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Chaitra Navratri 2020: बुधवार को इस शुभ मुहूर्त पर करें कलश स्थापना, ये हैं अखंड जोत से जुड़े नियम

हिंदु धर्म में नवरात्रि का खास महत्व है. इस साल चेत्र नवरात्रि 25 मार्च यानी बुधवार से शुरू हो रही है.

Updated on: 24 Mar 2020, 09:50 AM

नई दिल्ली:

हिंदु धर्म में नवरात्रि का खास महत्व है. इस साल चेत्र नवरात्रि 25 मार्च यानी बुधवार से शुरू हो रही है. कोरोना वायरस के चलते इस साल लोग काफी परेशान है लेकिन उनकी आस्था में कोई कमी नजर नहीं आ रही है. इस साल भी लोग उसी श्रद्धा भाव से देवी मां की पूजा करेंगे जैसे हर साल करते हैं हालांकि बाजारों की रौनक थोड़ी फीकी नजर आएगी. आइए जानते हैं क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

शुभ मुहूर्त

प्रतिपदा तिथि- 24 मार्च दोपहर 2.57 से शुरू (लेकिन 25 मार्च से मानी जाएगी)
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 25 मार्च शाम 5 बजे
कलश स्थापना मुहूर्त- सुबह 6.19 से 07.17

पूजा विधि

सबसे पहले सुबह नहाकर मंदिर के पास ही पटले पर आसन बिछाएं और मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना करें.
माता को चुनरी चढ़ाएं और शुभ मुहूर्त के अनुसार कलश स्थापना करें.
सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लें और माता की पूजा आरंभ करें.
नवरात्रि ज्योति प्रज्वलित करें इससे घर और परिवार में शांति आती है और नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है.
माता को लैंग, पताशा, हरी इलायची और पान का भोग लगाएं.
भोग लगाने के बाद माता की 9 बार आरती करें.
हर मां का नाम स्मरण करते रहें.
अब व्रत का संकल्प लें.
महत्व

साल में चार बार नवरात्रि आती है. आषाढ़ और माघ में आने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्रि होते हैं जबकि चैत्र और अश्विन प्रगट नवरात्रि होते हैं. चैत्र के ये नवरात्र पहले प्रगट नवरात्रि होते हैं. चैत्र नवरात्र (Chaitra Navaratri) से हिन्‍दू वर्ष की शुरुआत होती है. वहीं शारदीय नवरात्र (Shardiya Navaratri) के दौरान दशहरा मनाया जाता है. बता दें, हिन्‍दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्‍व है. नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. मान्‍यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्‍चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्‍छाएं पूर्ण होती हैं.

नवरात्रि की अंखड ज्योति (Chaitra Navaratri Akhand Jyoti)

नवरात्रि की अखंज ज्योति का बहुत महत्व होता है. आपने देखा होगा मंदिरों और घरों में नवरात्रि के दौरान दिन रात जलने वाली ज्योति जलाई जाती है. माना जाता है हर पूजा दीपक के बिना अधूरी है और ये ज्योति ज्ञान, प्रकाश, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होती है.

अखंड ज्‍योति से जुड़े नियम (Akhand Jyoti Rules)

दीपक जलाने के लिए बड़े आकार का मिट्टी या पीतल का दीपक लें.
अखंड ज्‍योति का दीपक कभी खाली जमीन पर ना रखें.
इस दीपक को लकड़ी के पटरे या किसी चौकी पर रखें.
दीपक रखने से पहले उसमें रंगे हुए चावल डालें.
अखंड ज्‍योति की बाती रक्षा सूत्र से बनाई जाती है. इसके लिए सवा हाथ का रक्षा सूत्र लेकर उसे बाती की तरह बनाएं और फिर दीपक के बीचों-बीच रखें.
अब दीपक में घी डालें. अगर घी ना हो तो सरसों या तिल के तेल का इस्‍तेमाल भी कर सकते हैं.
मान्‍यता अनुसार अगर घी का दीपक जला रहे हैं तो उसे देवी मां के दाईं ओर रखना चाहिए.
दीपक जलाने से पहले गणेश भगवान, मां दुर्गा और भगवान शिव का ध्‍यान करें.
अगर किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए यह अखंड ज्‍योति जला रहे हैं तो पहले हाथ जोड़कर उस कामना को मन में दोहराएं.
अब दीपक के आस-पास कुछ लाल फूल भी रखें.
ध्‍यान रहे अखंड ज्‍योति व्रत समाप्‍ति तक बुझनी नहीं चाहिए. इसलिए बीच-बीच में घी या तेल डालते रहें और बाती भी ठीक करते रहें.