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Ganesh Visarjan 2019: आज अनंत चतुदर्शी के दिन इस शुभ मुहूर्त पर होगा बप्पा का विसर्जन, इन बातों का रखें खास ध्यान

बप्पा का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन करने की परंपरा है जो हर साल भादो माह शुक्‍ल पक्ष की चौदस यानी कि 14वें दिन मनाई जाती है. इस साल ये तिथि 12 सितंबर को पड़ रही है

Updated on: 12 Sep 2019, 09:26 AM

नई दिल्ली:

गणेश उत्सव को आज 10 दिन पूरे हो चुके हैं. ऐसें में आज यानी अनंत चतुर्दशी के मौके पर गुरुवार को बप्पा को विदाई जाएगी. लोग धूमधाम से गणपति का विसर्जन करेंगे. इस साल साल गणेश चतुर्थी 2 सितंबर को मनाई गई थी. इस दिन गणपति बप्पा लोगों के घरों में विराजमान हुए थे. इसके बाद 10 दिनों तक गणेशोत्सव मनाने के बाद आज बप्पा को विदाई दी जाएगी. हालांकि कुछ लोग गणेश चतुर्थी के दिन या उसके बाद वाले दिन भी भगवान गणेश का विसर्जन कर देते हैं जबकि कुछ लोग पूरे 10 दिनों तक गणेशोत्सव मनाते हैं.

बप्पा का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन करने की परंपरा है जो हर साल भादो माह शुक्‍ल पक्ष की चौदस यानी कि 14वें दिन मनाई जाती है. इस साल ये तिथि 12 सितंबर को पड़ रही है.

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गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त

गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त 12 सितंबर को सुबह 5 बजकर 6 मिनट से शुरू होगा 13 सितंबर को 7 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. वैसे तो देशभर में बप्पा को धूमधाम से विदाई दी जाती है लेकिन जिस महाराष्ट्र में इसका अंदाज बिल्कुल अलग होता है. हजारों की तादाद इकट्ठा होते है गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों के साथ नाचते-गाते और बप्पा की मस्ती में झूमते हुए गणपति को विदाई देते हैं.

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कैसे दी जाती है बप्पा को विदाई

गणेशोत्सव के 10 दिनों तक बप्पा की खूब सेवा की जाती है. श्रद्धा भाव से उनकी पूजा की जाती है. इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उन्हें विदाई दी जाती है. विदा करने से पहले गणेश जी को भोग लगाया जाता है और आरती की जाती है. इसके बाद लकड़ी का एक पटरा लिया जाता है जिसे गंगाजल से शुद्ध करते हैं. इसके बाद इस पर स्वास्तिक बनाकर पीला, गुलाबी या लाल कपड़ा बिछाया जाता है. इसके बाद पटरे को फूलों से सजाकर इसके हर कोने पर सुपारी रखी जाती है और गणेश जी को इस पर रखा जाता है. इसके बाद गणपति को फल, फूल, कपड़े और दक्षिणा चढ़ाए जाते हैं. इसके साथ पंचमेवा और चावल जैसी चीजों की पोटली भी रखी जाती है ताकि घर वापस लौटते वक्त बप्पा को कोई परेशानी न हो. इसके बाद विसर्जन से पहले उनकी दोबारा आरती की जाती है और फिर पूरे श्रद्धाभाव से उन्हें धीरे-धीरे विसर्जित किया जाता है.