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प्रचंड की भारत यात्रा, नेपाल-भारत संबंधों को नए आयाम देने की कोशिश

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की भारत यात्रा कई मायने में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच परस्पर विश्वास बढ़ाने का है। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

Updated on: 15 Sep 2016, 04:47 AM

नई दिल्ली:


नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की भारत यात्रा कई मायने में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।  इस यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच परस्पर विश्वास बढ़ाने का है। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। गौरतलब है कि इससे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के शासन के दौरान मधेशी समुदाय के आंदोलन के चलते दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी। प्रचंड के प्रधानमंत्री बनते ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भारत की यात्रा पर आने का निमंत्रण दिया था  ।


प्रचंड का ये दौरा अहम

प्रचंड का भारत आना अहम है क्योंकि उन्होंने संविधान में संशोधन कर मधेशियों की मांगों को समाहित करने का वायदा किया है, जो दोनों देशों के रिश्तों लिए अहम है। भारत और नेपाल आपस में सिर्फ सीमा साझा नहीं करते बल्कि दोनों देशों में सांस्कृतिक रिश्ते भी हैं। प्रचंड के इस दौरे से दोनों देशों के बीच ठंडे पड़े रिश्तों में गर्माहट आने की संभावनाएं है। प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने के बाद ये उनका पहला विदेश दौरा है। इनका दौरा इस नज़र में भी महत्वपूर्ण है कि उन्होंने पहले दौरे के लिए भारत को चुना चीन को नहीं। भारत की कोशिश है कि चीन का नेपाल में बढ़ रहे दखल को रोका जा सके। 

क्यों बिगड़े थे रिश्ते 

पानी का बंटवारा दोनों मुल्कों के बीच विवाद का विषय है। सुस्ता और कालापानी जैसी नदियों को लेकर दोनों देशों में विवाद रहता है। दोनों देशों के लोग एक दूसरे के साथ व्यापारिक संबंध रखते हैं जिसे ओली के समय में रोक दी गई थी।

नेपाल के राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया था संविधान निर्माण में भारत दखलअंदाज़ी कर रहा है इससे भी दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़े थे। 

हो सकते हैं कुछ अहम मुद्दों पर समझौते

भारत और नेपाल के बीच रेलवे का भी विस्तार होने की संभावनाएं है। भारतीय रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक भारत जिस रेल लाइन को विकसित करने की बात कही जा रही है वो 1,030 किलोमीटर की है। दोनों मुल्क इसकी आर्थिक शर्तों पर चर्चा कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच इस्ट-वेस्ट रेलवे लाईन डेवेलप होने की संभावना भी है। 


इसके अलावा प्रस्तावित और अधूरी पनबिजली परियोजनाओं, पुलिस अकादमी और शिक्षण संस्थानों का निर्माण और पटना से काठमांडू के बीच हवाई सेवा के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है और इनसे संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर की भी संभावना है।