विधानसभा चुनाव परिणाम 2017: पंजाब में क्यों हारे केजरीवाल, ये रहे अहम कारण
सबसे बड़ा झटका आम आदमी पार्टी के लिए रहा। आप ने पंजाब को लेकर कई दावे पेश किए थे। आखिर, 'आप' क्यों पंजाब चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सफलता हासिल करने में नाकाम रही।
नई दिल्ली:
विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया है कि अब पंजाब की कमान अमरिंदर सिंह के हाथों में होगी। अमरिंदर सिंह दूसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे। चुनाव के शनिवार को आए नतीजों में 117 सीटों वाले पंजाब विधानसभा में कांग्रेस 77 पर कब्जा जमाने में कामयाब रही।
हालांकि, सबसे बड़ा झटका आम आदमी पार्टी के लिए रहा। आप ने पंजाब को लेकर कई दावे पेश किए थे। मीडिया और राजनीतिक जानकार भी यह मान कर चल रहे थे पंजाब चुनाव में आप बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है। लेकिन, आप के खाते में केवल 20 सीटें आई और वोट शेयर भी केवल 24 फीसदी रहा।
आखिर, 'आप' क्यों पंजाब चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सफलता हासिल करने में नाकाम रही।
पंजाब में नहीं था 'आप' का कोई सीएम चेहरा: कांग्रेस के पीछे इस चुनाव में अमरिंदर सिंह जैसा कद्दावर और अनुभवी चेहरा था। प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली अकाली-बीजेपी सरकार के खिलाफ जो माहौल बना उसे अमरिंदर कैश करने में कामयाब रहे। वह जनता में भरोसा जगा सके कि अगर कांग्रेस जीती तो वह नेतृत्व करेंगे।
दूसरी ओर केजरीवाल जरूर पंजाब का लगातार चक्कर लगाते रहे लेकिन उन्होंने कभी सीएम पद को लेकर कोई पत्ता नहीं खोला। न ही केजरीवाल ने कभी यह कहा कि वह दिल्ली छोड़ पंजाब आएंगे। सबकुछ अटकलों में चलता रहा और शायद यही 'आप' का खेल खराब कर गया।
यह भी पढ़ें: पंजाब चुनाव परिणाम 2017: कांग्रेस की बहुमत के साथ वापसी, 'आप' दूसरे स्थान पर
उम्मीदवारों का चयन और पार्टी में झगड़ा: आप ने दिल्ली की तर्ज पर कई ऐसे चेहरों को मौका दिया जिन्हें कोई अनुभव नहीं था। इस बीच पार्टी के अंदरखाने झगड़े और मनमुटाव की भी खबरें आती रहीं। सुच्चा सिंह छोटेपुर से जुड़ा विवाद और उन्हें पार्टी से निकाले जाने और फिर उनकी बगावत ने पार्टी की इमेज को धक्का पहुंचाया। सुच्चा सिंह पिछले साल एक स्टिंग ऑपरेशन में कथित रूप से विधानसभा टिकट के ऐवज में पैसे लेते दिख रहे थे, हालांकि वह इसे अपने खिलाफ साजिश करार देते रहे।
नवजोत सिंह सिद्दू विवाद: पिछले साल नवजोत के बीजेपी छोड़ने के बाद यह अटकलें तेज थीं कि वह आप में शामिल होंगे। सिद्धू और केजरीवाल की मुलाकात भी हुई लेकिन बात नहीं बनी। यहां केवल बात ही नहीं बनी बल्कि दोनों एकदूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगाने लगे। सिद्धू ने कांग्रेस की राह पकड़ी और उन्हें फायदा हुआ।
यह भी पढ़ें: पंजाब विधानसभा चुनाव :पूर्व टैक्सी चालक अमरजीत सिंह ने पंजाब के शिक्षा मंत्री को हराया
माझा, दोआबा में कमजोर पकड़: आम आदमी पार्टी ने ज्यादा जोर मालवा में दिखाया। यह एक तरह से ठीक भी था क्योंकि पंजाब की राजनीति में मालवा की अहम भूमिका है। लेकिन माझा, दोआबा में बिल्कुल ध्यान न देना आप को भारी पड़ गया।
डेरा का अकाली: बीजेपी को समर्थन: कहा जाता है पंजाब की राजनीति में सिरसा डेरा की अहम भूमिका रहती है। इस बार डेरा ने बीजेपी-अकाली गठबंधन को अपना समर्थन दिया था जिसके बाद आम आदमी पार्टी की उम्मीदों पर पानी फिर गया।
यह भी पढ़ें: अकाली-बीजेपी की 10 साल की सत्ता को जनता ने किया खारिज, जानें हार की वजहें
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य