logo-image

राजस्थान में स्वाइन फ्लू ने पसारे पैर, 27 दिन में 1856 पॉजिटिव केस और 72 मौत

प्रदेश में ठंड बढ़ने के साथ ही स्वाइन फ्लू के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. पिछले 27 दिनों की बात करें तो इस बीमारी से अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है.

Updated on: 28 Jan 2019, 03:50 PM

नई दिल्ली:

प्रदेश में ठंड बढ़ने के साथ ही स्वाइन फ्लू के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. पिछले 27 दिनों की बात करें तो इस बीमारी से अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 1856 पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं. चिकित्सा विभाग स्वाइन फ्लू को रोकने के लिए विशेष अभियान भी चला रहा है. फिलहाल स्वाइन फ्लू मामले में स्वास्थ्य विभाग की सारी कोशिशें नाकाम साबित होती दिखाई दे रही हैं.

स्वाइन फ्लू के कहर का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि हर दिन दो मौत के मामले सामने आ रहे हैं, स्वाइन फ्लू ने इस बार पिछले तीन साल का रिकॉर्ड तोड़ा है. जनवरी की बात करें तो पिछले 3 साल में अब तक सबसे अधिक मामले स्वाइन फ्लू के दर्ज किए गए हैं.लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी मामले में स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सतर्क रहने को कहा है. डॉक्टरों के मुताबिक अगर स्वाइन फ्लू के लक्षण किसी में नजर आते हैं तो उसे डॉक्टर का परामर्श लेना चाहिए. मामले को लेकर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने भी क्रॉस चेकिंग के निर्देश जारी किए हैं. सघन अभियान शुरू करने और 10 लाख टेमुफ्लू टेबलेट के आर्डर दिए हैं.

जिसके तहत जिन इलाकों में स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं. उसके आसपास के 50 घरों में क्रॉस चेकिंग कार्यक्रम चलाया जा रहा है. क्रॉस चेकिंग की एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी और हर दिन चिकित्सा मंत्री इस रिपोर्ट की जानकारी चिकित्सा अधिकारियों के माध्यम से ले रहे हैं. ऐसे लोग जो वृद्ध ,गृभवती महिलाएं, अस्थमा और डायबिटीज के रोगी हैं उनके लिए विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है.

और पढ़ें: राजस्थान में स्वाइन फ्लू का कहर, अबतक 72 की मौत, 1856 लोग पीड़ित

प्रदेशभर में मौत बनकर उभर रहे स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए चिकित्सा विभाग अब डबल-एक्शन मोड में आ गया है. एक तरफ जहां लोगों को बीमारी के प्रति जागरुक करने के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश में एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके पीछे की वजह पता करने के लिए रिसर्च पर काम शुरू कर दिया है.

प्रदेश में स्वाइन फ़्लू के बदलते प्रकोप में चिकित्सा विभाग की चिंता बढ़ा दी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर चिकित्सा मंत्री डॅा रघु शर्मा तक स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए मॉनिटरिंग कर रहे है.

जयपुर से लेकर संभाग मुख्यालय से वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम फील्ड में जाकर यह पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि आखिर एकाएक स्वाइन फ्लू के मामले क्यों बढ़ रहे है. क्योंकि पिछले सालों में जब एकाएक केस बढ़े तो रिसर्च में पता चला कि वायरस के केलिफोर्निया से मिशिगन स्ट्रेन में बदलाव के चलते ऐसी भयावह स्थिति देखने को मिल रही है.

इन पुराने अनुभवों को देखते हुए एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॅा सुधीर भण्डारी के निर्देश पर माइक्रोबाइलॉजी डिपार्टमेंट ने रेण्डल सैम्पल अलग करना शुरू कर दिया है. इन सैम्पलों को जल्द भी पूना स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वाइरोलॉजी में भेजा जाएगा.

देशभर में स्वाइन फ्लू की स्थिति-

महाराष्ट्र- इस साल अब तक 2554 पॉजिटिव, 428 लोगों की जान जा चुकी है.

राजस्थान- इस साल में 2375 पॉजिटिव वहीं दिसम्बर 2018 तक 221 लोगों की जान जा चुकी है. जनवरी में अब तक 1856 पॉजिटिव 72 मौत हो चुकी है.

गुजरात- इस साल अब तक 2053 पॉजिटिव, 88 लोगों की मौत.

इस साल के जनवरी की भयावह तस्वीर-

अब तक 1856 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं और 72 मौत हो चुकी है. स्वाइन फ्लू से एक दिन में दो लोगों की जान जा रही है. राजस्थान में स्वाइन फ्लू का सर्वाधिक प्रभावित जिला जोधपुर, जयपुर समेत अन्य जगहों पर घर-घर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.

स्वाइन फ्लू के ये लक्षण, तत्काल करें चिकित्सक से सम्पर्क

- तीन से चार दिन तक खांसी, जुखाम, बुखार

- सांस लेने में कठिनाई

- उल्टी, दस्त, पेटदर्द

- बलगम में रक्त आना

- नाखूनों में नीलापन

एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन एक तरफ जहां स्वाइन फ्लू के स्टेन में बदलाव की जांच के लिए सैम्पल पूना भेज रहा है. वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर यह भी शोध जारी है कि मौजूदा टेमी फ्लू का असर कम तो नहीं हो रहा है. चिकित्सकों का दावा है कि मौजूद टेमी फ्लू पूरी तरह कारगर है. बशर्ते मरीज समय पर जांच कराकर दवा का सेवन शुरू कर दें. इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग ने खुद की वेबसाइट के जरिए जागरूकता की पहल भी शुरू कर दी है.

हालांकि स्वाइन फ्लू को लेकर सियासत भी हो रही बीजेपी का आरोप है जब कांग्रेस विपक्ष में थी तो हाय तौबा करती थी. वहीं बीजेपी के बयान पर पलटवार करते हुए मुख्य सचेतक कांग्रेस महेश जोशी ने कहा भाजपा को ख़ुद के गिरेबान में झांकना चाहिए.

और पढ़ें: बुखार के साथ अगर है, ये लक्षण तो हो सकता है स्वाइन फ्लू

स्वाइन फ्लू ही नहीं, पिछले एक साल में दूसरी बीमारियों में भी राजस्थान देशभर में 'गढ़' के रूप में सामने आ रहा है. जीका के कहर ने पूरे विश्व में जयपुर की छवि खराब की. 159 केस जीका के सामने आए, इसके साथ ही स्क्रबटाइफस से 32 लोगों की मौत हुई, जबकि 1908 मरीज पॉजिटिव आए. डेंगू से 10 की मौत हुई और 9254 मरीजों को बीमारी का दंश झेलना पड़ा. मलेरिया के 5380 केस, चिकिनगुनिया के 235 केस सामने आए.

स्वाइन फ्लू के वायरस को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पूरी ताकत फील्ड में झोक दी है. हालांकि, अभी इसके सकारात्मक परिणाम आने शेष है, लेकिन ये तभी संभव होगा, जब विभाग के साथ-साथ आमजन भी जागरूक हो.

चिकित्सकों की माने तो अगर स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखते ही उपचार लेना शुरू किया जाए, तो निश्चित तौर पर स्वाइन फ्लू से होने वाली मौतों पर लगाम कसी जा सकती है, मगर फिलहाल तो हालात बेकाबू हो रहे हैं.