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मध्‍य प्रदेश व छत्‍तीसगढ़ की सरकारों ने कर दी कर्जमाफी, जानें क्‍यों पिछड़ गई राजस्‍थान की अशोक गहलोत सरकार

आखिर कौन सी मजबूरी है जो राजस्‍थान सरकार को कर्जमाफी को मंजूरी देने में इतना समय जाया करना पड़ रहा है.

Updated on: 19 Dec 2018, 11:05 AM

नई दिल्ली:

विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने जोर-शोर से कर्जमाफी की वकालत की थी और दावा किया था कि सरकार बनने के 10 दिनों के भीतर कर्जमाफी कर दी जाएगी. मध्‍य प्रदेश  में शपथ ग्रहण के तुरंत बाद ही मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने कर्जमाफी की फाइल को मंजूरी दे दी. छत्‍तीसगढ़ में भी भूपेश बघेल ने सरकार बनने के कुछ घंटों में ही इस पर अपनी मुहर लगा दी. दोनों सरकारों ने इस कदम को इस तरह पेश किया कि उन्‍होंने राहुल गांधी के वादों को सरकार बनते ही मंजूरी दे दी. चौंकाने वाली बात यह है कि राजस्‍थान सरकार अब तक कर्जमाफी के सवाल पर अपनी चुप्‍पी साधे है. आखिर कौन सी मजबूरी है जो राजस्‍थान सरकार को कर्जमाफी को मंजूरी देने में इतना समय जाया करना पड़ रहा है.

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एक अनुमान के मुताबिक राजस्थान के करीब 59 लाख किसानों पर 99 हजार करोड़ का बैंकों का कर्ज है. सरकार बने दो दिन बीत चुके हैं और सरकार इस मसले पर अभी चुप है. हालांकि जैसा कि राहुल गांधी ने वादा किया था कि सरकार बनने के 10 दिनों के भीतर कर्जमाफी की जाएगी, उस लिहाज से अभी 8 दिन शेष हैं. माना जा रहा है कि सरकार बनने के तुरंत बाद मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने अफसरों के साथ माथापच्‍ची की, फिर भी अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है. सरकारी सूत्र बताते हैं कि राजस्थान सरकार के पास बजट का अभाव है. मौजूदा बजट में राजस्‍थान सरकार के उधार लेने की सीमा 28,000 करोड़ रुपये हैं, जबकि पूर्व की वसुंधरा सरकार अब तक 24,557 हजार करोड़ रुपये उधार ले चुकी है. लिहाजा सरकार कर्जमाफी के लिए धन का जुगाड़ नहीं कर पा रही है. इसके लिए बजट कहां से लाए जाएं, यह बड़ा सिरदर्द बना हुआ है.

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59 लाख से अधिक किसान कर्जदार
प्रदेश में करीब 59 लाख किसान कर्जदार हैं. अब सरकार बनने के बाद सरकार अपना वादा पूरा करती है तो इन किसानों को कर्ज माफा करने के लिए 99 हजार करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी. निवर्तमान सरकार ने मात्र साढ़े आठ हजार करोड़ माफ करने के लिए पांच हजार करोड़ को कर्ज एनसीडीसी (नेशनल कोऑपरेटिव डवलपमेंट कॉर्पोरेशन) से लिया था. राजस्थान सरकार ने पहली बार किसानों का कर्ज माफ वर्ष 2008 में किया था. पचास हजार रुपए तक के लोन माफ करने के लिए सरकार के पास बजट नहीं था. सरकार ने इसके लिए अपेक्स बैंक को मात्र दो हजार करोड़ रुपए देने का प्रावधान किया था. बाकी रकम के लिए के लिए बैंक ने सरकार की गारंटी पर एनसीडीसी से लोन लिया था. दावा है कि अभी तक करीब साढ़े सात हजार करोड़ रुपए माफ किए हैं. सरकार के इस फैसले के समय से ही कांग्रेस ने इसे नाकाफी बताया था.

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अब तक कोई फैसला नहीं
सरकार इस पर विचार कर रही है कि छोटे किसानों के लघु अवधि के लिए गए कृषि ऋण को माफ किया जाए या फसल उत्पादन पर लिया गया ऋण ही माफ हो. सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि 2 लाख रुपये तक के कृषि कर्ज माफ कर दिए जाएं. इसके अलावा दो एकड़ से कम जमीन वाले किसानों की ऋण माफी की जाए. हालांकि अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है.

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