्वास होने लगा.

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करवा चौथ विशेष रूप से पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है लेकिन अब पूरे देश में इस पर्व को सुहागिन स्त्रियां बड़े हर्षोलास के साथ मनाती हैं, लेकिन समय के साथ इस त्यौहार को मनाने के तरीके में भी परिवतर्न आया है अब पत्नियों के साथ पति भी करवा चौथ का व्रत रखते हैं.