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कांग्रेस और AIADMK के वॉकआउट के बीच लोकसभा में तीन तलाक़ बिल पास, किसने क्या कहा...

आख़िरकार लोकसभा में तीन तलाक़ बिल-2018 पारित हो गया. सदन में मौजूद 256 सांसदों में से इस बिल के पक्ष में 245 सदस्यों ने वोट किया वहीं 11 सदस्यों ने इसके विपक्ष में मतदान किया.

Updated on: 27 Dec 2018, 09:09 PM

नई दिल्ली:

मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाये गए 'मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक' को लोकसभा की मंजूरी मिल गई. विधेयक में सजा के प्रावधान का कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया और इसे संयुक्त प्रवर समिति में भेजने की मांग की. हालांकि सरकार ने स्पष्ट कि यह विधेयक किसी को निशाना बनाने के लिए नहीं बल्कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लाया गया है. सदन ने एन के प्रेमचंद्रन के सांविधिक संकल्प एवं कुछ सदस्यों के संशोधनों को नामंजूर करते हुए महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 को मंजूरी दे दी.

विधेयक पर मत विभाजन के दौरान इसके पक्ष में 245 वोट और विपक्ष में 11 मत पड़े. क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के विधेयक पर चर्चा के जवाब के बाद कांग्रेस, सपा, राजद, राकांपा, तृणमूल कांग्रेस, तेदेपा, अन्नाद्रमुक, टीआरएस, एआईयूडीएफ ने सदन से वाकआउट किया. प्रेमचंद्रन के सांविधिक संकल्प में 19 दिसंबर 2018 को प्रख्यापित मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश 2018 का निरनुमोदन करने की बात कही गई है.

विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इसे राजनीति के तराजू पर तौलने की बजाय इंसाफ के तराजू पर तौलते की जरूरत है. उनकी सरकार के लिये महिलाओं का सशक्तिकरण वोट बैंक का विषय नहीं है. उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि महिलाओं का सम्मान होना चाहिए.

प्रसाद ने विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति को भेजने की विपक्ष मांग को खारिज किया. उन्होंने कहा कि इसे प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग के पीछे एक ही कारण है कि इसे आपराधिक क्यों बनाया गया.

उन्होंने कहा कि संसद ने 12 वर्ष से कम उम्र की बालिका से बलात्कार के मामले में फांसी की सजा संबंधी कानून बनाया. क्या किसी ने पूछा कि उसके परिवार को कौन देखेगा. दहेज प्रथा के खिलाफ कानून में पति, सास आदि को गिरफ्तार करने का प्रावधान है. जो दहेज ले रहे हैं, उन्हें पांच साल की सजा और जो इसे प्रात्साहित करते हैं, उनके लिये भी सजा है. इतने कानून बने, इन पर तो सवाल नहीं उठाया गया.

विधि मंत्री ने कहा कि तीन तलाक के मामले में सवाल उठाया जा रहा है, उसके पीछे वोट बैंक की राजनीति है. यह मसला वास्तव में वोट बैंक से जुड़ा है.

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि शाह बानो मामले में जब संसद में बहस हुई तब डेढ़ दिनों तक कांग्रेस उच्चतम न्यायालय के फैसले के साथ थी लेकिन बाद में वह बदल गई.

विधेयक पर चर्चा के बाद सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह विधेयक संविधान के कई अनुच्छेदों के खिलाफ है और इसे संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदन से वाक आउट करने की घोषणा की.

इससे पहले विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस विधेयक को चर्चा एवं पारित कराने के लिए लोकसभा में रखा. इस पर कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, वाम दलों, तृणमूल कांग्रेस, राजद, राकांपा, सपा जैसे दलों ने विधेयक पर व्यापक चर्चा के लिये इसे संसद की संयुक्त प्रवर समिति के समक्ष भेजने की मांग की. प्रसाद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा तीन तलाक असंवैधानिक घोषित करने की पृष्ठभूमि में यह विधेयक लाया गया है. जनवरी 2017 के बाद से तीन तलाक के 417 वाकये सामने आए हैं.

उन्होंने कहा कि पत्नी ने काली रोटी बना दी, पत्नी मोटी हो.. ऐसे मामलों में भी तीन तलाक दिये गए हैं.

प्रसाद ने कहा कि 20 से अधिक इस्लामी मुल्कों में तीन तलाक नहीं है. हमने पिछले विधेयक में सुधार किया है और अब मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है.

मंत्री ने कहा कि संसद ने दहेज के खिलाफ कानून बनाया, घरेलू हिंसा के खिलाफ कानून बनाया, महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिये कानून बनाया. तब यह संसद तीन तलाक के खिलाफ एक स्वर में क्यों नहीं बोल सकती? रविशंकर प्रसाद ने कहा , 'इस पूरे मामले को सियासत की तराजू पर नहीं तौलना चाहिए, इस विषय को इंसाफ के तराजू पर तौलना चाहिए.'

उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई सुझाव है तो बताये... लेकिन सवाल यह है कि क्या राजनीतिक कारणों से तील तलाक पीड़ित महिलाओं को न्याय नहीं मिलेगा.' उन्होंने कहा कि यह नारी सम्मान एवं न्याय से जुड़ा है और संसद को एक स्वर में इसे पारित करना चाहिए.

विपक्षी सदस्यों द्वारा इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग पर स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि यह महत्वपूर्ण विधेयक है और सदन को इस पर चर्चा करनी चाहिए । उल्लेखनीय है कि मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक पहले लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में यह पारित नहीं हो सका ।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने शायरा बानो बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले तथा अन्य संबद्ध मामलों में 22 अगस्त 2017 को 3 : 2 के बहुमत से तलाक ए बिद्दत (एक साथ और एक समय तलाक की तीन घोषणाएं) की प्रथा को समाप्त कर दिया था जिसे कतिपय मुस्लिम पतियों द्वारा अपनी पत्नियों से विवाह विच्छेद के लिये अपनाया जा रहा था.

इसमें कहा गया है कि इस निर्णय से कुछ मुस्लिम पुरूषों द्वारा विवाह विच्छेद की पीढ़ियों से चली आ रही स्वेच्छाचारी पद्धति से भारतीय मुस्लिम महिलाओं को स्वतंत्र करने में बढ़ावा मिला है.

यह अनुभव किया गया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश को प्रभावी करने के लिये और अवैध विवाह विच्छेद की पीड़ित महिलाओं की शिकायतों को दूर करने के लिये राज्य कार्रवाई अवश्यक है. ऐसे में तलाक ए बिद्दत के कारण असहाय विवाहित महिलाओं को लगातार उत्पीड़न से निवारण के लिये समुचित विधान जरूरी था. लिहाजा मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 को दिसंबर 2017 को लोकसभा में पुन: स्थापित किया गया और उसे पारित किया गया था.

संसद में और संसद से बाहर लंबित विधेयक के उपबंधों के विषय में चिंता व्यक्त की गई थी. इन चिंताओं को देखते हुए अगर कोई विवाहित मुस्लिम महिला या बेहद सगा (ब्लड रिलेशन) व्यक्ति तीन तलाक के संबंध में पुलिस थाने के प्रभारी को अपराध के बारे में सूचना देता है तो इस अपराध को संज्ञेय बनाने का निर्णय किया गया है. मजिस्ट्रेट की अनुमति से ऐसे निबंधनों की शर्त पर इस अपराध को गैर जमानती एवं संज्ञेय भी बनाया गया है. इसमें कहा गया कि ऐसे में जब विधेयक राज्यसभा में लंबित था और तीन तलाक द्वारा विवाह विच्छेद की प्रथा जारी थी, तब विधि में कठोर उपबंध करके ऐसी प्रथा को रोकने के लिये तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत थी. उस समय संसद के दोनों सदन सत्र में नहीं थे. ऐसे में 19 सितंबर 2018 को मुस्लिम विवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश 2018 लागू किया गया.

इससे पहले तीन तलाक़ बिल के पक्ष और विपक्ष में लोकसभा सांसदों द्वारा अपनी राय रखी गई, आइए पढ़ते हैं किसने क्या कहा- 

धर्मेंद्र यादव, समाजवादी पार्टी

चर्चा में हिस्सा लेते हुए समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने कहा कि सरकार विधेयक में तीन साल की सजा का प्रावधान वापस ले. जब उच्चतम न्यायालय ने फौरी तीन तलाक को गैर-कानूनी घोषित कर दिया है तो इसके लिए कानून लाने का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने कहा कि विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए.

रंजीत रंजन, कांग्रेस

कांग्रेस की रंजीत रंजन ने कहा कि हिंदू महिलाएं भी तलाक की शिकार होती हैं. उनके पति भी उन्हें छोड़ देते हैं. फिर आप सिर्फ मुसलमान-मुसलमान क्यों करते हैं? फोन पर, व्हाट्स एप पर तीन तलाक देना बिल्कुल गलत है. लेकिन तीन तलाक देने वाले पति को जेल भेज दिए जाने पर उसकी पत्नी का गुजारा कैसे चलेगा? उन्होंने सवाल किया कि क्या उसके संरक्षण के इंतजाम किए गए हैं? इन मामलों पर विचार के लिए विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए.

प्रेम सिंह चंदूमाजरा, रोमणि अकाली दल

शिरोमणि अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि कुछ लोगों को चिंता है कि सरकार अपने फायदे के लिए यह विधेयक लेकर आई है. अगर सरकार अच्छा काम कर रही है तो उसे फायदा होगा ही, होना ही चाहिए.

उन्होंने कहा कि तीन तलाक विधेयक का विरोध करने वालों से पूछना चाहता हूं कि वह शिकार के साथ हैं या शिकारी के साथ.

धर्मवीर गांधी, आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी के धर्मवीर गांधी ने कहा कि वह दिल से चाहते हैं कि तीन तलाक विधेयक संसद से पारित हो. लेकिन सरकार विपक्षी दलों के इन सुझावों को स्वीकार करे कि यह दंडनीय नहीं बनाया जाए, मेलमिलाप के लिए पूरा समय दिया जाए और गुजारा भत्ता सम्माननीय हो.

