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नवरात्र के पहले दिन करें शैलपुत्री माता की पूजा, सुख-समृद्धि की होगी बौछार

इस बार हिंदुओं का खास पर्व नवरात्र 1 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। 1 से 10 अक्टूबर तक चलने वाला यह नवरात्रों मां दुर्गा के भक्तों के लिए बेहद खास होगा। इस नवरात्रों पर 16 साल बाद जो महायोग बना है, वह सभी के लिए सुख-समृद्धि और ढ़ेरों खुशियां लाने वाला है। आज हम आपको पहले नवरात्रों में पूजी जाने वाली मां शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्रोजाप के बारे में बताने जा रहे हैं। इसे सच्ची भक्ति के साथ करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी।

Updated on: 01 Oct 2016, 10:55 AM

नई दिल्ली:

इस बार हिंदुओं का खास पर्व नवरात्र 1 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। 1 से 10 अक्टूबर तक चलने वाला यह नवरात्रों मां दुर्गा के भक्तों के लिए बेहद खास होगा। इस नवरात्रों पर 16 साल बाद जो महायोग बना है, वह सभी के लिए सुख-समृद्धि और ढ़ेरों खुशियां लाने वाला है।

आज हम आपको पहले नवरात्रों में पूजी जाने वाली मां शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्रोजाप के बारे में बताने जा रहे हैं। इसे सच्ची भक्ति के साथ करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी।

1. नवरात्रों के पहले दिन शैलपुत्री माता की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के पहले रूप शैलपुत्री माता को बहुत ही सौम्य और भक्तों को शांत‌ि-मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है।

2. हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा है। पहले दिन शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए ध्यान लगाकर इनकी उपासना करें। इससे आत्मा को मोक्ष मिलता है और मन शुद्ध होता है।

3. शैलपुत्री माता के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल रहता है। पूर्व जन्म में इनका नाम सती था, जो बाद में पार्वती और हैमवती के नाम से भी विख्यात हुईं।
इन्होंने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था।

4. मां शैलपुत्री का पूजन करने के लिए उनकी तस्वीर के नीचे लकड़ी की चौकी पर लाल का रंग का कपड़ा बिछायें, इसके ऊपर केसर से श लिखें और उसके ऊपर मनोकामना पूर्ति की गुटिका रखें। इसके पश्चात हाथों में लाल रंग का गुलाब लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान लगाएं।

5. ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम: मंत्र के साथ ही गुलाब का फूल और मनोकामना पूर्ति गुटिका शैलपुत्री की तस्वीर पर चढ़ाएं। साथ ही इस जाप को 108 बार दोहराएं। इसके बाद भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।

6. ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम: मंत्र भी आपको मां से जोड़ेगा। इससे आपको मन की शांति मिलेगी और जीवन के सभी दुख दूर हो जाएंगे। माता का ये पाठ भी आपके जीवन को खुशियों से माला माल कर देगा।

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्.
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्.
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन.
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