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राजस्थान : झंडा चूमने के लिए उमड़ा सैलाब, शुरू हुआ गरीब नवाज का 807 वां उर्स

भीलवाड़ा शहर में मोहम्मद गौरी के परिवार ने ख्वाजा साहब की दरगाह स्थित ऐतिहासिक बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म को अदा किया.

Updated on: 04 Mar 2019, 12:20 AM

नई दिल्ली:

राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में ख्वाजा गरीब नवाज का सलाना 807 वे उर्स की अनौपचारिक शुरुआत रविवार को झंडे की रस्म के साथ शुरू हो गई. भीलवाड़ा शहर में मोहम्मद गौरी के परिवार ने ख्वाजा साहब की दरगाह स्थित ऐतिहासिक बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म को अदा किया. वहीं गरीब नवाज के उर्स की विधिवत शुरुआत रजब का चांद दिखाई देने के बाद से शुरू हो जायगी. झंडे का जुलुस असर की नमाज के बाद गरीब नवाज गेस्ट हाउस से रवाना हुआ जिसमें शाही चोकी के कव्वाल असरार हुसैन कव्वालियों व बैंड बाजो के जुलूस के साथ लंगरखाना गली, निजाम गेट होते हुए जुलूस दरगाह के मुख्य द्वार निजाम गेट से अंदर प्रवेश किया.

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इस रस्म के दौरान अकीदतमंदों में एक अजीब सी होड़ मच गई और अपनी मन्नत को लेकर हर कोई झंडे को चूमने की खाव्हिस पूरी करता नजर आया. भीलवाड़ा से आये गौरी परिवार के अनुसार यह परम्परा काफी अरसे से चली आ रही है. 1928 से फखरुद्दीन गौरी के पीरो मुर्शिद अब्दुल सत्तार बादशाह झंडे की रस्म अदा करते थे. इसके बाद 1944 से उनके दादा लाल मोहम्मद गौरी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई. उनके इंतकाल के बाद 1991 से पुत्र मोईनुद्दीन गौरी यह रस्म निभाने लगे और वर्ष 2007 से फखरुद्दीन इस रस्म को अदा कर रहे है. बताया जाता है की वर्षों पहले झंडे की रस्म शुरू हुई तब बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया झंडा आस-पास के गांवों तक नजर आता था. उस वक्त मकान  छोटे- छोटे और बुलंद दरवाजा काफी दूर से नजर आता था.

इस दरवाजे पर झंडा देखकर ही लोग समझ जाते थे की पांच दिन बाद गरीब नवाज का उर्स शुरू होने वाला है. यह संदेश एक से दूसरे तक दूर- दूर तक पहुंच जाता था.  वहीं वर्षों पुरानी इसी रस्म को निभाते हुए आज गरीब नवाज की दरगाह के बुलन्द दरवाजे पर भीलवाड़ा के गौरी परिवार ने झंडा चढ़ाकर उर्स की अनोपचारिक शुरुआत की. झंडे की रस्म में हजारों की संख्या में जायरीनों की भीड़ उमड़ी दिखी.