Durga Ashtami 2019: मां महागौरी की ऐसे करें पूजा, दूर होंगे सारे कष्ट, जानें संध्या पूजन का शुभ मुहूर्त
मान्यता है कि इस दिन मां की पूजा विधि-विधान के साथ करने से सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है. इतना ही नहीं अगर किसी की शादी होने में भी कोई रुकावट आ रही है, तो इस दिन उन लोगों को जरूर मां महागौरी की पूजा करनी चाहिए
नई दिल्ली:
आज यानी 6 अक्टूबर को नवरात्रि का आंठवा दिन यानी अष्टमी है. इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है. दुर्गा मां के आंठवे स्वरूप देवी महागौरी को साबूदाना अर्पित किया जाता है. ये अन्न-धन को देने वाली हैं. वैसे इन्हें नारियल भी पसंद है. संतान सुख की प्राप्ति के लिए इन्हें नारियल का भोग लगाया जाता है.
मान्यता है कि इस दिन मां की पूजा विधि-विधान के साथ करने से सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है. इतना ही नहीं अगर किसी की शादी होने में भी कोई रुकावट आ रही है, तो इस दिन उन लोगों को जरूर मां महागौरी की पूजा करनी चाहिए. इस दिन मां की पूजा करते समय दुर्गासप्तशती के आठवें अध्याय का पाठ करने से मां प्रसन्न होती हैं.
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हिंदू धर्म का शास्त्र शिवपुराण के अनुसार माना जाता है कि जब मां केवल आठ बरस की थी तभी उन्हें पूर्व जन्म की घटनाओं का आभास हो गया था. इसलिए इसी उम्र में उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के घोर तपस्या शुरू कर दी थी.
ऐसा है मां का स्वरुप
शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि महागौरी को शिवा भी कहा जाता है. इनके हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है. अपने सांसारिक रूप में महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी और चतुर्भुजा हैं. ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं. इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत हैं. महागौरी की उपासना से पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं.
अष्टमी तिथि का शुभ मुहूर्त
दुर्गा अष्टमी का शुभ मुहूर्त 5 अक्टूबर सुबह 09:53 से शुरू हो गया है और 6 अक्टूबर को 10:56 बजेतक रहेगा. वहीं अष्टमी की संध्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 10:30 बजे से लेकर रात 11:18 बजे तक है.
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अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने का विधान भी है. वैसे कई लोग नवमी को भी कन्या पूजन करते हैं. दरअसल मार्केंडय पुराण के अनुसार सृष्टि सृजन में शक्ति रूपी नौ दुर्गा, व्यस्थापाक रूपी नौ ग्रह, चारों पुरुषार्थ दिलाने वाली नौ प्रकार की भक्ति ही संसार संचालन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं. आमतौर पर कन्या पूजन सप्तमी से ही शुरू हो जाता है. सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर पूजा जाता है.
कन्या पूजन विधि
कन्याओं का पूजन करते समय पहले उनके पैर धो कर पंचोपचार विधि से पूजन करें और बाद में भोजन कराएं और प्रदक्षिणा करते हुए यथा शक्ति वस्त्र, फल और दक्षिणा देकर विदा करें. इस तरह नवरात्रि पर्व पर कन्या का पूजन करके भक्त मां की कृपा पा सकते हैं.
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