उर्दू के एक अज़ीम शायर कैफी आज़मी का आज है जन्मदिन, पढ़िए कुछ खास नज़्म
कैफी का असली नाम अख्तर हुसैन रिजवी था. उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ जिले के छोटे से गाँव मिजवां में 14 जनवरी 1919 में जन्मे कैफी को बचपन से ही कविताएं पढ़ने का शौक था.
News Nation Bureau | Updated : 14 January 2019, 10:22:42 AM
File Photo
उर्दू के एक अज़ीम शायर कैफी आज़मी का आज जन्मदिन है. कैफी का असली नाम अख्तर हुसैन रिजवी था.
File Photo
महज 11 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली गज़ल लिखीडाली थी. उनकी रचनाओं में आवारा सज़दे, इंकार, आख़िरे-शब आदि प्रमुख हैं.
File Photo
शायर कैफी आजमी का आज 100वीं सालगिरह है. 1944 में सिर्फ 26 साल की उम्र में पहला संग्रह ‘झनकार’ छप गया. कैफी आजमी का दूसरा संग्रह ‘आखिरे शब’ भी महज तीन साल बाद 1947 में शाया हुआ.
File Photo
साल 1964 में आयी 'हकीकत' में उन्होंने 'कर चले हम फिदा जानो-तन साथियो', 'होके मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा', 'जरा सी आहट होती है' जैसे अमर गीत लिखे, जो गायिका लता मंगेशकर और संगीतकार मदन मोहन के करियर के सबसे अहम गीत माने जाते हैं.
File Photo
हेमंत कुमार और लता मंगेशकर के लिए उन्होंने 'वो बेकरार दिल', 'ये नयन डरे डरे' जैसे सदाबहार गाने भी लिखा.
File Photo
फिल्म 'नौनिहाल' में उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की याद को समर्पित गीत 'मेरी आवाज सुनो प्यार राज सुनो' लिखा.
File Photo
बतौर शायर उन्होंने 'औरत' और 'मकान' सहित कई प्रभावशाली कविताएं लिखीं.
File Photo
उन्होंने 'कागज के फूल', 'शोला और शबनम', 'हंसते जख्म', 'हकीकत', 'अर्थ' जैसी फिल्मों के लिए कई प्रसिद्ध गाने लिखे.
File Photo
वह 'हीर' और एम.एस. सथ्यू की सफल फिल्म 'गर्म हवा' के लिए संवाद और सर्वश्रेष्ठ पटकथा लिखने के लिए भी जाने जाते हैं.