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Lok Sabha Election 2019 : राजस्थान की पूर्व राजकुमारी दिया कुमारी के खिलाफ राजसमंद के राजपूत ने खोला मोर्चा

राजपूतों ने मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास का दिया हवाला, हल्दीघाटी का इतिहास है सबसे बड़ा वजह

Updated on: 25 Mar 2019, 09:48 AM

राजसमंद:

लोकसभा चुनाव में टिकट के फेर में फंसी जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य दीया कुमारी की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही है. पूर्व राज कुमारी का नाम मेवाड़ की राजसमंद सीट से जबरदस्त चर्चा में है. वहीं अतीत के पन्नों में छिपा इतिहास दीया कुमारी के आड़े आने की कोशिश में जुट गया है. मेवाड़ के इतिहास का हवाला देकर यहां के राजपूत अब खुलेआम दीया कुमारी के टिकट का विरोध करने में लामबंद हो गए हैं. कहते हैं कि अतीत का अध्याय किन्हीं किताबी पन्नों में नहीं छिपाया जा सकता है और न ही भविष्य की बुनियाद में इसे रौंदा जा सकता है. जब इतिहास एक बार फिर वर्तमान की ओर रुख करता है तो कहीं न कहीं टकराव की स्थिति जरूर उत्पन्न होती है.

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ऐसी बानगी देखने को मिल रही है राजस्थान की हॉट सीट बनी राजसमंद लोकसभा सीट पर. जहां भारतीय जनता पार्टी की ओर से जयपुर राजघराने की पूर्व राजकुमारी दिया कुमारी का नाम जोरदार चर्चा में चल रहा है. दीया कुमारी का नाम भाजपा प्रत्याक्षी के तौर पर आने के साथ ही अब मेवाड़ के राजपूत इतिहास के झरोखों के माध्यम से दीया कुमारी के टिकट पर राजनीतिक पेंच फंसाते नजर आ रहे हैं. राजपूत समाज के इन प्रतिनिधियों का कहना है कि राजसमंद सीट मेवाड़ संभाग की सीट में से एक है. ऐसे में इस सीट से सिर्फ मेवाड़ से जुड़े किसी भी राजपूत को ही टिकट दिया जाना चाहिए. इसके अलावा अगर किसी बाहरी राजपूत को अगर यहां से टिकट दिया गया तो इसका खामियाजा उन्हें लोकसभा चुनाव में जरूर भुगतना पड़ेगा.

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दरअसल क्षत्रिय महासभा से जुड़े इन राजपूत समाज के प्रतिनिधियों की दलील है कि जब 1576 में हल्दीघाटी का युद्ध हुआ था तब जयपुर राजघराने के महाराजाओं ने मुगल सम्राट अकबर का साथ दिया था. यही वजह रही है कि अब दीया कुमारी के टिकट को लेकर यहां के राजपूत लामबंद होते हुए नजर आ रहे हैं.
सवाईमाधोपुर से विधायक रही जयपुर के पूर्व राजघराने की बेटी दीया कुमारी की प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से अदावत कम नहीं है. जेसे ही दीया कुमारी का नाम राजसमन्द सीट से सामने आये वेसे ही सियासी पंडित दीया कुमारी को राजसमन्द की भावी सासंद के रूप में देखने लगे हैं. यही नहीं मेवाड़ के कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया भी अब परदे के पीछे दीया कुमारी के टिकट के लिए पैंतेरेबाज़ी कर रहे हैं, लेकिन अब दीया कुमारी के आड़े मेवाड़ का गौरवशाली इतिहास सामने आ रहा है.

मेवाड़ के राजपूत समाज के लोगों ने दीया कुमारी के टिकट मिलने से पहले ही विरोधस्वरूप अपना मोर्चा खोल दिया है. मेवाड़ के राजपूतों ने राजसमन्द सीट को लेकर स्थानीय राजपूत को टिकट देने के लिए लामबंदी शुरू कर दी है, लेकिन फिर भी भाजपा हाईकमान इस विरोध के बावजूद लोकसभा चुनाव में दीया कुमारी को अपना प्रत्याक्षी बनाती है तो हल्दीघाटी का इतिहास दीया कुमारी के लिए मुश्किलें जरूर पैदा कर सकता है.