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Health Insurance जरूरी तो है लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है Critical Illness Cover, जानें यहां

Critical Illness Insurance: बढ़ते प्रदूषण और बदलती जीवनशैली की वजह से कैंसर जैसी अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. इसीलिए मौजूदा समय में क्रिटिकल इलनेस कवर बहुत जरूरी हो गया है.

Updated on: 13 May 2019, 10:19 AM

highlights

  • क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में कैंसर, पैरालिसिस, दिल का दौरा जैसी बीमारियां कवर 
  • क्रिटिकल इलनेस कवर को टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) के साथ लिया जा सकता है
  • क्रिटिकल इलनेस कवर को अलग से लेने पर उम्र बढ़ने के साथ प्रीमियम में भी बदलाव 

नई दिल्ली:

Health Insurance: मेडिकल इमरजेंसी (Medical Emergency) आपको कभी भी हो सकती है. इस स्थिति से निपटने के लिए ही लोग आजकल हेल्थ इंश्योरेंस (Health
Insurance) पॉलिसी या Mediclaim plan लेते हैं. हेल्थ पॉलिसी से परिवार के सदस्यों को समय पर पर्याप्त इलाज संभव हो पाता है. साथ ही अस्पताल के ऊपर होने वाले मोटे खर्च से भी निजात मिलती है.

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हालांकि हेल्थ इंश्योरेंस से आपकी ज्यादातर बीमारियां कवर हो जाती हैं लेकिन बढ़ते प्रदूषण और बदलती जीवनशैली की वजह से आजकल कैंसर जैसी अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. इन बीमारियों को कवर करने के लिए कंपनियां आजकल क्रिटिनल इलनेस कवर (Critical Illness Insurance) भी ऑफर कर रही हैं. इस रिपोर्ट में हम समझने की कोशिश करेंगे कि गंभीर बीमारी (क्रिटिकल इलनेस) से बचाव के लिए ग्राहक Critical Illness कवर को कैसे हासिल करें.

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क्यों जरूरी है क्रिटिनल इलनेस कवर - Why Critical Illness Cover Is Important
कैंसर (Cancer), हृदय रोग जैसी बीमारियों को देखते हुए आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हेल्थ इंश्योरेंस में क्रिटिकल इलनेस कवर बेहद जरूरी हो गया है. मान लीजिए की आपको कोई गंभीर बीमारी हो जाए इसलिए यह बेहद जरूरी है कि पहले से इससे निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली जाए. इस स्थिति से निपटने के लिए क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान इसका अच्छा विकल्प है. ये जानलेवा बीमारियों के इलाज में होने वाले खर्च से निजात दिलाता है.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट - Experts View
इंश्योरेंस सेक्टर के जाने माने एक्सपर्ट और सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर (CFP) हर्षवर्धन रूंगटा (Harshvardhan Roongta, CFP) के मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस (Mediclaim Policy) को एकदम अलग (सेपरेट) रखना चाहिए. इसमें किसी भी तरह के राइडर को कवर नहीं करना चाहिए. हेल्थ इंश्योरेंस के साथ क्रिटिकल इलनेस कवर लेने पर दूसरी कंपनी में पोर्टेबिलिटी के समय परेशानी हो सकती है. मान लीजिए की वह कंपनी आपको क्रिटिकल इलनेस कवर नहीं दे रही है तो फिर आपको दिक्कत हो जाएगी. इसलिए आपको हर पहलुओं पर खास ध्यान देने की जरूरत है.

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हर्षवर्धन रूंगटा का कहना है कि क्रिटिकल इलनेस कवर को टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) के साथ लिया जा सकता है. हालांकि उनका कहना है कि इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि टर्म इंश्योरेंस की मैच्योरिटी के समय आपका क्रिटिकल इलनेस कवर भी पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. उनका कहना है कि टर्म प्लान के साथ क्रिटिकल इलनेस कवर लेने पर पॉलिसी अवधि के दौरान इसके प्रीमियम में कोई बदलाव नहीं होता है. वहीं क्रिटिकल इलनेस कवर को अलग से लेने पर उम्र बढ़ने के साथ ही इसके प्रीमियम में भी बदलाव होगा.

हर्षवर्धन रूंगटा कहते हैं कि क्रिटिकल इलनेस (CI or Critical Illness) इंश्योरेंस को उपभोक्ता सेपरेट भी ले सकते हैं. उनका कहना है कि मौजूदा समय में मार्केट में कई इंश्योरेंस कंपनियां क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस की बिक्री कर रही हैं. उनके मुताबिक एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस और बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी के पास अच्छी क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी उपलब्ध हैं.

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क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी की अहम बातें - Important points Of CI

  • क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में कैंसर, पैरालिसिस, दिल का दौरा जैसी जानलेवा बीमारियां कवर
  • गंभीर बीमारी यानि क्रिटिकल इलनेस की डायग्नोसिस पर पॉलिसीधारक को बीमा की रकम मिलती है
  • कुछ पॉलिसी में वेटिंग पीरियड की बंदिश, वेटिंग पीरियड के भीतर पता चलने पर गंभीर बीमारी अकसर कवर नहीं होती

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Health Insurance के प्रीमियम पर टैक्स छूट
Income Tax Act के Section 80D के मुताबिक health insurance के प्रीमियम पर टैक्स छूट मिलती है. हेल्थ इंश्योरेंस में आप और आपका परिवार शामिल हो सकता है. यहां पर आपके परिवार से आशय है पति या पत्नी, आप पर आश्रित बच्चे और आप पर आश्रित माता-पिता. भाई-बहन या अन्य संबंधियों को इस मामले में परिवार का हिस्सा नहीं माना जाता है.

(Disclaimer: निवेशक निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर लें. न्यूज स्टेट की खबर को आधार मानकर निवेश करने पर हुए लाभ-हानि का न्यूज स्टेट से कोई लेना-देना नहीं होगा. निवेशक स्वयं के विवेक के आधार पर निवेश के फैसले लें)