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दिल्ली को हिंसा की आग में झोंकने वाले शाहरुख पठान और ताहिर हुसैन ने मिली-भगत से किया सरेंडर?

ताहिर और शाहरुख दोनों के ही इतनी आसानी से पुलिस और अदालत की देहरी पर पहुंच जाने से किसी के भी जेहन में तमाम सवाल कौंधना लाजिमी है यह अलग बात है कि दिल्ली पुलिस (Delhi Police) इन सवालों के जबाब देने से साफ-साफ कन्नी काट रही है.

Updated on: 05 Mar 2020, 07:43 PM

highlights

  • दोनों मोस्ट वांटेड ने पुलिस की मिली-भगत से ही सही 'सरेंडर' कर दिया है?
  • एनकाउंटर का डर खत्म होते ही शाहरुख पठान आ गया पुलिस के चंगुल में.
  • ताहिर हुसैन की भी फरारी और फिर बेगुनाही का राग छोड़ रहा सवाल.

नई दिल्ली:

उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24-25 फरवरी 2020 को भड़की हिंसा (Delhi Violence) के मुख्य आरोपी माने जाने वाले दोनों मोस्ट वांटेड ने पुलिस की मिली-भगत से ही सही 'सरेंडर' कर दिया है? मंगलवार को यूपी के शामली इलाके से शाहरुख पठान (Shahrukh Pathan) की कथित गिरफ्तारी और गुरुवार को दिल्ली की राउज एवन्यू अदालत में ताहिर हुसैन (Tahir Hussain) के सरेंडर से यह सवाल आमजन के दिल-ओ-जेहन में कौंध रहे हैं. ताहिर और शाहरुख दोनों के ही इतनी आसानी से पुलिस और अदालत की देहरी पर पहुंच जाने से किसी के भी जेहन में तमाम सवाल कौंधना लाजिमी है यह अलग बात है कि दिल्ली पुलिस (Delhi Police) इन सवालों के जबाब देने से साफ-साफ कन्नी काट रही है.

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आखिर आसानी से कैसे हाथ आ गया शाहरुख
दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के एक अधिकारी ने गुरुवार को नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, 'हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस तीसरी वाहनी के हवलदार दीपक दहिया के ऊपर बेखौफ होकर लोडिड पिस्तौल तान देने वाले शाहरुख पठान की जिस जोर-शोर से तलाश थी, उसकी गिरफ्तारी के बाद अधिकांश अफसरों का जोश (दिल्ली पुलिस महकमे में) तकरीबन गायब सा होकर रह गया. जितनी आसानी से शाहरुख दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के हाथ आ गया? वो तमाम हालात भी काफी कुछ बयान कर रहे हैं. अगर शाहरुख वाकई पुलिस को छका रहा था तो फिर, दिल्ली पुलिस ने फरारी वाले दिन ही उसकी गिरफ्तारी पर इनाम की घोषणा क्यों नहीं कर दी? जैसा कि अमूमन इस तरह की गिरफ्तारियों में दिल्ली पुलिस किया करती है.'

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एनकाउंटर के डर के चलते फरार हुआ, खत्म होते ही आया सामने
दिल्ली पुलिस के ही एसीपी स्तर के एक अन्य पुलिस अफसर की मुंहजुबानी, 'शाहरुख पठान को पुलिस ने पकड़ा नहीं बल्कि एनकाउंटर के डर के चलते वो कई दिनों तक इधर-उधर भागता फिरता रहा. उसका परिवार भी घर में ताला लगाकर भाग गया. जितने दिन शाहरुख नहीं मिला, उतने दिन तक परिवार वाले उसे (शाहरुख पठान) खुद ही सही-सलामत दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के सामने पेश करने के रास्ते/ जुगाड़ खोजते रहे. जैसे ही यह पुख्ता हो गया कि अब शाहरुख खान पुलिस मुठभेड़ में मारा नहीं जायेगा! वो दिल्ली पुलिस के पास खुद ही चलकर पहुंच गया.'

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फरारी पर ईनामी राशि की घोषणा नहीं करना भी बड़ा सवाल
इस अफसर ने भी इसकी पुष्टि की कि अगर शाहरुख पठान तक पहुंचने में दिल्ली पुलिस को मशक्कत करनी पड़ती, तो शायद उसकी गिरफ्तारी पर कम से कम एक लाख रुपये की इनामी राशि की घोषणा दिल्ली पुलिस मुख्यालय शुरुआती दौर में ही कर चुका होता. इसका मतलब साफ है कि, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से शाहरुख या उसका परिवार अथवा उसके अन्य संपर्क सूत्र किसी न किसी तरीके से लगातार दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के संपर्क में रहे होंगे!

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ताहिर के नाटकीय घटनाक्रम भी छोड़ते हैं सवाल
शाहरुख की संदिग्ध गिरफ्तारी को लेकर सवालों का सिलसिला अभी बंद नहीं हुआ. तब तक गुरुवार को हिंसा में मोस्ट-वांटेड और चार-चार एफआईआर का बोझ सिर पर कई दिनों से ढोता फिर रहा आम आदमी पार्टी निगम पार्षद ताहिर हुसैन ने दिल्ली की राउज एवन्यू कोर्ट में 'सरेंडर' कर दिया. ताहिर हुसैन के सरेंडर के बाद फिर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा (वो एसआईटी टीम जो इन दंगों में हुई हत्याओं की जांच कर रही हैं) टीमों की ओर फिर उंगलियां उठने लगीं. उंगली उठने की वजह थी कि ताहिर दिल्ली की अदालत में आखिर कैसे सरेंडर करने पहुंच गया? और दिल्ली पुलिस अपराध शाखा को भनक तक नहीं लगी. यह अलग बात है कि दिल्ली पुलिस इन सवालों के जबाब देने से साफ-साफ कन्नी काट रही है.