logo-image

Chhath 2019: आज छठ पूजा के दूसरे दिन मनाया जा रहा है खरना, बन रहा है शुभ संयोग, इस मुहूर्त पर करें पूजा

कई लोग गंगा के तट पर या जलाशयों के किनारे खरना करते हैं, वहीं कई लोग अपने घर में ही विधि-विधान से खरना करते हैं, खरना को कई क्षेत्रों में 'लोहड़ा' भी कहा जाता है.

Updated on: 01 Nov 2019, 10:14 AM

नई दिल्ली:

महापर्व छठ 31 अक्टबर से शुरू हो गया है. आज यानी 1 नवंबर को खरना मनाया जाता है. आज व्रती महिलाएं दिनभर उपवास रखेंगी और शाम को 'खरना' होगा। सूर्यास्त के बाद गुड़-दूध की खीर बनेगी और रोटी बनाकर प्रसाद स्वरूप भगवान सूर्य की पूजा करके उन्हें भोग लगाया जाएगा। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है.

कई लोग गंगा के तट पर या जलाशयों के किनारे खरना करते हैं, वहीं कई लोग अपने घर में ही विधि-विधान से खरना करते हैं, खरना को कई क्षेत्रों में 'लोहड़ा' भी कहा जाता है.

वहीं बताया जा रहा है कि इस साल खरना के दिन शुभ संयोग बन रहा है. दरअसल इस साल छठ पर रवि का शुभ य़ोग बना है जो नहाय खायसे शुरू हो कर खरना तक रहेगा. माना जाता है कि रवि योग से कई अशुभ योग दूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं रवि योग के दिन भगवान सूर्य देव की विशेष कृपा होती है और छठ में भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी उपसना की जाती है.

यह भी पढ़ें: आस्था के महापर्व छठ में ध्वस्त हो जाती हैं मजहब की दीवारें, मिटा देती हैं हर दूरियां

रवि योग मुहूर्त
01 नवंबर को रात 09:53 बजे से 02 नवंबर को सुबह 06:33 बजे तक.

व्रती महिलाएं न करें ये काम

छठ में साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाता है, इसलिए इस दिन व्रत करने वाले को साफ सुथरे और धुले कपड़े ही पहनने चाहिए. छठ पर्व के 4 दिन व्रत करने वाले किसी भी व्यक्ति को बिस्तर पर भी सोना नहीं चाहिए.

यह भी पढ़ें: Chhath Puja 2019: छठ पूजा में अर्घ्य देते समय इन बातों का रखें ख्‍याल, वर्ना नहीं मिलेगा व्रत का फल

कौन हैं छठ देवी और क्यों होती है पूजा?

मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं. उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना और उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर (तालाब) के किनारे यह पूजा की जाती है. षष्ठी मां यानी कि छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं. इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है और इसलिए छठ पूजा की जाती है.

छठी मैया से मिलते हैं सैकड़ों यज्ञों के फल

छठी मैया का पूजा करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है.
छठी मैया संतान की रक्षा करती हैं और उनके जीवन को खुशहाल रखती हैं.
छठी मैया की पूजा से सैकड़ों यज्ञों के फल की प्राप्ति होती है.
परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी छठी मैया का व्रत किया जाता है.
छठी मैया की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.