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जाने, भारत-फ्रांस राफेल फाइटर जेट डील से क्यों डर रहा है चीन और पाकिस्तान

भारत-फ्रांस राफेल सौदे पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किया गया। इस दौरान भारत और फ्रांस के रक्षामंत्री मौजूद थे। सौदे के तहत 7.87 बिलियन यूरो यानि 59 हजार करोड़ की लागत से 36 राफेल विमान खरीदे जाएंगे।

Updated on: 23 Sep 2016, 06:50 PM

नई दिल्ली:

भारत-फ्रांस राफेल सौदे पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किया गया। इस दौरान भारत और फ्रांस के रक्षामंत्री मौजूद थे। सौदे के तहत 7.87 बिलियन यूरो यानि 59 हजार करोड़ की लागत से 36 राफेल विमान खरीदे जाएंगे।

राफेल विमान की खासियत:-
> राफेल के साथ ही भारत ऐसे हथियारों से लैस हो जायेगा जिसका एशिया महाद्वीप में कोई सानी नहीं।
> राफेल के साथ मेटीओर मिसाइल्स जो हवा से हवा में 150 किमी तक मार कर सकती हैं।
> राफेल मीका मिसाइल से भी लैस है जिसकी रेंज हवा से हवा में 79 किमी है।
> स्काल्प मिसाइल भी राफेल के साथ है क्रूज मिसाइल की श्रृंखला में आती है और इसका रेंज 300 किमी है।
> इस डील के बाद चीन हो या पाकिस्तान भारत की हवाई ताकत के जद में आ जाएंगे और भारत के सामने कमतर ही महसूस करेंगे।

डील में सरकार ने बचाए पैसे:-
पुरानी डील की कीमत करीब 1.20 लाख हजार करोड़ (एक लाख बीस हजार करोड़ रूपये) थी। फ्रांस नई सौदे की कीमत करीब 65 हजार करोड़ चाहता था। लेकिन, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर सौदे की कीमत कम कराना चाहते थे। जिसमें भारत को कामयाबी मिली है। अब ये सौदा 59 हजार करोड़ में तय हुआ है। राफेल बनाने वाली कंपनी 5 साल की वारंटी भी देगी। साथ ही अगर 36 महीने में राफेल विमान को देने में देरी हुई तो कंपनी पर पेनल्टी भी लगेगी।

2007 से हो रही थी कोशिश:-
साल 2007 से भारत-फ्रांस के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी कर रहा है। लेकिन सौदा किसी ना किसी कारण से अटका हुआ था। लेकिन पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस की यात्रा के दौरान ऐलान किया कि भारत फ्रांस की सरकार से सीधे 36 फाइटर जेट्स खरीदेगा। यूपीए सरकार के दौरान भारत 126 विमानों का सौदा करना चाहता था।