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सुमित्रानन्दन पंत का जन्म 20 मई, 1900 को ग्राम कौसानी जिला-बागेश्वर, जो अब उत्तराखण्ड राज्य में है के एक शिक्षित मध्यम-वर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनकी मां का देहान्त उनके जन्म के कुछ घंटो पश्चात् हो गया, और ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें अपनी दादी, पिता या बड़े भाई से स्नेह नहीं मिला, जो कि उनके लेखन में परिलक्षित होता है. उनके पिता स्थानीय चाय बागान में प्रबंधक के रूप में कार्य करते थे और एक भू-धारक भी थे, जिसके कारण पंत जी को आगे बढ़ने में अर्थाभाव नहीं हुआ.
वर्ष 1968 में पंत प्रथम हिन्दी कवि हुये, जिन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ, जो भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है. इन्हें इनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध कविता संग्रह ‘चिदम्बरा’ के लिये यह पुरस्कार दिया गया था. पंत को भारत की साहित्य अकादमी के द्वारा दिया जाने वाला साहित्य अकादमी सम्मान ‘‘काला एवं बूढ़ा चांद’’ के लिये दिया गया था. पंत जी का निधन 28 दिसम्बर, 1977 को प्रयागराज के उत्तर प्रदेश में हुआ था. उनका कौसानी स्थित बचपन का घर एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है, जिसमें इनकी दैनिक उपयोग की वस्तुयें, इनकी कविताओं के आलेख, पत्रों और इनके पुरस्कारों को प्रदर्शित किया गया है. श्री पंत जी को हिंदी साहित्य के शब्द-शिल्पी के रूप में जाना जाता है.