Diwali 2019: जानिए कब है दिवाली और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त
इस दिन दिए जलाने का भी काफी महत्व होता है. यही कारण है कि इसे दीपों का पर्व कहा जाता है जो अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है
नई दिल्ली:
हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक दिवाली इस साल 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी. रौशनी के इस त्योहरा को भगवान राम की अयोध्या वापसी की खुशी में मनाया जाता है. मान्यता है कि भगवान राम इस दिन रावण पर विजय प्रप्त कर अयोध्या वापस लौटे थे और उनके स्वागत के लिए पूरे अयोध्या दिए जलाए गए थे. इसी दिन को दिवाली के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन दिए जलाने का भी काफी महत्व होता है. यही कारण है कि इसे दीपों का पर्व कहा जाता है जो अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है. दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने का भी काफी महत्व है.
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पूजा का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- शाम 6.43 से रात 815 तक
प्रदोष काल- शाम 5.41 से रात 8.15
वृषभ काल- शाम 6.43 से रात 8.39 तक
अमावस्य तिथि- 27 अक्टूबर दोपहर 12.23 से 28 अक्टूबर को सुबह 9.08 बजे तक
ऐसे करें पूजा की तैयारी
सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे. लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें. पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें. कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें. नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें. यह कलश वरुण का प्रतीक है.
-इसके बाद दो बड़े दीपक रखें. एक में घी भरें व दूसरे में तेल. एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में. इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें.
साथ ही मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं. कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं. गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं. ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं. नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं.
-इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी. सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें. छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें.
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थालियों की जानकारी
1. ग्यारह दीपक,
2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान,
3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक.
इन थालियों के सामने यजमान बैठे. आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें. कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे.
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