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मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ के बाद अब इस राज्‍य में कांग्रेस की मुश्‍किलें बढ़ाएगी बसपा

मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान में भी बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस की मुसीबत बढ़ाने जा रही है. पार्टी राज्‍य में सभी 200 सीटों पर प्रत्‍याशी उतारने जा रही है. बसपा का दावा है कि गठबंधन की कवायद सफल न होने के बाद अलग-अलग चुनाव लड़ने से कांग्रेस को नुकसान होगा.

Updated on: 19 Oct 2018, 01:10 PM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान में भी बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस की मुसीबत बढ़ाने जा रही है. पार्टी राज्‍य में सभी 200 सीटों पर प्रत्‍याशी उतारने जा रही है. बसपा का दावा है कि गठबंधन की कवायद सफल न होने के बाद अलग-अलग चुनाव लड़ने से कांग्रेस को नुकसान होगा.

राजस्‍थान में बसपा के दो प्रत्‍याशियों ने 1998 में जीत दर्ज की थी. उस साल बसपा ने 108 प्रत्याशी उतारे थे और उसे 2.17% वोट मिले थे. 2003 में बसपा 124 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. दो पर पार्टी ने जीत हासिल की और उसे 3.98% वोट मिले. 2008 के विधानसभा के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा था, जब उसने 7.60% वोटों के साथ सभी छह सीटों पर जीत दर्ज की थी.

बसपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डूंगरराम गेदर ने बताया कि पार्टी सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बसपा ने बीते चुनावों में धौलपुर, भरतपुर और दौसा के साथ-साथ गंगानगर जिले की कुछ विधानसभा सीटों पर बहुत अच्‍छा प्रदर्शन किया है. जहां पार्टी जीत नहीं पाई, वहां उसने परिणाम तय करने में बड़ी भूमिका निभाई. 2013 के विधानसभा चुनावों में बसपा ने तीन सीटें जीती थीं और करीब आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस को तीसरे नंबर पर ढकेल दिया था.

2013 में पार्टी 195 सीटों पर चुनाव में उतरी और तीन जगह उसे जीत भी मिली लेकिन उसका वोट प्रतिशत घटकर 3.37 प्रतिशत रह गया. राज्य में एससी की 34 और एसटी की 25 सीटें हैं. बसपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में 195 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. गेदर ने कहा कि इस बार सभी सीटों पर पार्टी प्रत्याशी खड़े करने की तैयारी है.