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आखिर कौन हैं अजीत डोभाल, क्या है 'डोभाल Doctrine'?

उरी हमले के बाद से ही सोशल मीडिया पर अजीत डोभाल को लेकर एक रोचक बहस छिड़ गई है

Updated on: 20 Sep 2016, 10:40 PM

नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार के पाकिस्तान नीति और देश के सुरक्षा सलाहकार और मोदी के विश्वसनीय अजीत डोभाल पर भी सवाल उठने लगे हैं कि क्या उनकी पाकिस्तान नीति या पाकिस्तान को लेकर जो उनके अपने सिद्धांत है वो आज के समय में कारगर हैं।

उरी हमले के बाद से ही सोशल मीडिया पर अजीत डोभाल को लेकर एक रोचक बहस छिड़ गई है जिसमें लोग उनके पक्ष और विपक्ष में लोग कई तरह की बातें कर रहे हैं। पहले पढ़िए अजीत डोभाल के कुछ चर्चित बयान जिसने खूब सुर्खियां 

बटोरी

1.'युद्ध तबतक जारी रहता है जबतक आप विजयी हैं'
2.'देश को बचाना ही एक राष्ट्र की सर्वोच्च प्राथमिकता होती है'
3.'तुम एक और मुंबई हमला करोगे बदले में तुम्हें पूरा ब्लूचिस्तान खोना पड़ सकता है'
4.'कश्मीर हिंसा पर ओवर रिएक्ट करने की जरूरत नहीं। क्योंकि एक बिंदु के बाद वो( पाकिस्तान) टिक नहीं पाएंगे'
5. 'अगर आप लोगों में किसी मुद्दे पर उत्तेजना फैलाते हैं तो आप उसकी प्रतिक्रिया के लिए आंशिक जिम्मेदार हैं लेकिन अगर आप मौजूद शक्ति का प्रयोग करने में सक्षम नहीं है तो यह नहीं होना ज्यादा अच्छा है'।
6.'भारत की जितनी क्षमता है उससे ना कम और ना ही ज्यादा पर हमे वार करना चाहिए लेकिन ये जरूरी है कि हम अपनी क्षमता को बढ़ाकर कारगर तरीके से वार करेंगे'

ये कुछ ऐसे बयान हैं जो पिछले 5 सालों में एनएसए अजीत डोभाल ने अलग-अलग सार्वजनिक कार्यक्रमों में दिए हैं ।आखिर कौन हैं अजीत डोभाल जिन्होंने इतनी सुर्खियां बटोरी है

कौन हैं अजित डोभाल

अजीत कुमार डोभाल साल 1968 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं और वो भारतीय खुफिया विभाग यानि की आईबी के चीफ भी रह चुके हैं। रॉ के पूर्व चीफ एस दुलात डोभाल को
hawkish अजित डोभाल कहते थ जिसका मतलब होता है बहुत ज्यादा तेजतर्रार होना।

पूर्व चीफ दुलात का मानना था कि एक आईबी एजेंट के तौर पर डोभाल में एक साथ कई मिशन पर काम करने की अभूतपूर्व क्षमता थी।डोभाल देश के लिए पाकिस्तान में रहकर भी कई सालों तक जासूसी कर चुके हैं और आतंकी भिंडरवाला के खिलाफ इंदिरा गांधी सरकार द्वार चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार में भी इनकी अहम भूमिका थी।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर अजीत डोभाल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों पर उन्हें उस देश से जुड़ी सामरिक, व्यापारिक, और रक्षा चुनौतियों से जुड़े हर तथ्य के बारे सटीक जानकारी उपलब्ध कराते हैं साथ ही पीएम के अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मयनमार, फिजी, यूरोपिय देशों के अलावा साउथ एशियाई देशों में हाल के 2 वर्षों में जितने दौरे और संधि हुई है उसमें अजीत डोभाल की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।

डोभाल का मानना है कि बदलते विश्व में भारत भी एक शक्ति है इसलिए उसे अपने हितों की रक्षा के लिए रूस-अमेरिका के साथ ही चीन और जापान जैसे देश को भी भारत से संबंध सुधारने की दिशा में आकर्षित करना होगा। ऐसे मुद्दों के अलावा मोदी सरकार के लिए बदलते तकनीक में साइबर खतरे से निपटना भी एक चुनौती है।

आखिर किस सिद्धांत पर काम करते हैं डोभाल

एनएसए अजीत डोभाल के मुताबिक शत्रु को आप 3 स्तरों पर उलझाए रख सकते हैं

1.रक्षात्मक
2.रक्षात्मक-आक्रमक( यानि की दुश्मन को हम ये दिखाए कि वो हमसे कमतर है और हमारे सामने टिक नहीं सकता)
3.आक्रमक

पाकिस्तान पर सरकार की सोच

अजीत डोभाल के मुताबिक पाकिस्तान के लिए रक्षात्मक मोड प्रभावहीण और असंगत है। भारत को पाकिस्तान के खिलाफ रक्षात्मक और आक्रमक तरीके से लड़ना चाहिए और
पाकिस्तान की कमजोरी पर कुठारघात करना चाहिए।

आतंक पर डोभाल की राय

आतंकियों और आतंकवादी हमलों पर डोभाल का मानना है कि उनको मिलने वाले फंड को रोककर जिससे वो हथियार खरीदते हैं और उच्च तकनीक की मदद से इनके खिलाफ
लगातार ऑपरेशन चलाकर आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है।

पाकिस्तान या तो खुद अपने देश में भारत के खिलाफ होने वाले आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाए या फिर पाकिस्तान में खून की नदी देखने के लिेए तैयार रहे

जम्मू कश्मीर पर क्या सोचते हैं डोभाल

एनएसए अजीत डोभाल के मुताबिक राज्य के मूल्य किसी भी व्यक्ति के मूल्यों से बेहद ऊपर है और तब तक कश्मीर मुद्दा नहीं सुलझ सकता जबतक वहां तुष्टीकरण की राजनीति को खत्म ना किया जाए।

जम्मू कश्मीर पर डोभाल की राय

1.नैतिकता की अप्रासंगिकता
2. उग्रवाद से राज्य को छुटकारा दिला देना
3. सैन्य शक्ति पर निर्भरता


सरकार की कश्मीर नीति पर सवाल

विपक्षी पार्टियां सरकार पर लगातार ये आरोप लगा रहा है कि पाकिस्तान के खिलाफ सरकार की विदेश नीति साफ नहीं है और वो डोभाल की नीति पर भी सवाल उठा रहे हैं।
विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि हाल ही पठानकोट एयरबेस और उरी में हुआ आंतकी हमला सिर्फ कश्मीर में फैली अशांति का कारण नहीं है बल्कि ये देश की सुरक्षा और अखंडता पर
हमला है। उनका आरोप ये भी है कि डोभाल पाकिस्तान पर शांति और कूटनीतिक दोनों ही मुद्दे पर असफल है।

अब क्या करेगी मोदी सरकार

उरी में सेना मुख्यालय पर हुए हमले के बाद सरकार की विदेश नीति खासकर पाकिस्तान को लेकर सवालों के घेरे में है क्या सरकार पाकिस्तान के खिलाफ सुराक्षात्मक-आक्रमक नीति पर ही काम करेगी या फिर उसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी घटनाओं के खिलाफ अपनी नीति में बदलाव की जरूरत है।