Jaipur Rural Result Live Updates: राज्यवर्धन राठौर 89403 वोटों से जीते
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए राजस्थान की सबसे VIP सीटों में से एक जयपुर ग्रामीण सीट है. जयपुर ग्रामीण सीट पर लड़ाई दो खिलाड़ियों के बीच है. बीजेपी की तरफ से राज्यवर्धन सिंह राठौर (Rajyavardhan singh rathore) चुनावी मैदान में हैं तो वहीं कांग्रेस की तरफ से कृष्णा पूनिया (krishna poonia) उम्मीद्वार हैं.
जयपुर:
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए राजस्थान की सबसे VIP सीटों में से एक जयपुर ग्रामीण सीट है. जयपुर ग्रामीण सीट पर लड़ाई दो खिलाड़ियों के बीच है. बीजेपी की तरफ से राज्यवर्धन सिंह राठौर (Rajyavardhan singh rathore) चुनावी मैदान में हैं तो वहीं कांग्रेस की तरफ से कृष्णा पूनिया (krishna poonia) उम्मीद्वार हैं.
कृष्णा हरियाणा के हिसार की रहने वाली हैं. सन् 2000 में इनकी शादी राजस्थान के चुरू जिले के गागर्वास के रहने वाले वीरेंद्र सिंह पूनिया से हुई. कृष्णा के पति भारतीय रेलवे में हैं और कृष्णा खुद एक डिस्क थ्रोअर हैं. कृष्णा पहली भारतीय महिला डिस्क थ्रोअर हैं जिन्हें राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक मिला हो.
वहीं बीजेपी उम्मीद्वार कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर मैदान में हैं. राजनिति में आने से पहले राठौर एक पेशेवर शूटर थे. उन्होंने 2004 में हुए ओलंपिक खेलों में डबल ट्रैप ईवेंट में रजत पदक जीता था. एकदशक से भी अधिक करियर में राज्यवर्धन सिंह ने सिंह राठौड़ ने राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में कई पदक जीत कर भारत का नाम रोशन किया.
राज्यवर्धन को 2005 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. सेना और शूटिंग से उनकी सेवानिवृत्ति के बाद वह 2014 में बीजेपी सांसद बने. 2017 में उन्हें मोदी सरकार में फिर से कैबिनेट मंत्री बनाया गया. उन्हें युवा मामलों और खेल मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया. बीजेपी ने जयपुर ग्रामीण सीट के लिए राज्यवर्धन सिंह राठौर पर भरोसा जताया है लेकिन जनता ने किस पर भरोसा जताया है यह आज पता चलेगा.
जयपुर रूरल से बीजेपी के राज्यवर्धन सिंह ने कृष्णा पूनिया को तीन लाख 89403 वोटों से हराया.
अब तक मिले रुझानों के मुताबिक एनडीए को 342 सीटें, यूपीए को 86 सीटें, सपा-बसपा गठबंधन को 20 और अन्य को 91 सीटों पर बढ़त हासिल है. इस हिसाब से पीएम मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बन सकते हैं.
एक राउंड की गणना में लगता है इतना समय
प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र के लिए एक साथ 14 ईवीएम की गिनती एक साथ होती है. अमूमन हर दौर में 30 से 45 मिनट का समय लगता है. मतगणना टेबल के चारों ओर पार्टियों या उम्मीदवारों के एजेंट पैनी निगाह रखे रहते हैं. उनके लिए भी मतगणना अधिकारी तय फार्म 17 सी का अंतिम हिस्सा भरवाते हैं. फॉर्म 17 सी का पहला हिस्सा मतदान के पोलिंग एजेंट की मौजूदगी और दस्तखत के साथ पोलिंग प्रक्रिया शुरू करते समय भरा जाता है. मतगणना के समय आखिरी हिस्सा भरा जाता है.
गिनती शुरू करने की क्या है नियमावली
पोस्टल बैलेट बाद इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफरेबल पोस्टल बैलेट (ETPBS) भी अगर आए हों तो उनकी गिनती होती है. इन पर QR कोड होता है. उसके जरिए गिनती होती है. आयोग की नियमावली के मुताबिक पोस्टल बैलेट और ईटीपीबीएस की गिनती पूरी होने के आधा घंटा बाद ईवीएम में दिए गए मतों की गिनती शुरू होती है. इसके लिए हरेक विधान सभा इलाके के हिसाब से सेंटर में 14 टेबल लगाए जाते हैं.
7:45 बजे से शुरू होगी काउंटिंग
सुबह 7:45 से मतों की गणनाशुरू हो जाती है. सरकारी ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों द्वारा पोस्टल बैलेट के जरिए डाले गए वोटों की गिनती पहले होती है. सेना के कर्मचारियों को भी पोस्टल बैलेट से मतदान का अधिकार है. पोस्टल बैलेट के लिए चार टेबल तय होते हैं. सभी राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों के नुमाइंदे इस गणना के गवाह होते हैं. हरेक टेबल पर मतगणना कर्मचारी को हरेक राउंड के लिए पांच सौ से ज्यादा बैलेट पेपर नहीं दिए जाते हैं.
ये करते हैं वोटों की गिनती
Counting से पहले किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को यह नहीं बताया जाता है कि उसे किस सेंटर पर भेजा जाएगा. काउंटिंग के दिन इन कर्मचारियों को सुबह 5 बजे काउंटिंग टेबल पर बैठना होता है. हर काउंटिंग टेबल पर काउंटिंग सुपरवाइजर, असिस्टेंट व माइक्रो पर्यवेक्षक होता है. इसके बाद इनके टेबल पर बैलेट यूनिट रखी जाती हैं. टेबल के चारों ओर जाली की घेराबंदी भी की जाती है.
मतगणना में सरकारी विभागों में कार्यरत केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारी शामिल होते हैं. इन्हें एक हफ्ते पहले काउंटिंग सेंटर पर ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग में जिला निर्वाचन अधिकारी और चुनाव से संबंधित जिले के वे अधिकारी शामिल होते हैं जिनकी ड्यूटी चुनाव में लगी है. काउंटिंग से एक दिन पहले ट्रेंनिंग देने बाद उन्हें संबंधित संसदीय क्षेत्र में 24 घंटे के लिए भेज जाता है.
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