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फिनलैंड की बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था से क्या-क्या सीख सकता है भारत

आखिर क्या है फिनलैंड की शिक्षा व्यवस्था। क्यों फिनलैंड की शिक्षा व्यवस्था छात्रों के लिए स्वर्ग माना जाता है।

Updated on: 17 Sep 2016, 03:03 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आजकल फिनलैंड के दौरे पर हैं। बताया गया है कि वो फिनलैंड की शिक्षा व्यवस्था से प्रभावित हैं और इससे सीख लेकर दिल्ली के प्राइमरी स्कूलों में बड़े सुधार करना चाहते हैं। तो हम आपको बताएंगे कि फिनलैंड से आखिर क्या सीख सकता है हमारा देश। दरअसल फिनलैंड एक बहुत छोटा सा मुल्क है जिसने ने पिछले 40 सालों में प्राइमरी शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया में एक बड़ी उपलब्धी हासिल की है। 

1.   भारत में जहाँ एक तरफ गरीबी ने समान शिक्षा व्यवस्था की नींव हिला दी है। वहीं फिनलैंड की कामयाबी यही समान शिक्षा व्यवस्था बनी है। फिनलैंड एक ऐसा मुल्क जिसने अपने छात्रों के लिए 16 साल तक शिक्षा सौ फीसदी मुफ्त कर दी है। जी हाँ फिनलैंड में शिक्षा के मौलिक अधिकार के तहत आते हैं और अगर आप छात्र हैं तो इस मुल्क में पैसों की तंगी आपकी शिक्षा में रूकावट नहीं बन सकती।

2. यहाँ छात्रों पर सुबह जबरदस्ती स्कूल जाने का दबाव नहीं होता है बल्कि वो अपनी मर्जी से खुशी खुशी स्कूल जाते हैं। बच्चों को अपने ढंग से पढ़ाई करने की छूट दी जाती है। बच्चे क्लास में बांसुरी बजाते हैं। उनको अंग्रेजी भी मस्ती के अंदाज में सिखाई जाती है। यहाँ के स्कूलों में फिनीश और स्वीडिश बोली जाती है इसीलिए इनको अंग्रेजी सिखाने के लिए अंग्रेजी गाने सिखाए जाते हैं। 

3.   दूसरी बड़ी बात ये है कि यहाँ स्कूलों में कोई इम्तिहान नहीं लिया जाता है। छात्रों को क्लास 6 से पहले किसी भी तरह का कोई इम्तिहान नहीं देना पड़ता है। सिर्फ एक स्टैन्डर्ड देश व्यापी इम्तिहान होता है जो 16 साल की उम्र में स्कूल पास करने के बाद ही लिया जाता है। 

4.   फिनलैंड में भारत की तरह शिक्षा में गैरबराबरी देखने को नहीं मिलती। यहाँ के गाँव और शहरों की शिक्षा व्यवस्था एक जैसी होती है। भारत में शहरों में ठीक ठाक तालीम मुश्किल से मिल पाती है ऐसे में दूर दराज के गाँव में पढ़ाई का क्या हाल होगा अंदाजा लगाया जा सकता है।

5. फिनलैंड में प्राइमरी शिक्षा प्राइवेट स्कूलों और सरकारी स्कूलों दोनों में एक समान ही है। कमाल की बात है कि मुल्क के 99 फीसदी बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। दूसरी तरफ कोई प्राइवेट ट्युशन इंडस्ट्री भी नहीं है क्योंकि छात्रों ने इसकी जरूरत ही नहीं है। ट्युशन के बजाए 30 फीसदी छात्रों को नौवीं क्लास तक टीचरों के द्वारा अलग से पढ़ाई में मदद दी जाती है।

6  बच्चों की प्राइमरी तालीम ही उसकी असली शिक्षा होती है। यही प्राइमरी शिक्षा छात्रों के जीवन की दशा और दिशा तय करती है। और इसी लिए यहाँ सरकार की तरफ से स्कूलों को निर्देश हैं कि वो अपने स्कूल के हर छात्र की तालीम पर ध्यान दें बजाए इसके कि सिर्फ चंद टॉपर छात्र पैदा करके स्कूल का नाम रौशन करने की जुगत लगाए।

7.  कुछ लोगों के लिए फिनलैंड में तालीम हासिल करना एक सपने की दुनिया में जाकर शिक्षा प्राप्त करने जैसा है।यहाँ एक दिन में बच्चों को सवा घंटे का लंच ब्रेक मिलता है। वहीं टीचर एक दिन में सिर्फ 4 घंटे एक क्लास में पढ़ाते हैं। शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह सरकारी है।

 8. यहाँ दुनिया के सबसे तेज़ और सबसे कमजोर छात्रों के बीच का फासला सबसे कम है। स्कूलों में सिर्फ मेधावी छात्रों को जगह नहीं मिली है बल्कि कमजोर छात्रों पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है। कुछ छात्र जो पढ़ाई में कमजोर हैं उनकी ज्यादा मदद की जाती है। और यही वजह है कि यहाँ 93 फीसदी छात्र हाई स्कूल ग्रेजुएट हैं। 

9.   शिक्षक किसी भी शिक्षा व्यवस्था की सबसे अहम कड़ी होते हैं। इसीलिए फिनलैंड में टीचर बनना सबसे सम्मानित प्रोफेशन माना जाता है। यहाँ लोग डाक्टर या इंजीनियर नहीं बल्कि टीचर बनना सबसे शान की बात समझते हैं। सभी शिक्षकों के लिए मास्टर डिग्री होना अनिवार्य है। सिर्फ 10 प्रतिशत लोंगों को शिक्षक के तौर पर चुना जाता है जो टॉप ग्रेजुएट रहे हैं।

10.   यहाँ टीचरों के पास दिन में इतना समय होता है कि वो आपस में मिल बैठकर सिलेबस से जुड़ी बातों पर नई रणनिति तैयार कर सकें। किसी भी क्लास में 15 मिनट से ज्यादा पढ़ाया नहीं जा सकता है ताकि वो बाकी वक्त अपने हिसाब से गुजार सकें। लंच ब्रेक भी कम से कम सवा घंटे का होता है। शिक्षकों को सिलेबस का केवल एक मोटा मोटा खाका ही दिया जाता है और शिक्षक अपने हिसाब से ही तय करते हैं कि वो छात्रों को किस ढंग से पढ़ाएंगे।