ISRO ने रचा इतिहास, लांच किए एक साथ 8 उपग्रह, दो कक्षाओं में हुआ स्थापित
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने सबसे मुश्किल और लंबे मिशन पीएसएलवी-C35 को लांच कर दिया है। यह रॉकेट 8 उपग्रहों को दो अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित करेगा।
नई दिल्ली:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने सबसे मुश्किल और लंबे मिशन पीएसएलवी-C35 को लांच कर दिया है। यह रॉकेट 8 उपग्रहों को दो अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित करेगा। इनमें भारत के तीन और अमेरिका-कनाडा और अल्जीरिया के 5 सैटेलाइट्स शामिल हैं। उपग्रह को कक्षा तक पहुंचाने में 2.15 घंटे से ज्यादा समय लगेगा।
लाइव अपडेट्सः-
प्रधानमंत्री ने इसरो की सफलता पर वैज्ञानिकों को दी बधाई कहा, यह क्षण भारत के लिए गौरवानवित करने वाला है।
Moment of immense joy & pride for India. Congratulations to @isro on successful launch of PSLV-C35/SCATSAT-1 & 7 co-passenger satellites.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 26, 2016
Our space scientists keep scripting history. Their innovative zeal has touched the lives of 125 crore Indians & made India proud worldwide.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 26, 2016
इसरो की सफलता पर राष्ट्रपति ने वैज्ञानिकों दी बधाई
Hearty congratulations to ISRO on successfully launching PSLV-C35 carrying SCATSAT-1 & 7 co-passenger satellites #PresidentMukherjee
— President of India (@RashtrapatiBhvn) September 26, 2016
पीएसएलवी-C35 की यह सैंतिसवी और एक्सएल मोड में यह पंद्रहवीं उड़ान है।
इसरो का ये पहला मिशन है, जिसमें सैटेलाइट्स को दो अलग-अलग ऑर्बिट में पहुंचाया जाएगा।
SCATSAT-1 सैटेलाइट्स से समुद्र, मौसम की जानकारी मिलेगी।
आईआईटी मुंबई का 'प्रथम' और बेंगलुरु यूनिवर्सिटी का सैटेलाइट 'पिसाट' भी जा रहा है साथ
#WATCH ISRO successfully launches PSLV'S longest flight with SCATSAT-1 & other 7 satellites on board pic.twitter.com/8Kp1eazSr2
— ANI (@ANI_news) September 26, 2016
मिशन की खासियत
पीएसएलवी-C35 की यह सैंतिसवी और एक्सएल मोड में यह पंद्रहवीं उड़ान है। इसरो का ये पहला मिशन है, जिसमें सैटेलाइट्स को दो अलग-अलग ऑर्बिट में पहुंचाया जाएगा। इस अभियान में भारत तीन उपग्रह हैं जिसमें कि SCATSAT-1 सैटेलाइट्स से समुद्र, मौसम की जानकारी मिलेगी। उपग्रह के जरिए समुद्र के अंदर होने वाली हर हलचल यानी साइक्लोन और तूफान पर नजर रखा जा सकता है।
इस अभियान के तहत आईआईटी मुंबई का 'प्रथम' और बेंगलुरु यूनिवर्सिटी का सैटेलाइट 'पिसाट' भी साथ जाएगा। 'प्रथम' का वजन 10 किग्रा है जबकि बेंगलुरु यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स का बनाया 'पिसाट' 5.25 किग्रा का है।
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