Bakrid 2018: नमाज अदा कर मनाई जा रही है बकरीद, इसलिए दी जाती है बकरे की कुर्बानी
बकरीद का त्योहार बुधवार को धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान ईदगाह और मस्जिदों में ईद की नमाज अदा की गई।
नई दिल्ली:
बकरीद का त्योहार बुधवार को धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान ईदगाह और मस्जिदों में अकीदत के साथ ईद की नमाज अदा की गई। यह मुस्लिम समुदाय का बेहद खास पर्व है। इसे हजरत इब्राहिम के अल्लाह के प्रति अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है।
दिल्ली के जामा मस्जिद में बकरीद पर लोगों ने नमाज अदा की।
Delhi: People offer prayers at Jama Masjid on #EidAlAdha pic.twitter.com/MvDRKtvJsd
— ANI (@ANI) August 22, 2018
मध्य प्रदेश में बकरीद की नमाज अदा करते लोग।
Madhya Pradesh: People offer prayers at Idgah ground in Bhopal on #EidAlAdha pic.twitter.com/lWlTN1S4IU
— ANI (@ANI) August 22, 2018
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आगरा में मनाई गई बकरीद
ईद-उल-जुहा या ईद-उल-अजहा के पावन पर्व को देखते हुए आगरा की शाही जामा मस्जिद और ईदगाह सहित शहर भर की मस्जिदों पर सुरक्षा व्यवस्था और साफ-सफाई के पुख्ता इंतजामात किए गए।
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने दी बधाई
भारत सरकार के पूर्व मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने बिहार के सुपौल की बड़ी मस्जिद में बकरीद पर नमाज अदा की। साथ ही मुल्क की तरक्करी और अमन-चैन के लिए अल्लाह से दुआ मांगी। उन्होंने देशभर के लोगों को मुबारकबाद भी दी।
बाढ़ पीड़ितों के लिए मांगी दुआ
भोपाल में भाईचारे के साथ बकरीद का पर्व मनाया गया। खास बात यह रही कि यहां पर केरल में बाढ़ पीड़ितों के लिए भी दुआ मांगी गई।
क्यों बनाई जाती है बकरीद
इस्लाम के मुताबिक, हजरत इब्राहिम की परीक्षा के लिए अल्लाह ने उन्हें अपनी सबसे लोकप्रिय चीज की कुर्बानी देने का हुक्म दिया था। हजरत इब्राहिम को उनका बेटा सबसे प्रिय था, इसलिए उन्होंने उसकी बलि देना स्वीकार किया।
कुर्बानी देते हुए उन्होंने अपनी आंखों पर काली पट्टी बांध ली थी, जिससे कि उनकी भावनाएं सामने न आ सकें। जब उन्होंने पट्टी हटाई तो अपने पुत्र को जिंदा खड़ा हुआ देखा। सामने कटा हुआ दुम्बा (सउदी में पाया जाने वाला भेड़ जैसा जानवर) पड़ा हुआ था, तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा है।
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सज गया बकरों का बाजार
इसी प्रथा को निभाते हुए बकरीद के दिन जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। इस त्योहार से पहले देशभर के बाजारों में बकरे के बाजार सजाए जाते हैं। हालांकि, नवजात बकरे की कुर्बानी नहीं दी जाती है, बकरे को डेढ़-दो साल का होना जरूरी होता है।
बकरीद मनाने के लिए लोग कम से कम 2 या 3 दिन पहले बकरे या ऊंट को पालते हैं। फिर बकरीद वाले दिन उसका बलिदान करते हैं।
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तीन हिस्सों में बांटा जाता है गोश्त
इसका गोश्त तीन बराबर हिस्सों में बांटा जाता है। एक हिस्सा गरीबों के लिए, एक हिस्सा रिश्तेदारों और मिलने-जुलने वालों के लिए और एक हिस्सा अपने लिए होता है।
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