logo-image

राजस्थान सरकार का पहला अध्यादेश, सांसद और विधायक रह सकेंगे सहकारी समितियों के अध्यक्ष

राजस्थान में अब फिर से विधायक, सांसद, प्रधान सरपंच, नगर पालिका निकाय अध्यक्ष भी सहकारी समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर बने रह सकते हैं.

Updated on: 27 Dec 2018, 05:04 PM

जयपुर:

राजस्थान की नई कांग्रेस सरकार ने पहला अध्यादेश जारी किया है, जिसमें विधायक, सांसद, नगर पालिका अध्यक्ष, निकाय अध्यक्ष और सहकारी समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को लाभ दिया गया है. राजस्थान में अब विधायक, सांसद, प्रधान सरपंच, नगर पालिका निकाय अध्यक्ष भी सहकारी समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर बने रह सकते हैं. इस अध्यादेश को राज्यपाल कल्याण सिंह की मंजूरी मिलने के बाद जारी कर दिया गया है.

इस अध्यादेश के जरिए राज्य सरकार ने 2013 के कानून की बहाली कर दी है. उल्लेखनीय है कि बीजेपी सरकार के समय 2016 में सहकारी समितियां अधिनियम में संशोधन के जरिए कुछ प्रावधानों को खत्म कर दिया गया था. उस दौरान सांसद, विधायक, प्रधान, उप-प्रधान, सरपंच, नगर पालिका निकाय के अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद उस व्यक्ति को अगले 14 दिन के भीतर सहकारी समिति अध्यक्ष उपाध्यक्ष पद छोड़ना जरूरी होता था.

मतलब ऐसे व्यक्तियों को दोनों में से कोई एक पद पर रहना जरूरी था और एक पद छोड़ना जरूरी था. अब इस अध्यादेश के बाद बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इस अध्यादेश ने राजनीति में आने वाली नई पीढ़ी को रोकने का काम किया है. इससे सरकार राज्य में भ्रष्टाचार का दरवाजा खोल रही है.

और पढ़ें : राजस्थान: मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा, CM गहलोत के पास वित्त-गृह, पायलट को PWD का जिम्मा

वहीं कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रघु शर्मा का कहना है बीजेपी विपक्ष का धर्म निभाए, हमें क्या करना है क्या नहीं यह नहीं समझाए. अगर बीजेपी की नीतियां अच्छी होती तो जनता क्यों उनको चुनाव हराती.

बता दें कि कांग्रेस सरकार का पहला अध्यादेश ही पूर्ववत बीजेपी सरकार के कानून को बदल रहा है. इससे साफ है कि आगे भी कांग्रेस बीजेपी सरकार की योजनाओं और अध्यादेश पर कैंची चलाने की तैयारी में है.