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राजस्थान: सत्ता में आते ही एक्शन में गहलोत सरकार, सरकारी लेटरपेड से हटेगी पंडित दीनदयाल की फोटो

सरकारी दस्तावेजों व लेटर पैड पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की फोटो और लोगो हटाने का आदेश राज्य सरकार ने जारी कर दिया है.

Updated on: 04 Jan 2019, 11:09 AM

जयपुर:

राजस्थान में सत्ता संभालते ही कांग्रेस एक्शन मोड पर आ गई है. कांग्रेस सरकार पूर्व भाजपा सरकार के निर्णयों और योजनाओं को बदल रही है. मगर भाजपा को पंडित दीनदयाल का फ़ोटो हटाना नागवार गुजरा. इस मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है. देवनानी ने कांग्रेस के इस निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.

दीनदयाल की फोटो को हटाने को लेकर कैबिनेट मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र में ऐसी घटनाएं कभी देखी नहीं कि सरकारी लेटर पैड पर किसी पार्टी विशेष राजनेता की फोटो बीच में आ जाए और अशोक स्तंभ कोने में चला जाए. हमारी सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के इस निर्णय को समाप्त कर दिया. तुरंत प्रभाव से जो पहले की तरह सरकारी कामकाज होता था, लेटर पैड पर उसमें हमारा अशोक स्तंभ बीच में रहेगा. किसी नेता का जनप्रतिनिधि का उल्लेख नहीं होगा, उस लेटर हेड पर पहले दीनदयाल जी को उन्होंने बीच में किया था और अशोक स्तंभ को साइड में किया था.

सरकारी दस्तावेजों व लेटर पैड पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की फोटो और लोगो हटाने का आदेश राज्य सरकार ने जारी कर दिया है. गहलोत कैबिनेट की पहली बैठक में इस बारे में निर्णय लिया गया था. अब मुद्रण व लेखन सामग्री विभाग ने पिछली सरकार के 11 दिसंबर 2017 के उस आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें उपाध्याय जी की फोटो और लोगो लगाने को कहा गया था.

पिछली सरकार में 11 दिसंबर 2017 को यह नीतिगत निर्णय लिया गया था कि सरकारी लेटर पैड और सरकारी दस्तावेजों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के लोगो का उपयोग अशोक चिन्ह के साथ किया जाए. इस निर्णय के तहत सरकारी दस्तावेजों और सरकारी लेटर पैड पर इसका उपयोग होने लगा था. गहलोत कैबिनेट ने अपनी पहली बैठक में ही इस बारे में नीतिगत निर्णय लिया कि यह लोगो हटाया जाएगा. इसे सरकार ने सरकारी लोकाचार के नीतिगत मानदंडों के खिलाफ बताते हुए यह निर्णय लिया गया.

खास तौर पर अशोक चिन्ह के साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय का लोगो लगाने को लेकर आपत्ति थी. वसुंधरा राजे सरकार में भी कांग्रेस जब विपक्ष में थी, तब उसने बार-बार यह मुद्दा उठाया था. अब सत्ता में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय का लोगो सरकारी लेटर पैड और सरकारी दस्तावेजों से हटाने का निर्णय लिया और अब इसके बारे में मुद्रण व लेखन सामग्री विभाग ने
आदेश जारी कर दिया. यह आदेश सरकारी विभागों के साथ-साथ निगम बोर्ड कॉरपोरेशंस और अन्य स्वायत्तशासी निकायों पर लागू रहेगा.