दुर्गा की 'अवतार' नहीं है इस देश में सुरक्षित, जिम्मेदार कौन?
आखिर क्यों दुर्गा की 'अवतार' के साथ इतना अत्याचार होता है? जिम्मेदार वो खुद हैं या फिर वो समाज जहां लड़कियों को सिर्फ जिस्म के तौर पर देखते हैं.
नई दिल्ली:
नारी तू नारायणी...तुझसे ही संसार बना...की लाइन हम दोहराते तो हैं लेकिन मानते कितना हैं? जिससे संसार की रचना की बात की जाती है उसी 'रचना' के साथ आए दिन बलात्कार होता है...हत्या होती है. दहेज के लिए जला दिया जाता है...प्यार में पड़ती हैं तो ऑनर के नाम पर मार दिया जाता है....इश्क में डूबती हैं तो धोखा मिलता है. आखिर क्यों दुर्गा की 'अवतार' के साथ इतना अत्याचार होता है? जिम्मेदार वो खुद हैं या फिर वो समाज जहां लड़कियों को सिर्फ जिस्म के तौर पर देखा जाता है?
हैदराबाद में महिला सरकारी डॉक्टर के साथ रेप होता है फिर उसे जला दिया जाता है. लड़की घर लौट रही थी रास्ते में उसकी स्कूटी पंक्चर हो गई...रात के 9 बज रहे थे...ऐसे में सड़क पर अकेली लड़की स्कूटी खिंच कर ले जा रही हो तो आदमी के अंदर बैठा हैवान का जागना तो तय है....भई, रात में सड़कों पर चलने का अधिकार तो मर्दों का होता है...लड़कियां इस नियम को कैसे तोड़ सकती है....जुर्म हुआ था उससे कि उसने अपनी बड़ी बहन को फोन करके कहा कि वहां कुछ लोग उसे घूर रहे हैं...एक ट्रक ड्राइवर तो उसकी स्कूटी बनाने का ऑफर भी दिया....लेकिन उसने मना कर दिया...फिर फोन बंद हो गया और जब घरवालों को पता चला तब तक तो बहुत देर हो चुकी थी. उसके साथ कई हैवानों ने घंटों रेप किया और फिर जब मन भर गया तो उसे जिंदा जला दिया गया.
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गलती तो उस लड़की ने की थी कि उसने घर में कॉल किया पुलिस को नहीं किया. 100 नंबर पर कॉल करना था ना.. लेकिन उसने नहीं किया. तेलंगाना के गृहमंत्री जी का यही बोलना है. लेकिन मंत्री साहब आपकी पुलिस कहा थी क्योंकि वारदात तो तोंडुपल्ली टोल प्लाजा के पास हुआ था. वहां से एक लड़की को उठाया जाता है और फिर कई घंटों तक रेप किया जाता है...पुलिस कहां सोई थी?
खैर, हैदराबाद से निकलकर रांची की तरफ चलते हैं...वो लोगों को न्याय दिलाने के लिए लॉ की पढ़ाई कर रही थी, लेकिन उसे नहीं पता था कि उसके साथ ही इतना बड़ा अन्याय हो जाएगा कि उससे उबरने में उसे ना जाने कितना वक्त लग जाएंगा. दिन मंगलवार का था 25 साल की वो संग्रामपुर गांव के बस स्टॉप पर अपने दोस्त से फोन पर बातकर रही थी, इस बात से वो पूरी तरह अंजान थी कि दरिंदों की नजर उसपर है. दो दरिंदे वहां पहुंचे और गनपॉइंट पर उसे उठाकर ले गए. फिर अपने दोस्तों को बुलाया और ईंट-भट्टे के पास जाकर उसके साथ गैंगरेप किया गया. 12 हैवानों ने मिलकर उसकी अस्मत को तार-तार कर दिया.
इसके लिए जिम्मेदार कौन लड़की की घर से निकली थी अपने सपने को पूरा करने के लिए या फिर उन हैवानों जिन्हें हमने खुलेआम छोड़ दिया है.
यहां से चलते है हरियाणा...20 साल की नैंसी मां-बाप से खिलाफत करके 21 साल के बिजनेसमैन के साथ सात फेरे लिए...क्योंकि वो इश्क में थी. वो उसके साथ जीना चाहती थी. उसे नहीं पता था कि जो कल तक उससे मोहब्बत करता था पति बनते ही हैवान बन जाएगा. शादी के 8 महीने भी नहीं गुजरे थे वो इस दुनिया से चली गई. उसे गोली मार दिया गया और वो गोली उसके पति साहिल ने मारा और शव को हरियाणा के पानीपत के झाड़ियों में फेंक दिया.
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नैंसी अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसके जन्मदाता का कहना है कि दहेज के लिए उसकी बेटी को मार दिया गया. इसके लिए जिम्मेदार कौन...नैंसी या फिर साहिल.
ये तो चंद उदाहरण है जो पिछले एक-दो दिनों में हुए हैं और खबरों की सुर्खियों में आए. लेकिन यहां हर मिनट एक दुर्गा की हत्या...बलात्कार और यौन उत्पीड़न होता है. सवाल फिर से जिम्मेदार कौन?
जिम्मेदारी मर्द के अंदर छिपे शैतान के साथ-साथ लड़कियों की भी होती है. गलती हमारी होती है क्योंकि सड़क पर निकलते वक्त हम यह भूल जाते हैं कि हमारे आसपास मर्द के रूप में शैतान मौजूद हैं जो कभी भी हमें दबोच सकते हैं. हम सतर्क नहीं होते हैं. हैदराबाद की घटना का जिक्र करें तो लड़कियों को वाकई घर कॉल करने से पहले पुलिस को कौन करना था.
वहीं जब हम इश्क में होते हैं तो इतने बेपरवाह हो जाते हैं कि हमें अपने प्रेमी के अंदर जो बुराई है वो भी नजर नहीं आती है. उसका साथ पाने के लिए हम ना सिर्फ माता-पिता की खिलाफत कर जाते हैं, बल्कि ये जानते हुए भी कि लड़के अंदर कई खामियां है हम उसके साथ चले जाते हैं. नैंसी के साथ जो हुआ वो इसी का उदाहरण है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बलात्कार के मामले 2015 की तुलना में 2016 में 12.4 फीसदी बढ़े हैं. 2016 में 38,947 बलात्कार के मामले देश में दर्ज हुए. वहीं, पिछले 3 सालों मे 24,771 महिलाओं की मौत दहेज के कारण हुई है.
लड़कियों को लेकर बढ़ते अपराध के लिए जिम्मेदारी उन माता-पिता की भी है जो लड़कियों को अंधेरा घिरने से पर घर में आने के लिए बोलते तो हैं लेकिन लड़कों को आवारागर्दी करने के लिए छोड़ देते हैं. लड़कियों के ऊपर घर की इज्जत बता कर कई तरह के दकियानुसी लबादा ओढ़ा तो दिया जाता है, लेकिन लड़कों पर कोई पाबंदी नहीं लगाई जाती है. जिस दिन माता-पिता अपने लड़कों को लड़कियों को इज्जत देना सिखा देंगे, आधा अपराध खुद ब खुद खत्म हो जाएगा.
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