logo-image

मुलायम सिंह यादव सक्रिय राजनीति से लें सन्यास- मायावती

बसपा सुप्रीमों मायावती ने राज्य मुख्यालय पर वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक के दौरान कहा कि समाजवादी पार्टी में उनके परिवार के लोग किसी-ना-किसी रूप में राजनीति में शामिल हैं और उन सबके अपने-अपने स्वार्थ हैं। ऐसे में सपा परिवार की आपसी घमासान, कलह और गंभीर विवादों की समय-समय पर आने वाली ख़बरें ‘ड्रामेबाजी’ है

Updated on: 15 Sep 2016, 10:09 PM

नई दिल्ली:

बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में जारी अंतर्कलह को ‘ड्रामेबाजी’ बताया है। मायावती ने कहा कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को अब पुत्रमोह त्याग कर सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए।

बसपा सुप्रीमों मायावती ने राज्य मुख्यालय पर वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक के दौरान कहा कि समाजवादी पार्टी में उनके परिवार के लोग किसी-ना-किसी रूप में राजनीति में शामिल हैं और उन सबके अपने-अपने स्वार्थ हैं। ऐसे में सपा परिवार की आपसी घमासान, कलह और गंभीर विवादों की समय-समय पर आने वाली ख़बरें ‘ड्रामेबाजी’ है, जो चुनाव को देखते हुए जनता का ध्यान बांटने के लिए किया गया है।

उन्होंने कहा कि अगर फिर भी इसमें सच्चाई है तो प्रदेश की जनता के हित को देखते हुए सपा परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव को पुत्रमोह त्याग कर सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए।

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से राजनीतिक मसलों को लेकर परिवार के अन्दर घमासान मचा हुआ है। लेकिन 13 सितम्बर को ये विवाद तब बढ़ गया, जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश के मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटा दिया था। जानकारों का मानना है कि सिंघल अखिलेश के चाचा कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के करीबी है जिसकी वजह से दीपक सिंघल को अपने पद से हटाया गया।

जिसके बाद ख़बर आयी कि मुलायम ने बेटे अखिलेश से प्रदेश सपा अध्यक्ष का पद छीनकर शिवपाल को दे दिया।  इस घटना के कुछ ही घंटों बाद मुख्यमंत्री अखिलेश ने भी शिवपाल से लोक निर्माण, सिंचाई और सहकारिता जैसे महत्वपूर्ण विभाग छीन लिए। 

आख़िरकार सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने गुरुवार को स्वीकार किया कि अखिलेश को बताए बगैर प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाना पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की गलती थी।