भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी दो महीने की ट्रेनिंग के लिए भारतीय सेना की पैराशूट रेजिमेंट के साथ जुड़ गए हैं। धोनी बुधवार को पैराशूट रेजिमेंट की बटालियन में शामिल हुए, जिसका हेडक्वार्टर बेंगलुरू में है।38 वषीय धोनी पैराशूट रेजिमेंट (106 पैरा टीए बटालियन) की प्रादेशिक सेना इकाई में लेफ्टिनेंट कर्नल की पोस्ट पर मौजूद हैं। उन्हें भारतीय सेना ने 2011 में यह सम्मान दिया था। इसके अलावा, अभिनव बिंद्रा और दीपक राव को भी यह सम्मान दिया गया था।
भारतीय टीम के पहले पहले कप्तान कर्नल सीके नायुडू 1923 में होल्कर राजा के न्योते पर इंदौर पहुंचे थे। उनकी सेना में उन्हें कर्नल का पद दिया गया था। इसके साथ ही लेफ्टिनेंट कर्नल हेमू अधिकारी का टेस्ट करियर दूसरे विश्व युद्ध के कारण देर से शुरू हुआ।
डेनिस कॉम्पटन ने इंग्लैंड के लिए 14 टेस्ट मैच खेले। इसके अलावा भारत में 17 प्रथम श्रेणी मैच भी खेले। इसी दौरान सार्जेंट मेजर के पद पर काम करते हुए उन्होंने जापान के खिलाफ युद्ध में अपने सैनिकों को तैयार किया। कॉम्पटन ने अपने करियर में कुल 78 टेस्ट मैच खेले।
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज कहे जाने वाले सर डॉन ब्रैडमैन भी एक साल के लिए लेफ्टिनेंट पद पर कार्यरत थे। उन्होंने जून 1940 में ऑस्ट्रेलियन एयरफोर्स जॉइन की, इसके बाद उनका तबादला ऑस्ट्रेलियाई सेना में कर दिया गया। कुछ समय ट्रेनिंग के बाद उन्हें लेफ्टिनेंट का पद दिया गया लेकिन कमर की बीमारी के चलते उन्हें जून 1941 में सेवामुक्त कर दिया गया।
इंग्लैंड के बाएं हाथ के स्पिनर हेडली वेरिटी, जिन्होंने ब्रैडमैन को अपने करियर के दौरान 8 बार आउट किया- की मौत 1943 में युद्धबंदी के रूप में हुई। उनके नाम ब्रैडमैन को सबसे ज्यादा बार आउट करने का रिकॉर्ड दर्ज है।
ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर और फाइटर पायलट कीथ मिलर ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बतौर पायलट अपनी सेवाएं दी थीं। वह एक बहादुर क्रिकेटर थे, हिम्मती पायलट थे, उनके लुक्स के लोग दीवाने थे और उनका संगीत भी शानदार था।
इंग्लैंड के सर लेन हटन ने अपना 23वां और 29वां जन्मदिन सेना के ट्रेनिंग सार्जेंट के रूप में मनाया। इसी पद पर काम करते हुए उनकी कलाई में चोट लग गई। इसी वजह से वह अपने करियर में हुक शॉट नहीं खेल पाए।