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विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान में 23 लोकसभा सीटों पर बीजेपी के लिए मंडराया खतरा

लोकसभा चुनाव को लेकर राजस्थान में एक ट्रेंड है- जिसकी प्रदेश में सरकार होती है, उसी सरकार के अधिक सांसद जीतकर आते हैं.

Updated on: 20 Dec 2018, 11:12 AM

जयपुर:

राजस्थान में सियासी ट्रेंड का अनोखा इतिहास रहा है. विधानसभा चुनावों  में तमाम कोशिशों के बाद भी बीजेपी इस बार ट्रेंड नहीं बदल पाई. वही लोकसभा चुनाव को लेकर भी राजस्थान में एक ट्रेंड है- जिसकी प्रदेश में सरकार होती है, उसी सरकार के अधिक सांसद जीतकर आते हैं. दरअसल विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद बीजेपी की 23 सीटों पर खतरा पैदा हो गया है. इनमें केंद्रीय मंत्रियों की लोकसभा सीट भी शामिल है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 25 सीटें जीती थी. फिर उपचुनावों में कांग्रेस ने 2 सीट जीत लीं. ऐसे में भाजपा के लिए इस ट्रेंड को तोड़ना बड़ी चुनौती रहेगा. एक रिपोर्ट…

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भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान विधानसभा चुनावों में जिस तरह से परफॉर्मेंस किया है और हर लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा सीट से बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. यहां तक कि 23 लोकसभा सीटों पर बीजेपी का ही कब्जा है, लेकिन इन 23 लोकसभा सीटों में आने वाली विधानसभा सीटों पर भी बीजेपी विधानसभा चुनावों में इस बार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. इसके चलते 3 महीने बाद लोकसभा चुनावों में बीजेपी अच्छे प्रदर्शन के लिए अभी से तैयारी शुरू कर रही है.

चुनावों में बीजेपी 23 लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्रों में पिछड़ती चली गई. बीजेपी को लग रहा था कि इस बार विधानसभा चुनावों में 23 लोकसभा सीटों पर उसका कब्जा है इसीलिए वे आसानी से फिर सरकार बना लेगी, लेकिन जनता ने बीजेपी की इस मंशा पर पानी फेर दिया. बीजेपी को लोकसभा चुनाव के लिए अभी से चिंता सताने लगी है. बीजेपी अभी से पूरी प्लानिंग कर लोकसभा चुनाव में जाना चाहती है. पिछले तीन विधानसभा और लोकसभा चुनावों में यह ट्रेंड रहा है कि जिसकी राज्य में सरकार बनी है, उसी के ज्यादा सांसद लोकसभा में पहुंचे हैं.

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2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 120 सीटें मिली थीं. 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में 21 सीटें हासिल हुईं. 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 96 सीटें जीती थी और 2009 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के 20 सांसद जीते थे. 2013 में बीजेपी ने रिकॉर्ड 163 सीटें विधानसभा में जीती थी और उसी ट्रेंड को बरकरार करते हुए 2014 में बीजेपी ने 25 की 25 सीट अपने खाते में सांसदों की जीत कर डाली थी.

बीजेपी का दावा है कि जनता नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है. विधानसभा चुनावों में स्थिति अलग होती है और लोकसभा चुनाव में अलग. जिन लोकसभा क्षेत्र में वह पिछड़े हैं उनमें स्थिति को 3 महीने के अंदर ठीक कर लिया जाएगा. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस विधानसभा चुनावों में जीतकर पूरी तरह कॉन्फिडेंट है कि लोकसभा चुनावों में वह सभी 25 सीटें जीतेगी. हर बार विधानसभा चुनाव की जीत हार का असर लोकसभा चुनावों में नजर आता है. जिस तरह 2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी 25 सीटें जीतने वाली पार्टी बनी थी और विधानसभा चुनाव इस बार हार गई और उसको नुकसान उठाना पड़ा, वहीं इस साल जनवरी में अजमेर और अलवर में हुए उपचुनाव में दोनों सीटें बीजेपी हारी और कांग्रेस दोनों सीटों पर जीत गई थी. ऐसे में अगले 4 महीने में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा की 23 लोकसभा सीटों पर पांच मंत्रियों और 18 सांसदों के खतरे में है.

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कांग्रेस को लगता है कि विधानसभा चुनावों में जनता ने उनको स्वीकार किया है. इसी तरह लोकसभा चुनावों में भी जनता को स्वीकार करेगी और 25 की 25 सीटें कांग्रेस जीतेगी कांग्रेस के प्रदेश सचिव सुरेश मिश्रा का कहना है बीजेपी जुमलेबाजी को जनता समझ गई है. जिस तरह विधानसभा चुनाव में जनता ने बीजेपी को बहुमत नहीं दिया है और लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी को हराने का काम जनता करेगी और कांगेस 25 की 25 सीटें लोकसभा की जीतेगी.

हालांकि 4 महीने बाद जनता का मूड बदलेगा या नहीं, लेकिन इस बार कांग्रेस के 4 महीने के शासन का असर लोकसभा चुनावों में देखने को मिलेगा. हालांकि बीजेपी 23 लोकसभा सीटों पर काबिज है और उसमें से 5 केंद्र में मंत्री भी हैं. ऐसे में इनकी भी परफॉर्मेंस जनता 5 साल की देखेगी. 5 साल में उन्होंने जनता के लिए क्या काम किए और उसके बाद ही शायद जनता वोट करेगी. बीजेपी को अभी से लोकसभा चुनावों की चिंता सताने लगी है, क्योंकि राजस्थान विधानसभा चुनावों में बीजेपी इन 23 लोकसभा क्षेत्रों में हर विधानसभा इलाके में पिछड़ती हुई नजर आई है.

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