राजस्थान में किसानों की कर्जमाफी के नाम पर करोड़ों के घोटाले का खुलासा, पूरी लिस्ट देख पैरों तले खिसक जाएगी जमीन
विधानसभा चुनावों से पहले पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने किसानों के 50,000 रुपये तक के लोन माफी की घोषणा की थी. जिसके तहत तकरीबन 8,000 करोड़ रुपये का किसानों का लोन माफ किया जाना था.
जयपुर:
राजस्थान में किसान कर्जमाफी को लेकर जमकर सियासत हो रही. कांग्रेस की किसान कर्जमाफी के बाद भाजपा लगातार कांग्रेस सरकार पर हमला बोल रही है. किसान मार्जमाफी की घोषणा जमीन पर कब उतरेगी, लेकिन किसान कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ धोखाधड़ी के मामले रोज उजागर हो रहे हैं. राजस्थान में किसानों के लोन माफी के नाम रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं. पहले डूंगरपुर, बांसबाड़ा, धौलपुर के बाद अब अलवर के बहरोड़ में मृतक और कर्ज न लेने वालों के नाम कर्जमाफी कराने के मामले सामने आए हैं. बहरोड़ की ग्राम सहकारी समितियों में 10 करोड़ के गबन का मामला आया सामने आया है.
बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये के घोटाले सामने आ रहे हैं. मामले की गंभीरता को लेकर सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं. पूरे प्रदेश में 29 सहकारी बैंकों में कर्जमाफी के नाम पर यह घोटाला सामने आया है. जिसके लिए सरकार की तरफ से जांच कमेटी गठित की गई है।
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विधानसभा चुनावों से पहले पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने किसानों के 50,000 रुपये तक के लोन माफी की घोषणा की थी. जिसके तहत तकरीबन 8,000 करोड़ रुपये का किसानों का लोन माफ किया जाना था. सरकार ने 2000 करोड़ रुपये सहकारी बैंकों को किसानों के लोन माफ करने के नाम पर जमा किए थे, लेकिन बैंक के अधिकारी और कर्मचारियों ने मिलकर किसानों के लोन माफी के नाम पर करोड़ों रुपये गबन कर सरकार को चूना लगा दिया. ये मामला सबसे पहले डूंगरपुर जिले में उजागर हुआ, जहां उन किसानों के नाम पर लोन माफी का पैसा उठा लिया गया जिन्होंने कभी लोन लिया ही नहीं था. जिनके नाम लोन की सूची में कभी थे ही नहीं, अकेले डूंगरपुर जिले में 8 करोड़ रुपये लोन माफी के नाम पर हड़पने का मामला सामने आया है.
डूंगरपुर के बाद बांसवाड़ा जिले में दूसरा मामला उजागर हुआ और फिर धौलपुर जिले में तकरीबन 3 करोड़ रुपये का लोन माफी उन किसानों के नाम और मृतक किसानों के नाम पर उठा लिया गया, जिनका नाम लोन की सूची में नहीं था. चौथा मामला अलवर के बहरोड़ जिले में सामने आया, यहां तकरीबन करोड़ों रुपये लोन माफी के नाम पर बैंक मैनेजर और कर्मचारियों ने उठाकर हड़प लिया. मामले में बैंक मैनेजर सहित पांच लोगों को निलंबित भी कर दिया गया है. विधायक बलजीत यादव का कहना है कि यह घोटाला 10-15 करोड़ का नहीं बल्कि हजारों करोड़ रुपये का निकलेगा. किसानों के साथ लगातार लोन माफी के नाम पर धोखेबाजी हो रही है और उनके नाम पर अधिकारी-कर्मचारी मिलकर करोड़ों रुपये खाने में लगे हुए हैं, जबकि गरीब किसान को कोई लाभ नहीं मिल रहा है.
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लगातार उजागर हो रहे घोटालों से परेशान सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं. सरकार ने 29 सहकारी बैंकों की जांच के आदेश दे दिए हैं, जिनमें घोटालों की बात सामने आ रही है. वसुंधरा सरकार ने चुनावों से पहले किसानों के 50 हजार रुपये के लोन माफी की घोषणा की थी, ये घोटाले उसी समय के हैं. अब राजस्थान की गहलोत सरकार ने इन घोटालों को गंभीरता से लिया है और जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं. सरकार का कहना है कि बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन किसानों के साथ हुई धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
वहीं दूसरी ओर बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस की सरकार बनते ही किसानों के लोन माफी के नाम पर घोटाले शुरू हो गए हैं. सरकार जांच के नाम पर धोखा कर रही है और कांग्रेस सरकार 2,00,000 की ऋण माफी की घोषणा जो किसानों के लिए है, उससे ध्यान भटकाने के लिए ये सारी कवायद की जा रही है. सरकार किसानों से भी लोन माफी के नाम पर धोखा कर रही है. नेता प्रतिपक्ष और पूर्व के कैबिनेट मंत्री गुलाबचंद कटारिया का कहना कि किसान कर्जमाफी की घोषणा को पूरा नहीं कर पाने से ध्यान भटकाने ले लिए सरकार ऐसे हथकंडे अपना रही है. किसान कर्जमाफी का फैसला किसान हित कम और वोट हित अधिक नजर आ रहा है.
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विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी की वसुंधरा सरकार ने किसानों के 50000 तक के लोन माफी की घोषणा कर किसानों को पार्टी की ओर खींचने की कोशिश की थी, लेकिन समय पर इसका लाभ नहीं मिलने की वजह से बीजेपी को चुनावों में नुकसान भी उठाना पड़ा. राजस्थान में सत्ता बदल चुकी है. राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार बनी, गहलोत ने मुख्यमंत्री बनते ही किसानों के दो लाख तक के ऋण माफी की घोषणा भी कर दी. लेकिन विपक्ष लगातार कांग्रेस पर हमला बोल रहा है कि सरकार ने सिर्फ ऋण माफी की घोषणा की है, इसका लाभ अभी किसी किसान को नहीं मिला है.
सरकार बीजेपी की हो या कांग्रेस की, किसानों के साथ ऋण माफी के नाम पर सिर्फ छलावा हो रहा है. किसानों के नाम ऋण माफी के नाम पर पैसों को अधिकारी-कर्मचारी बंदरबांट कर अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं. कई किसान तो ऐसे हैं जिन्हें पता ही नहीं है कि गेहूं के नाम पर भी कोई लोन था या नहीं, उनके नाम पर भी लोन की रकम उठाकर अधिकारी-कर्मचारी पैसे डकार चुके हैं. कई मृतक किसानों के नाम पर लोन माफी की रकम उठाकर अधिकारियों ने अपनी जेब भरने का काम पूरे प्रदेश भर में किया. लगातार मामलों का खुलासा होता जा रहा है 4 जिलों में इस तरह के खुलासे सामने आए हैं.
आशंका जताई जा रही है कि ऐसे घोटालों के कई और मामले सामने आ सकते हैं. हालांकि सरकार ने पूरे मामले में जांच के आदेश देकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात जरूर कही है. लेकिन अब देखना है कि सरकार की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कब तक हो पाती है.
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