अर्जुन मेघवाल बोले- कालाधन बढ़ रहा था, अपराध बेलगाम हो गया था, इसलिए की गई नोटबंदी
नोटबंदी पर फैसला लेने की हिम्मत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में थी. नोटबंदी का विषय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के वक्त भी था, लेकिन वे इस पर फैसला लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाए थे. केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने प्रदेश भाजपा मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता में नोटबंदी पर कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए यह बात कही.
जयपुर:
नोटबंदी पर फैसला लेने की हिम्मत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में थी. नोटबंदी का विषय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के वक्त भी था, लेकिन वे इस पर फैसला लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाए थे. केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने प्रदेश भाजपा मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता में नोटबंदी पर कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए यह बात कही. नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर वे कांग्रेस नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दे रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘अगर भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है, तो इस तरह का फैसला लेना जरूरी था. नोटबंदी से पहले की अर्थव्यवस्था इनफॉर्मल इकोनॉमी थी. इसकी वजह से कालाधन बढ़ रहा था. अपराध बेलगाम हो गया था और राजस्व में कमी आ रही थी.’ उन्होंने कहा, ‘वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी से पहले भारत की 23.7 प्रतिशत शैडो इकोनामी थी. इसलिए मोदी सरकार को नोटबंदी का फैसला लेना पड़ा. अब भारत की शैडो इकोनामी घटकर 17.22 फीसदी रह गई है. वहीं नोटबंदी की वजह से कालेधन पर रोक लगी है और डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि टैक्स कलेक्शन की वजह से गांवों के विकास कार्यों में तेजी आई है. यह विषय पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के सामने भी था, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कोई फैसला नहीं ले सके थे. अब कांग्रेस उन्हीं से इस मुद्दे पर बयान दिलवा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आरोपों पर जवाब देते हुए मेघवाल ने कहा कि वह नोटबंदी को लेकर गहलोत से बहस करने के लिए तैयार हैं, लेकिन नोटबंदी को सर्जिकल स्ट्राइक कहना देश और सेना के लिए अपमानजनक है.
इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक ब्लॉग लिखकर बताया, नोटबंदी का लक्ष्य सिर्फ नोट बैन करना नहीं थी बल्कि इसे औपचारिक अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए सरकार ने यह फैसला किया था. अब टैक्स सिस्टम में बचना मुश्किल हो गया है.’ उन्होंने कहा कि नोटबंदी के विश्लेषण में एक सूचना है कि सभी पुराने नोट बैंकों में जमा हो गए हैं, लेकिन कैश जब्त करना नोटबंदी का उद्देश्य नहीं था. बल्कि इसे औपचारिक अर्थव्यवस्था में इसको प्राप्त करना और धारकों को कर चुकाना इसका व्यापक उद्देश्य था.’
दूसरी ओर, मनमोहन सिंह ने कहा, ‘आज नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2016 में किए गए दुर्भाग्यपूर्ण और बिना सोचे किए गए नोटबंदी का दो साल पूरा हो चुका है. भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज में जो अफरातफरी फैली थी वह अब साफ दिखाई दे रही है.’ मनमोहन सिंह ने कहा, ‘नोटबंदी के गंभीर परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं. स्मॉल और मीडियम बिजनेस को नोटबंदी के झटकों से उबरना अभी बाकी है. इसने सीधे-सीधे रोजगार को प्रभावित किया है. हमारी अर्थव्यवस्था नई नौकरियां पैदा करने में अब भी संघर्ष कर रही है.
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