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सिद्धू ने किया नए मोर्चे का एलान, दिया पंजाब, पंजाबियत और पंजाबी का नारा

आम आदमी पार्टी से बात न बन पाने के बाद बीजेपी छोड़ चुके नवजोत सिंह सिद्धू ने नए मोर्चे का एलान किया है। अपने मोर्चे ‘आवाज-ए-पंजाब’ का एलान करते हुए सिद्धू ने पंजाब, पंजाबियत और पंजाबी का नारा दिया। उन्होंने कहा आम आदमी पार्टी और बीजेपी उन्हें सजावटी सामान बना कर रखना चाहती थी।

Updated on: 08 Sep 2016, 01:08 PM

Chandigarh:

आम आदमी पार्टी से बात न बन पाने के बाद बीजेपी छोड़ चुके नवजोत सिंह सिद्धू ने नए मोर्चे का एलान किया है। अपने मोर्चे ‘आवाज-ए-पंजाब’ का एलान करते हुए सिद्धू ने पंजाब, पंजाबियत और पंजाबी का नारा दिया। उन्होंने कहा आम आदमी पार्टी और बीजेपी उन्हें सजावटी सामान बना कर रखना चाहती थी।

सत्ताधारी अकाली दल और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पर हमला करते हुए सिद्दू ने कहा कि बादल और कैप्टन एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं।

सिद्धू ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, केजरीवाल ने मेरे साथ बैठक को लेकर ट्वीट तो किया था, लेकिन उन्होंने आधा सच बताया। उन्होंने कहा, “मैंने केजरीवाल को कहा कि मेरी भूमिका तय करें। इस पर केजरीवाल ने कहा कि आप अपनी पत्नी डा. नवजोत कौर सिद्धू को चुनाव लड़वाइये। मुझे वो सिर्फ प्रचार करने के लिये कह रहे थे।” सिद्धू ने कहा कि केजरीवाल को लगता है कि सिर्फ वही ईमानदार हैं।

सिद्धू ने बादल परिवार पर भी निशाना साधा और कहा कि पंजाब पर काले बादल मंडरा रहे हैं और सूरज को निकलने नहीं दिया जा रहा है। पंजाब को एक ही परिवार चला रहा है और अब यहां बदलाव लाने की जरूरत है।

सिद्धू ने बीजेपी को भी नहीं छोड़ा, उन्होंने कहा कि चुनावों में बीजेपी मुझसे बादल का प्रचार करवाना चाहती थी। उन्होंने कहा कि बीजेपी और राज्यसभा से इस्तीफा देने का करण भी यही था। आम आदमी पार्टी का इस्तीफे से कोई लेना-देना नहीं है।

सिद्धू ने कहा कि “आवाज-ए-पंजाब” एक मोर्चे है, जो लोग ईमानदार हैं और लोकतंत्र को मजबूत करना चाहते हैं वो साथ आएं। आने वाले दिनों मोर्चे की नीति और दिशा का एलान किया जाएगा।

सिद्धू का साथ पूर्व अकाली दल विधायक परगट सिंह और लुधियाना से निर्दलीय विधायक सिमरजीत सिंह बैंस भी मौजूद थे। खबर है कि आम आदमी पार्टी से निकाले गए सुच्चा सिंह भी आवाज-ए-पंजाब में शामिल हो सकते हैं।

जानकारी हो कि सिद्धू पंजाब की अकाली सरकार से नाराज़ थे और बादल परिवार का मुखर विरोध कर रहे थे। जिसके कारण बीजेपी से खटास बढ़ गई थी। इसके अलावा अमृतसर से लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ने दिया गया और वहां से अरूण जेटली को टिकट दिया गया था, लेकिन वे हार गये। जेटली की हार का ठीकरा भी सिद्धू पर फोड़ा गया। जिसको लेकर सिद्धू काफी नाराज थे।