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उत्पल दत्त.. हिन्दी फिल्मों में बंगाल के कलाकार ने छोड़ी अमिट छाप

एक अभिनेता, निर्देशक और लेखक-नाटककार... हिंदी फिल्मों में बंगाल के महान कलाकार उत्पल दत्त की 19 अगस्त को डेथ एनिवर्सरी है। वह हिंदी फिल्मों में भले ही देर से आए, लेकिन बंगाली रंगमंच और सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

News Nation Bureau | Updated : 19 August 2017, 09:22:59 AM
फाइल फोटो

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एक अभिनेता, निर्देशक और लेखक-नाटककार... हिंदी फिल्मों में बंगाल के महान कलाकार उत्पल दत्त की 19 अगस्त को डेथ एनिवर्सरी है। वह हिंदी फिल्मों में भले ही देर से आए, लेकिन बंगाली रंगमंच और सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी।
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उत्पल की पहली हिंदी फिल्म अमिताभ बच्चन के साथ 'सात हिंदुस्तानी' आई थी। वहीं 'भुवन शोम' के लिए उन्हें 1970 में श्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।
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लेकिन 1979 में रिलीज हुई सुपरहिट फिल्म गोलमाल के 'भवानी शंकर', जिनकी कॉमेडी आज भी लोगों को हंसा देती है। वहीं 'शौकीन' में एक-एक पैसे का हिसाब रखने वाले कंजूस को भी आप भूले नहीं होंगे।
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उत्पल स्कूल में ही ड्रामा ग्रुप बनाकर अंग्रेजी नाटक करते थे। 1929 में जन्मे इस कलाकार ने 18 साल की उम्र में स्टेज परफॉर्मेंस दी थी, जिसके बाद उनकी एक्टिंग की लोगों ने खूब तारीफ की थी।
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इस एक्टर ने कई हिंदी फिल्में की। इनमें 'बात बन जाए', 'इन्कलाब', 'किसी से ना कहना', 'स्वामी', 'अपने पराये', 'प्रेम विवाह', 'अग्नि परीक्षा' और 'अंगूर' जैसी तमाम फिल्मों के नाम शामिल हैं।
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दत्त को रंगमंच के योगदान में सबसे ऊपर गिना जाता है। उत्पल प्रतिष्ठित संस्था इंडियन पीपल्स थियेटर्स एसोसिएशन 'इप्टा' के स्थापकों में से एक थे। वह बंगाल का विशेष नाटक 'जात्रा' करने के लिए गांव-गांव और शहर-शहर जाते थे। उनके निधन के बाद याद में 'उत्पल दत्त नाट्योत्सव' होता है।