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59 साल बाद महाशिवरात्रि पर बना रहा है विशेष संयोग, 5 राशि वाले होंगे मालामाल

इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी को एक विशेष योग के साथ मनाया जाएगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस खास संयोग को शश योग कहा जाता है. इस दिन 5 ग्रहों की राशि पुनरावृत्ति होने के साथ शनि और चंद्र मकर राशि, बुध कुंभ राशि, गुरू धनु राशि और शुक्र मीन रा

Updated on: 18 Feb 2020, 10:18 AM

highlights

  • महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी को एक विशेष योग के साथ मनाया जाएगा
  • विशेष संयोग 59 साल पहले बना था
  • महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है

नई दिल्ली:

कहते हैं भगवान भोलेनाथ की लीला अपरंपार है वह अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते. वहीं महाशिवरात्रि के दिन जो भी भोलेनाथ की पूजा अर्चना विधि विधान के साथ करता है उसका जीवन सुखमय हो जाता है. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व की अलग ही मान्यता है. महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था.

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इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी को एक विशेष योग के साथ मनाया जाएगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस खास संयोग को शश योग कहा जाता है. इस दिन 5 ग्रहों की राशि पुनरावृत्ति होने के साथ शनि और चंद्र मकर राशि, बुध कुंभ राशि, गुरू धनु राशि और शुक्र मीन राशि में होंगे. यह दिन इन राशियों के जीवन में बड़ा बदलाव लाएगा.

बता दें ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा विशेष संयोग 59 साल पहले बना था. इससे पहले ग्रहों की स्थिति और ऐसा योग साल 1961 में बना था. इस दिन अलग विधि विधान के साथ दान किया जाता है. यह दिन साधना सिद्धी के लिए विशेष महत्व रखता है.

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आपको बताते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन किस प्रकार से सही मुहूर्त पर पूजा अर्चना करें. बता दें महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी शनिवार शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा.

पूजा करने की विधि
इस खास दिन पर सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं. उसके बाद भोलेनाथ को एक लोटे में जल और केसर डालकर 8 बार चढ़ाएं. पूरा दिन और रात घर से मंदिर में अखंड जोत जलाएं. भोलेनाथ को चंदन का तिलक लगाएं. तीन बेलपत्र, भांग धतूरे, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिठाई, मीठा पान, इत्र और दक्षिणा चढ़ाएं.

भोलेनाथ को केसर से बनी खीर का भोग लगाएं और प्रसाद बांटें. पूजा में सभी वस्तुएं चढ़ाते हुए ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें.