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ऑनलाइन बैंकिंग करने वालों के लिए बड़ी खबर, पढ़ें रिजर्व बैंक का ये नया फैसला

RBI Credit Policy: रिजर्व बैंक (RBI) ने RTGS, NEFT पर से चार्जेज हटाने का निर्णय लिया है. रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती भी कर दी है.

Updated on: 06 Jun 2019, 12:43 PM

नई दिल्ली:

RBI Credit Policy: रिजर्व बैंक (RBI) ने RTGS, NEFT पर से चार्जेज हटाने का निर्णय लिया हैं. वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती कर दी है. रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की है. RBI ने रेपो रेट 6 फीसदी से घटाकर 5.75 फीसदी कर दिया है. वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 5.75 फीसदी से घटाकर 5.50 फीसदी कर दिया है. मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट (MSFR) 6.25 फीसदी और बैंक रेट 6.25 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया है. रिजर्व बैंक (RBI) ने अप्रैल और फरवरी में भी ब्याज दरों में कटौती की थी. गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर महीने में उर्जित पटेल के इस्‍तीफे के बाद शक्तिकांत दास ने RBI गवर्नर का पदभार संभाला था. रिजर्व बैंक ने FY20 GDP ग्रोथ अनुमान 7.2% से घटाकर 7% कर दिया है.

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रिजर्व बैंक (RBI) ने अप्रैल और फरवरी में भी ब्याज दरों में कटौती की थी. गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर महीने में उर्जित पटेल के इस्‍तीफे के बाद शक्तिकांत दास ने RBI गवर्नर का पदभार संभाला था. रिजर्व बैंक ने FY20 GDP ग्रोथ अनुमान 7.2% से घटाकर 7% कर दिया है.

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अभी तक RTGS और NEFT पर चार्ज वसूलता था RBI
गौरतलब है कि अभी तक RBI RTGS और NEFT पर चार्ज वसूलता था. शीर्ष बैंक 2 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की आरटीजीएस के लिए 25 रुपये और टाइम वैरिंग चार्ज लेता था. वहीं 5 लाख रुपये से अधिक के लिए ये बैंक 50 रुपये और टाइम वैरिंग चार्ज वसूलता था. 8 घंटे से 11 घंटे तक के लिए बैंक कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लेता था. 11 घंटे से 13 घंटे के लिए चार्ज 2 रुपए अतिरिक्त, 13 घंटे से 16.30 घंटे के लिए 5 रुपये अतिरिक्त और 16.30 घंटे से ज्यादा के लिए 10 रुपये अतिरिक्त चार्ज वसूलता था.

NEFT के लिए बैंक 10 हजार रुपये तक की राशि पर 2.50 रुपये, 10 हजार रुपये से ज्यादा और 1 लाख रुपये तक की राशि पर 5 रुपये, एक लाख रुपये से 2 लाख रुपये तक की राशि पर 15 रुपये और 2 लाख रुपये से ज्यादा की राशि पर 25 रुपये वसूलता है.

ब्याज दरें घटने पर उपभोक्ताओं को मिलती है राहत
ब्याज दरें घटाने का मतलब है कि अब बैंक जब भी RBI से फंड लेंगे, उन्हें नई दर पर पैसा मिलेगा. सस्ती दर पर बैंकों को मिलने वाले फंड का फायदा बैंक उपभोक्ताओं को भी देंगे. सस्ती कर्ज और सस्ती EMI के जरिए उपभोक्ताओं को फायदा मिलता है. जब भी रेपो रेट (Repo Rate) घटता है तो कर्ज लेना सस्ता हो जाता है. साथ ही जो कर्ज फ्लोटिंग हैं उसकी EMI भी कम जाती है.