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राजस्थान: एनएचएम में एक बड़े भर्ती घोटाले का पर्दाफाश, BJP ने CBI जांच की मांग की

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यूपी से लेकर राजस्थान तक में भष्ट्रचार के आरोपों की वजह से कई बार सुर्खियों में रहा है. वहीं अब राजस्थान में एमएचएम का नया कारनामा सामने आया है.

Updated on: 22 Jun 2019, 04:52 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यूपी से लेकर राजस्थान तक में भष्ट्रचार के आरोपों की वजह से कई बार सुर्खियों में रहा है. वहीं अब राजस्थान में एमएचएम का नया कारनामा सामने आया है. दरअसल, बिना राज्य सरकार की इजाजत और जानकारी दिए ही एनएचएम के महाप्रबंधक समित शर्मा ने 2500 कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर की भर्ती निकाल दी. इन पदों के लिए 30 हजार आवेदन आए थे और इसके लिए आज ही ऑनलाइन परीक्षा भी होनी थी.

इस भर्ती घोटाले का भांडा तब फूटा जब इस पद पर चयन की सिफारिश के लिए अभ्यार्थी विधायकों और मंत्रियों के चक्कर काटने लगे. कई उम्मीदवार जब सिफारिश के लिए स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा को सिफारिश के लिए फोन कॉल्स आने लगें, तब वो इस मामले से अवगत हुए. इस पूरी घटना की जानकारी लेने के लिए उन्होंने विभाग के मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह से पूछाताछ की, जिसे सुनकर वो भी चौंक गए.

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ये पूरा मामला सामने आने के बाद रोहित कुमार सिंह ने जांच कराई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए. इस पद पर नियुक्ति के नाम पर डेढ़-डेढ लाख की वसूली करने और बदले में प्रश्न पत्र देने की योजना का घोटाला सामने आया है.

स्वास्थ्य महकने ने स्वास्थ्य महकमे की एचआर सेल और आरोपी वरिष्ठ सहायक अशोक भंडारी को संस्पेंड कर दिया साथ ही परीक्षा रद्द कर दी. राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि ये गंभीर मामला है , जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

बीजेपी ने इसे महाघोटाला करार दिया और सीबीआई से जांच की मांग की. इसके साथ ही बीजेपी ने स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफे की भी मांग की है. बीजेपी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इस घोटाले पर वो सरकार को छोड़ेंगे नहीं, विधासनभा के आगामी सत्र में गहलोत सरकार को घेरेंगे कि आखिर चिकित्सा मंत्री की नाक के नीचे कैसे इतना बड़ा भर्ती घोटाला कैसे हुआ.

इसके साथ बी बीजेपी ने कहा कि मंत्री इस घोटाले की जिम्मेदारी लें. वहीं पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सर्राफ ने चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि नैतिक रुप से अब उन्हें पद पर बने रहने का हक नहीं.

नियमानुसार एनएचएम को राज्य सरकार से भर्ती से पहले अनुमति लेनी चाहिए थी, लेकिन इजाजत तो दूर सूचना तक नहीं दी गई. एनएचएम में कम्यूनिटी हेल्थ स्कीम में फंड का चालीस फीसदी पैसा राज्य सरकार और 60 फीसदी केंद्र सरकार वहन करती है.लेकिन एनएचएम को राज्य सरकार की मंजूरी के बिना फैसले का हक नहीं. एनएचएम के एमडी शर्मा पर लग रहे आरोपों पर जबाब के लिए उनके दफ्तर पहुंचे तो वे खुद को कैमरे पर आने को तैयार नहीं.

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एनएचएम के एमडी  डॉ समित शर्मा ने ही गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में मुफ्त दवा योजना लांच की थी, ब्रांडेड की जगह जेनरिक दवा अस्पतालों में अनिवार्य की थी. इससे सीनियर आईएएएस समित शर्मा की  तारीफ देश ही नहीं दुनियाभर में होने लेगी थी.

आमिर खान ने प्रसिद्ध टीवी शो सत्मेमेव जय़ते के एक एपिसोड में समिति शर्मा की इस उपलब्धि को दिखाया था. अब वही समित शर्मा नजरें चुरा रहे हैं अपने ही दफ्तर में अपनी इस करतूत से. लेकिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में ये पहला घोटाला नहीं है इससे पहले पिछली वसुंधराराजे सरकार में भमशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में भी एनएचएम के अफसरों ने अस्पतालों के साथ मिलकर घोटाला किया था. बिना इलाज और ऑपरेशन के मरीजों के नाम पर बीमा कंपनी से अस्पतालों को करोड़ों  रुपए मुफ्त में दिलवा दिए थे.