logo-image
ओडिशा नाव हादसे में मरने वालों की संख्या हुई सात, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी Punjab: संगरूर जेल में धारदार हथियार से हमला, दो कैदियों की मौत और 2 घायल Punjab: कांग्रेस को झटका, तेजिंदर सिंह बिट्टू ने छोड़ी पार्टी, बीजेपी में होंगे शामिल Karnataka: बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन पहले पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव की मौजूदगी में कई कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल कर्नाटक: पुलिस ने कांग्रेस नेता रिजवान अरशद और रणदीप सिंह सुरजेवाला को हिरासत में लिया पंजाब में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका पूर्व सांसद संतोख सिंह चौधरी की पत्नी करमजीत कौर आज दिल्ली में बीजेपी में शामिल हो गईं.

दोषियों के चुनाव लड़ने पर लाइफ टाइम बैन लगाने की याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस

दोषी शख्स के आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। दोषी ठहराए गए लोगों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि जिस तरह से दोषी व्यक्ति सरकारी नौकरी और ज्युडिशियरी में नहीं आ सकते उसी तरह दोषियों के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाई जानी चाहिये।

Updated on: 15 Sep 2016, 02:35 PM

नई दिल्ली:

दोषी शख्स के आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। दोषी ठहराए गए लोगों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि जिस तरह से दोषी व्यक्ति सरकारी नौकरी और ज्युडिशियरी में नहीं आ सकते उसी तरह दोषियों के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाई जानी चाहिये।

सुप्रीम कोर्ट जज रंजन गोगोई और पी सी पंत की बेंच ने इस मामले में केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। साथ ही याचिका में कहा गया है कि चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम एजुकेशनल क्वॉलिफिकेशन होनी चाहिए और साथ ही अधिकतम उम्र सीमा तय होनी चाहिए।

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय अपनी याचिका में कहा है कि आतंकवाद और नक्सलवाद के अलावा देश में राजनीति के अपराधीकरण और भ्रष्टाचार का मामला गंभीर है। ऐग्जिक्युटिव व जुडिशयरी में जैसे ही कोई शख्स क्रिमिनल ऑफेंस में दोषी करार दिया जाता है वह सस्पेंड हो जाता है और नौकरी से बाहर कर दिया जाता है। लेकिन विधायिका में अलग इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है।