अब खुश हो जाएं CAA विरोधी, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई भारत की छवि धूमिल, OHCHR ने फंसाई अपनी टांग
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के मसले पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की कमिश्नर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें बतौर एमिकस क्यूरी (अदालत के मित्र) सुनवाई में शामिल होने की मंज़ूरी दी जाए.
नई दिल्ली:
भारत सरकार के द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन कानून (CAA) ने पूरी दुनिया में चर्चा बटोरी. भारत में विपक्षी दलों ने इस कानून का विरोध कर रही हैं, तो दुनिया के कुछ देशों ने भी आपत्ति जताई है. विपक्षी के लगातार प्रदर्शन के कारण पूरी दुनिया में इस कानून को लेकर भारत की अलग ही छवि बन गई है. इसी का फायदा उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की ओर से भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इस पर भारत ने कड़ा विरोध जताया है.
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केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार जब से इस कानून को लेकर आई है तभी से विपक्ष इसके खिलाफ लामबंद हो गया है. कानून के विरोध में लगातार धरना प्रदर्शन किए जा रहे हैं. विपक्ष इस बिल को एक धर्म के खिलाफ बता रहा है. इसी का फायदा उठाकर विदेशी मुल्कों ने भी सीएए के खिलाफ बयान देने शुरु कर दिए हैं. देश में लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन के नरेन्द्र मोदी सरकार की छवि एक धर्म विरोधी बनती जा रही है. पड़ोसी देश पाकिस्तान ही नहीं चीन और तुर्की के बाद अब अमेरिका ने भी इस पर विरोध जताया है. हालांकि भारत साफ कह चुका है कि यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है कि और किसी भी देश का दखल भारत बर्दाश्त नहीं करेगा.
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विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका
इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने 150 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार भी हो गया है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त मिशेल बेचेलेत जेरिया ने सुप्रीम कोर्ट में इंटरवेंशन (हस्तक्षेप) याचिका दाखिल कर उन्हें बतौर एमिकस क्यूरी (अदालत के मित्र) बनाए जाने की मांग की है.
क्या है UNHRC
यूएनएचआरसी का पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् (United Nations Human Rights Council) है. इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में है. यूएनएचआरसी की स्थापना यूएन जनरल असेंबली द्वारा 15 मार्च 2006 में की गई थी. यूएनसीएचआर मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR - Office of the High Commissioner for Human Rights) के साथ जुड़कर काम करता है. शरणार्थियों के अधिकारों को लेकर भी ये संस्था पूरे विश्व में काम करती है. इस परिषद में 47 सदस्य होते हैं.
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ईरान के विदेश मंत्री ने भी की दिल्ली हिंसा पर टिप्पणी
दिल्ली में सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा को लेकर ईरान के विदेश मंत्री ने भी टिप्पणी की थी. उन्होंने दिल्ली में हुई हिंसा को मुस्लिमों के खिलाफ बताया था. उनके इस बयान पर भारी ने कड़ी नाराजगी जाहिर की थी. भारत ने इस मामले में ईरान के राजदूत अली चेगेनी को तलब किया और दिल्ली हिंसा के बारे में ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ द्वारा की गई टिप्पणी पर कड़ा विरोध जताया. भारत ने साफ कर दिया है यह मामला पूरी तरह से उसका आंतरिक मामला है ऐसे में ईरान इसमें दखल न दे.
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