उन्होंने सवाल किया कि भाजपा के लोग सबरीमला के मुद्दे पर भी अपना रुख साफ करे कि महिलाओं के अधिकारों को लेकर दोहरा रवैया क्यों? एआईडीयूएफ के बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि तीन तलाक उतना बड़ा मुद्दा नहीं जितना इसे बनाया जा रहा है. हमारी महिलाओं के हजारों मसले हैं. सरकार उन्हें भी सुलझाए. हम जेल की सजा का विरोध करते हैं.

जय प्रकाश नारायण यादव, RJD

RJD के जय प्रकाश नारायण यादव ने कहा कि यह विधेयक प्रवर समिति को भेजा जाए. दीवानी मामले को आपराधिक बनाया जाना गलत है. पति को जेल भेजने पर परिवार के गुजारे का खर्च कौन देगा? उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में नहीं कहा था कि जेल भेज दिया जाए.

मोहम्मद सलीम, CPM

CPM के मोहम्मद सलीम ने कहा कि यह लैंगिक समानता का विषय है. हम समझते हैं कि आज सबसे बड़ी समस्या मुसलमानों के सुरक्षा का है. इसे आपराधिक मामला बनाया जाना ठीक नहीं है.

रवींद्र कुमार जेना, BJD

बीजू जनता दल (BJD) के रवींद्र कुमार जेना ने आरोप लगाया कि यह विधेयक एक धर्म विशेष के लोगों को निशाना बनाने के लिए लाया गया है.

उन्होंने विधेयक को संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ करार देते हुए कहा कि प्रस्तावित कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं.

जयदेव गल्ला, तेलुगू देशम पार्टी

तेलुगू देशम पार्टी के जयदेव गल्ला ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार राजनीतिक लाभ की मंशा से तीन तलाक संबंधी अध्यादेश लाई थी, लेकिन पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में उसके कोई लाभ नहीं मिला.

उन्होंने कहा कि सरकार को तीन तलाक पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की चिंता से पहले भीड़ द्वारा हत्या की घटनाओं से पीड़ित मुस्लिम पुरुषों एवं महिलाओं का ध्यान नहीं देना चाहिए.

गल्ला ने कहा कि इस विधेयक को संसदीय समिति या प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए.

अरविंद सावंत, शिवसेना

विधेयक का समर्थन करते हुए शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि इसके कानून बनने से मुस्लिम महिलाएं सबसे ज्यादा खुश होंगी.

उन्होंने कहा कि सरकार को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण, समान नागरिक संहिता लागू करने और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के लिए पहल करनी चाहिए.

जितेंद्र रेड्डी, तेलंगाना राष्ट्र समिति

तेलंगाना राष्ट्र समिति के जितेंद्र रेड्डी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इस विधेयक को लाने की मंशा और समय को लेकर बड़ा सवाल है.

उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के सशक्तीकरण के लिए जरूरी है कि सरकार उनकी शिक्षा एवं रोजगार पर ध्यान देना चाहिए. 

सुदीप बंदोपाध्याय, तृणमूल कांग्रेस

तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने के लिए लाया गया विधेयक स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन अपनी पत्नी को फौरी तीन तलाक देने के दोषी पति के लिए जेल की सजा के प्रावधान का उनकी पार्टी विरोध करती है.

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी मांग करती है कि इस विधेयक को विचार के लिए प्रवर समिति के पास भेजा जाए.

बंद्योपाध्याय ने कहा कि फौरी तीन तलाक पूरी तरह ‘पाप’ है. मुस्लिम समुदाय का बड़ा तबका इसे ‘पाप’ और ‘अस्वीकार्य’ मानता है.

तृणमूल सांसद ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को फौरी तीन तलाक से निजात दिलाने के लिए लाया गया विधेयक स्वागत योग्य है, लेकिन वह फौरी तीन तलाक देने के दोषी पति को जेल की सजा दिए जाने के प्रावधान के विरोध में हैं. उन्होंने कहा कि इस प्रावधान को खत्म किया जाना चाहिए.

मुख्तार अब्बास नकवी, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मोदी सरकार यह विधेयक किसी को निशाना बनाने के लिए नहीं बल्कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए लेकर आई है.

उन्होंने कहा कि कई पार्टियों के नेता इस बात से चिंतित हैं कि फौरी तीन तलाक देने के दोषी पति को जेल भेज दिए जाने पर उसके परिवार का क्या होगा, उसकी पत्नी का गुजारा कैसे होगा. लेकिन सवाल यह है कि कोई ऐसा जुर्म करे ही क्यों कि उसे जेल जाने की नौबत आए.

नकवी ने कहा कि जब सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को खत्म करने के प्रयास किए जा रहे थे, तो उस वक्त भी कुछ लोगों ने विरोध किया था. लेकिन इस देश और इस समाज ने सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को खत्म किया.

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विपक्ष पर निशाना साधते हुए नकवी ने कहा कि उनके नेताओं के रुख से ऐसा लग रहा है कि वे मजलूम के साथ नहीं, बल्कि मुजरिम के साथ हैं.