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राजस्थान: मंत्रियों के बीच विभाग का बंटवारा, CM गहलोत के पास वित्त और गृह, पायलट को PWD का जिम्मा

राजस्थान में कांग्रेस के नेतृत्व में अशोक गहलोत की सरकार बनने के बाद मंत्रीमंडल में शामिल नए मंत्रियों के बीच भी विभागों का बंटवारा कर दिया गया है.

Updated on: 27 Dec 2018, 09:05 AM

नई दिल्ली:

राजस्थान में कांग्रेस के नेतृत्व में अशोक गहलोत की सरकार बनने के बाद मंत्रीमंडल में शामिल नए मंत्रियों के बीच भी विभागों का बंटवारा कर दिया गया है. देर रात के बाद विभाग को लेकर सहमति बन पाई जिसके बाद सीएम गहलोत ने गृह और वित्त मंत्रालय जैसे 9 अहम विभाग अपने पास रखा है जबकि डिप्टी सीएम सचिन पायलट को लोक निर्माण, पंचायती राज, ग्रामीण विकास और विज्ञान तकनीक समेत पांच मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई है. 3 दिन पहले 24 दिसंबर को राजस्थान की नई सरकार के पहले कैबिनेट विस्तार में 13 कैबिनेट मंत्री और 10 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली थी. गौरतलब है कि अशोक गहलोत ने 17 दिसंबर को दूसरी पर बार सीएम पद की शपथ ली थी.

राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनने के बाद 23 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी और ऐसी रिपोर्ट सामने आ रही थी कि अच्छे मंत्रालय देने के लिए गहलोत और पायलट दोनों के करीबी मंत्री अपनी लॉबिंग में लगे हुए थे. यही वजह है कि मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद भी विभागों का बंटवारा करने में करीब-करीब 3 दिन लग गए.

जिन मंत्रियों के बीच मंत्रालयों का हुआ बंटवारा

बुलाकी दास कल्ला- उर्जा, जन स्वास्थ्य, भूजल, कला साहित्य समेत चार विभाग का प्रमुख बनाया गया है.

प्रताप सिंह खाचरियावास - परिवहन और सैनिक कल्याण विभाग

शांति धारीवाल - स्वायत्त शासन, नगरीय विकास और आवासन, विधि और विधिक कार्य

रघु शर्मा - चिकित्सा और स्वास्थ्य, आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा, ईएसआई, सूचना और जन संपर्क

परसादी लाल - उद्योग और राजकीय उपक्रम

मास्टर भंवरलाल - उद्योग और राजकीय उपक्रम

लालचंद भंवरलाल - सामाजिक न्याय और अधिकारिता, आपदा प्रबंधन

प्रमोद जैन भाया - खान और गोपालन

विश्वेंद्र सिंह - पर्यटन और देवस्थान विभाग

हरीश चौधरी - राजस्व, उपनिवेश

रमेश चंद मीणा - खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग

उदयलाल आंजना - सहकारिता और इंदिरा गांधी नहर परियोजना

सालेह मोहम्मद - अल्पसंख्यक, वक्फ

गौरतलब है कि सरकार बनने के बाद विभाग के बंटवारा को लेकर भी जयपुर में कांग्रेस कार्यालय में खूब ड्रामा हुआ. मंत्रालयों के चयन को लेकर गहलोत और पायलट दोनों गुट काफी सक्रिय दिखे लेकिन मामला तब सुलझा जब इसे दिल्ली दरबार यानि की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांघी के पास लाया गया.