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पराली को लेकर पंजाब सरकार ने किसानों के साथ दिखाई सहानुभूति, कहा- मगर क़ानून तो क़ानून है

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों के साथ अपनी सहानुभूति दिखाते हुए कहा कि मैने इस बारे में प्रधानमंत्री को दो बार ख़त लिखा है.

Updated on: 15 Oct 2018, 06:19 PM

नई दिल्ली:

पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को लेकर राजनीतिक बवाल थमता नहीं दिख रहा है. सोमवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों के साथ अपनी सहानुभूति दिखाते हुए कहा कि मैने इस बारे में प्रधानमंत्री को दो बार ख़त लिखा है. यह (NGT) राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का आदेश है और क़ानून के सामने राज्य सरकार लाचार है.

उन्होंने लिखा, 'पराली नहीं जाने को लेकर NGT ने आदेश जारी किया है. मैने इस बारे में दो बार प्रधानमंत्री मोदी को, कृषि मंत्री और खाद्य मंत्रालय को ख़त लिखा है. मेरी किसानों के साथ पूरी सहानुभूति है लेकिन क़ानून तो बस क़ानून है और इसे मानना होगा.'

इससे पहले पंजाब सरकार ने शुक्रवार को कहा था कि राज्य में धान की पराली जलाने के मामले में 2016 के मुकाबले 2017 में 45 फीसदी कमी आई है. प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने कहा, 'केंद्रीय पर्यावरण सचिव सीके मिश्रा की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में यह तथ्य प्रकाश में आया. प्रदेश के कृषि और पर्यावरण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि 2016 में पराली जलाने के 80,879 मामले सामने आए, जबकि 2017 में 43,814 मामले सामने आए थे. इस तरह एक साल में पराली जलाने के मामलों में 45 फीसदी कमी आई है.'

उन्होंने बताया कि 2017 में गेहूं के फसल अवशेष जलाने के 15,378 मामले सामने आए थे, जबकि 2018 में 11,095 मामले सामने आए. इस प्रकार, इसमें 28 फीसदी की कमी आई है.

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उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियान के कारण पराली जलाने के मामलों में कमी आई है.