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हमको इस नरक से निकलना है, हम नहीं देख पाएंगे ये सब

एक घास-फूस के पुतले पर बापू की फोटो चस्पा था.. लेकिन वीडियो में भी नजर आ रहा है कि बापू ने ऐसे लोगों को कुछ भी नहीं कहा, बस मुंह मोड़ लिया है

Updated on: 31 Jan 2019, 03:37 PM

नई दिल्‍ली:

हां कैमरा रेडी है.. मैं गोली चलाने जा रही हूं, तुम फोटो लेना..शेम.. शेम.. शेम.. शेम.. शेम.. शेम.. शेम..और फिर नारे लगते हैं महात्मा नाथू राम गोडसे.. अमर रहें.. अमर रहें.. एक घास-फूस के पुतले पर बापू की फोटो चस्पा था.. लेकिन वीडियो में भी नजर आ रहा है कि बापू ने ऐसे लोगों को कुछ भी नहीं कहा, बस मुंह मोड़ लिया है, वो गोली चलाते रहे, फिर भी बापू ने उनकी तरफ एक बार भी नहीं देखा, आज मुंह पर .. हे राम नहीं.. हाय राम होगा...

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हाय राम .. ये कैसे भारत की नींव रख दी.
हाय राम.. ये कैसी नफतरें दिल में भर दीं.
हाय राम.. मैं तो राम राज्य की कल्पना करता था, ये बंदूक राज देश में कौन ले आया.

फिर एक गोली चलती है, जमीन पर लहू फैल जाता है और जोर जोर से नारे लगते हैं, अखिल भारतीय हिंदू महासभा.. जिंदाबाद ..जिंदाबाद..ये हत्यारे फिर भी नहीं रुकते हैं .. कहते हैं एक नहीं तीन गोलियां मारो.. और कातिल बेहिचक तीन गोलियां मारता है..फिर पीछे से आवाज आती है, गंदा खून था इसका...और ये लोग ठहाके लगाकर माचिस की तलाश करते हैं, माचिस मिलते ही वो बापू की फोटो को आग के हवाले कर देते हैं.

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इनका परिचय- इनका परिचय ये है कि ये सब कुछ अपना परिचय बनाने के लिए ही किया गया है, बापू की पुण्यतिथि के दिन, गांधीवादी सरकार की सरपरस्ती में, भगवा पहनकर गोली चलाने वालों .. हम जानते हैं ये हथकंडा तुमने किससे सीखा है, पहले भी गुजरात दागदार हुआ है, अब मेरा यूपी शर्मसार हुआ है.

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हिन्दू महासभा की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडे ने एक बंदूक से महात्मा गांधी के पुतले को गोली मारी, जानते हैं क्यों ? ताकि हमें याद दिलाया जा सके कि हत्यारे अभी जिंदा हैं.

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30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में बिड़ला हाउस के परिसर में महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने गोली मारी थी, अब यूपी में महात्मा गांधी की हत्या की गई है, ऐसा लगता है कि पुलिस निहत्थी और सरकार चुप है, किसी ने कह रखा है करो जो करना है, हम बैठें हैं सब देख लेंगे.

एक तरफ प्रधानमंत्री दांडी मेमोरियल को राष्ट्र के नाम समर्पित कर रहे हैं, देशवासियों से अपील कर रहे हैं कि महात्मा गांधी की याद में दो मिनट का मौन रखिए, दूसरी तरफ भगवा पहनकर अहिंसा के पुजारी पर गोली चलाई जा रही है.

साबरमती के संत की हत्या का ख्वाब पाले इन सापों को पता ही नहीं कि 5 बार महात्मा गांधी का नाम नोबेल पीस प्राइज गया है.आज महात्मा की हत्या परमात्मा ने देखी है, ये दिन देश के दामन पर कलंक है, जानते हैं क्यों ?

क्योंकि मुझे लगता है कि ये लोग शायद महात्मा गांधी के बारे में कुछ कम जानते हैं, कोई बात नहीं थोड़ा हम बता देते हैं, जो आजादी की लड़ाई थी वो असल में पढ़े-लिखे लोगों की जंग थी, बहुत कम लोग उस दौर में पढ़े लिखे थे, ये बापू ही थे, जिन्होंने इस लड़ाई को पढ़े-लिखे लोगों की लड़ाई से हटाकर आम लोगों की जंग बना दिया.

इन बातों को पढ़िए और समझने की कोशिश कीजिए कि महात्मा गांधी की सोच कैसी थी ? वो कहते थे..

  •  कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है.
  •  कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के जीने वाले हो.
  •  पहले वह आपकी उपेक्षा करेंगे, उसके बाद आप पर हसेंगे, उसके बाद आपसे लड़ाई करेंगे, उसके बाद आप जीत जायेंगे.
  •  व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं, उसके चरित्र से होती है.
  •  आजादी का कोई मतलब नहीं, अगर इसमें गलती करने की आजादी शामिल न हो.
  •  हो सकता है हम ठोकर खाकर गिर पड़ें पर हम उठ सकते हैं, लड़ाई से भागने से तो इतना ही अच्छा ही है.
  •  खुशियां तभी हैं जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हो.
  •  अपने आपको को जीवन में ढूंढ़ना है तो लोगों की मदद में खो जाओ.

आज उस पुजारी की हत्या की गई है, जिसे हम राष्ट्रपिता कहते हैं, भारत को पहला स्वच्छता का संदेश महात्मा गांधी ने ही दिया, उन्होंने ही सबसे पहले झाड़ू उठाई.महात्मा गांधी ही ये कहते थे कि सामूहिक प्रार्थना की जाए, इसकी एकजुटता में जात पात की बंदिशें टूट जाएंगी. भारत की बेरोजगार आवाम को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बापू ने ही चरखा चलाया था. श्रीराम के सबसे बड़े भक्त बापू ही थे जो भगवान महावीर के रास्ते पर भी चलते थे. शाकाहार, सादगी में जीने वाले के सीने पर ये गोली किसकी शह पर चली है, इसका जवाब देना होगा.

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जानते हैं, जिस दिन देश आजाद हुआ था, उस दिन महात्मा गांधी ने क्या किया था, वो किसी जश्न, जलसे या कार्यक्रम में नहीं गए, 15 अगस्त 1947 को बापू कलकत्ता गए, वहां दंगे हो रहे थे, पूरा शहर जल रहा था, उनकी कोशिश थी कि वहां हो रही हिंसा को रोका जाए, जो बापू की कोशिशों के बाद काफी हद तक थम गईं, ऐसे महात्मा की हत्या करोगे तो तकलीफ लाज़मी है.  और आखिरी बात नाथूराम गोडसे को महात्मा कहने वालों को संरक्षण देने वाले और भी खतरनाक हैं, इनसे सावधान रहिये.

(डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं. इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NewsState और News Nation उत्तरदायी नहीं है. इस लेख में सभी जानकारी जैसे थी वैसी ही दी गई हैं. इस लेख में दी गई कोई भी जानकारी अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NewsState और News Nation के नहीं हैं, तथा NewsState और News Nation उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.)