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पंडित जवाहरलाल नेहरू की 127 वीं पुण्यतिथि पर ये खास तस्वीरें

Pandit Jawaharlal Nehru Birthday Anniversary,चाचा नेहरू,

News Nation Bureau | Updated : 14 November 2016, 01:35:29 AM
जवाहरलाल नेहरू की 127 वीं पुण्यतिथि

जवाहरलाल नेहरू की 127 वीं पुण्यतिथि

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आज 14 नवंबर को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 127 वीं पुण्यतिथि है। पंडित जी को बच्चे बहुत प्यारे थे इसलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ

नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ

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पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया

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पंद्रह साल की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, जहां से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1912 में भारत लौटने के बाद वे सीधे राजनीति से जुड़ गए। यहां तक कि छात्र जीवन के दौरान भी वे विदेशी हुकूमत के अधीन देशों के स्वतंत्रता संघर्ष में रुचि रखते थे।
स्वतंत्रता संग्राम में अनिवार्य रूप से शामिल हुए

स्वतंत्रता संग्राम में अनिवार्य रूप से शामिल हुए

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जवाहरलाल नेहरू ने जेल में रहते हुए दो किताबें लिखीं, जिसमें से एक 'द डिस्कवरी आॅफ इंडिया' काफी फेमस रही। इस किताब में भारत का इतिहास और उसकी खोज से संबंधित कई जानकारियां हैं। भारत में इसका हिंदी अनुवाद 'भारत एक खोज' भी आया। इसे देश का बच्चा—बच्चा पढ़ने को उत्सुक रहता है। देश को आजाद कराने के लिए नेहरू कई बार जेल भी गए, जहां से उन्होंने अपनी बेटी इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी को कई खत लिखे और उन कई बातों का उल्लेख किया, जिसे वह हर किसे से शेयर नहीं किया करते थे। इन खतों को इंदिरा ने पढ़ने के बाद भी अपने पास संजोये रखा।
आंदोलन के सिलसिले में दो बार जेल भी गए

आंदोलन के सिलसिले में दो बार जेल भी गए

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1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने। 1916 में वे महात्मा गांधी से पहली बार मिले जिनसे वे काफी प्रेरित हुए। उन्होंने 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया। 1920-22 के असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।