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बुद्ध पूर्णिमा 2017: बुद्ध को ज्ञान देने वाले वृक्ष से जानें क्यों सम्राट अशोक की पत्नी करती थीं ईर्ष्या?

गौतम बुद्ध ने पटना से 100 किलोमीटर दूर बोधि वृक्ष के नीचे तपस्या की थी और यहीं पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

Updated on: 10 May 2017, 04:01 PM

नई दिल्ली:

पूरा देश बुधवार को बुद्ध पूर्णिमा मना रहा है। इस दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। बौद्ध धर्म के संस्थापक बुद्ध ने जिस पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था, वह बिहार के बोध गया में है। ऐसा कहा जाता है कि यह वृक्ष आज भी वहां मौजूद है और पूरी तरह से स्वस्थ है।

गौतम बुद्ध ने पटना से 100 किलोमीटर दूर बोधि वृक्ष के नीचे तपस्या की थी और यहीं पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसी के बाद गौतम बुद्ध भगवान कहलाए।

बुद्ध ने पांच साल की तपस्या

करीब 2630 ईसा पूर्व राजकुमार सिद्धार्थ ने अपना परिवार त्याग दिया था। वह ज्ञान की खोज पर निकले और बोधगया पहुंच गए। यहां उन्होंने पीपल के पेड़ के नीचे पांच साल तक तपस्या की।

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चीनी यात्री ने दिया महाबोधि मंदिर का नाम

इसके बाद भगवान बुद्ध ने दुनिया को शांति और अंहिसा का पाठ पढ़ाया। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा संस्मरण में बोधगया में स्थित प्रसिद्ध बोध मंदिर को महाबोधि मंदिर का नाम दिया।

सम्राट अशोक की पत्नी ने कटवा दिया था पेड़

वहीं सम्राट अशोक की बोधि वृक्ष के प्रति गहरी आस्था थी। इसी वजह से नाराज होकर उनकी पत्नी ने पेड़ कटवा दिया और बाद बंगाल के एक शासक ने पेड़ जलवा दिया।

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क्या अभी भी मौजूद है पेड़?

इतिहासकारों की मानें तो जिस पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध बैठते थे, वहां अभी भी एक पेड़ है, जो चौथी पीढ़ी का है। हाल ही में उसकी वैज्ञानिक जांच भी हुई थी, जिसमें पाया गया कि पवित्र वृक्ष पूर्ण रूप से स्वस्थ है। महाबोधि वृक्ष को देखने के लिए हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक बोधगया आते हैं।

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