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लव जिहाद मामले में HC ने पूछा- राजस्थान में धर्म परिवर्तन के क्या हैं कानून

राजस्थान हाई कोर्ट ने एक महिला को कथित तौर पर जबरन मुसलमान बनाने और उससे शादी करने के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस की खिंचाई की है। इसके साथ ही राज्य सरकार से धर्म परिवर्तन से संबंधित नियम और कानून की जानकारी भी मांगी है।

Updated on: 02 Nov 2017, 08:40 AM

नई दिल्ली:

राजस्थान हाई कोर्ट ने एक महिला को कथित तौर पर जबरन मुसलमान बनाने और उससे शादी करने के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस की खिंचाई की है। इसके साथ ही राज्य सरकार से धर्म परिवर्तन से संबंधित नियम और कानून की जानकारी भी मांगी है।

महिला के परिवार वालों ने धर्म परिवर्तन कर शादी करने को ‘लव जिहाद’का मामला करार दिया था, जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पुलिस को एफआईआर दायर कर इस मामले में रिपोर्ट देने के भी आदेश दिये हैं।

जस्टिस जी के व्यास और जस्टिस एम के गर्ग की पीठ ने पुलिस के ढुलमुल रवैये पर नाराज़गी भी जाहिर की है। पुलिस पर आरोप है कि उसने परिवार की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया था।

अदालत ने पूछा कि पुलिस कैसे मान सकती है कि ‘सिर्फ दस रुपये के स्टांप पेपर पर हलफनामा देने से’ लड़की का धर्म परिवर्तन कानूनी तौर पर जायज है, जबकि कानून में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है।

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कोर्ट ने कहा, ‘इस तरीके से कल मैं खुद को गोपाल मोहम्मद बता सकता हूं।’

महिला के भाई ने अपनी याचिका में दावा किया है कि फैज मोदी लंबे समय से उसकी बहन परेशान करते था और जब वह कॉलेज जा रही थी तो उसने उसका अपहरण कर लिया था।

भाई का कहना है कि उससे जबरदस्ती कागज पर हस्ताक्षर करवाया गया और एक फर्जी शादी के कागज़ात तैयार किये गए।

उसने बताया कि जब परिवार वालों ने पुलिस से सहायता मांगी तो पुलिस ने ये कहकर एफआईआर दजर्ज करने से इनकार कर दिया कि फैज़ मोदी ने इस संबंध में ककागजात दिखाए हैं। उसके पास 14 अप्रैल को हुए धर्म परिवर्तन का हलफनामा और शादी के कागज़ात हैं।

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उसने आरोप लगाए कि आरोपी ने आपत्तिजनक तस्वीरों के माध्यम से उसे ब्लैकमेल करके इस्लाम में धर्म परिवर्तन करने और उससे शादी करने का दबाव बनाया।

याचिकाकर्ता के वकील गोकुलेश बोहरा ने कहा कि लड़की 25 अक्तूबर तक अपने परिवार के साथ थी जबकि दस्तावेज छह महीने पुराने हैं।

उन्होंने दावा किया कि यह ‘लव जिहाद’ का स्पष्ट मामला है और इस तरह के मामलों की जांच में पुलिस का रवैया ढीला होने के कारण इस तरह के आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।

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