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राजस्थान: अशोक गहलोत सरकार ने सभी सरकारी दस्तावेजों से पंडित दीनदयाल उपाध्याय की फोटो हटाने का आदेश किया जारी

अतिरिक्त मुख्य सचिव रवि शंकर श्रीवास्तव की ओर से जारी इस आदेश के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल की 29 दिसम्बर को हुई बैठक में किये गये फैसले के अनुसार यह कदम उठाया गया है.

Updated on: 03 Jan 2019, 07:46 AM

नई दिल्ली:

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने बुधवार को सभी सरकारी दस्तावेजों से पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर हटाने का आदेश जारी किया है. राज्य के मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग ने इस आशय का आदेश जारी किया है. अतिरिक्त मुख्य सचिव रवि शंकर श्रीवास्तव की ओर से जारी इस आदेश के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल की 29 दिसम्बर को हुई बैठक में किये गये फैसले के अनुसार यह कदम उठाया गया है. इसके तहत राज्य के समस्त राजकीय विभागों, निगमों,बोर्ड एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं के लेटर पैड पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर का लोगो के रूप में प्रयोग/मुद्रण करने के संबंध में 11 दिसंबर, 2017 को जारी परिपत्र को वापस लिया जाता है.

बता दें कि दीन दयाल उपाध्याय RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के विचारक थे. वसुंधरा राजे की पिछली सरकार ने सभी सरकारी लेटरपैड और दस्तावेजों पर उपाध्याय की फोटो लगाने का फ़ैसला लागू किया था.

गौरतलब है कि इससे पहले मध्यप्रदेश में मंगलवार देर रात हर माह की एक तारीख को मंत्रालय में वंदे मातरम गायन की अनिवार्यता को ख़त्म कर दिया था. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बयान में कहा है कि हर माह की एक तारीख को मंत्रालय में वंदे मातरम गायन की अनिवार्यता को फिलहाल अभी रोक कर नए रूप में लागू करने का निर्णय लिया गया है.

उन्होंने कहा, 'यह निर्णय न किसी एजेंडे के तहत लिया गया है और न ही हमारा वंदे मातरम गायन को लेकर कोई विरोध है. वंदे मातरम हमारे दिल की गहराइयों में बसा है. हम भी समय-समय पर इसे गाते हैं.

कमलनाथ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हमारा यह भी मानना है कि सिर्फ एक दिन वंदे मातरम गाने से किसी की देशभक्ति या राष्ट्रीयता परिलिक्षित नहीं होती. देशभक्ति व राष्ट्रीयता को सिर्फ एक दिन वंदे मातरम गायन से जोड़ना गलत है.

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भाजपा के आरोपों पर कमलनाथ ने सवाल किया है कि जो लोग वंदे मातरम नहीं गाते तो क्या वे देशभक्त नहीं हैं? राष्ट्रीयता या देशभक्ति का जुड़ाव दिल से होता है. इसे प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है.