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भारत (India) को नहीं है साइबर हमले (Cyber Attack) की गंभीरता का अहसास, एक सफल हमला पूरे तंत्र को तहस-नहस कर देगा

कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हमला करने वाले साइबर हमलावर (Cyber Attacker) संयंत्र के कोर सिस्टम में प्रवेश नहीं कर सके, लेकिन उनकी हिमाकत ने यह बता दिया कि भारत का साइबर तंत्र (Cyber System of India) असुरक्षित है.

Updated on: 12 Nov 2019, 06:20 PM

नई दिल्‍ली:

तमिलनाडु स्थित देश के सबसे बड़े कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Kudankulam Nuclear Power Plant) पर हाल ही में हुए साइबर हमले (Cyber Attack) को देखते हुए एक बार फिर साइबर सुरक्षा का मुद्दा महत्‍वपूर्ण हो गया है. हालांकि, साइबर हमलावर (Cyber Attacker) परमाणु ऊर्जा संयंत्र के कोर सिस्टम में प्रवेश नहीं कर सके, लेकिन उनकी हिमाकत ने यह बता दिया कि भारत का साइबर तंत्र (Cyber System of India) असुरक्षित है. अब सवाल यह उठता है कि भारत दूसरे देशों की तुलना में साइबर स्पेस (Cyber Space) की सुरक्षा के मामले में कहां खड़ा है? साइबर सुरक्षा के लिए कई देशों में अलग से बजट आवंटित होता है, जबकि पिछले 5 सालों में भारत में साइबर सुरक्षा का बजट 200 डॉलर से कम रहा है.

अब भारत के इस बजट की तुलना उस देशों से करते हैं, जिनके पास मजबूत साइबर सुरक्षा प्रणालियां हैं. अमेरिका में सरकार ने यह स्पष्ट किया कि देश के उच्च डिजिटाइज्ड समाज के लिए ऑनलाइन हमला एक बड़ा खतरा है. यूएसए ने साइबर सुरक्षा के लिए 19 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं. व्हाइट हाउस के एक बयान में कहा गया है कि अपराधियों, आतंकवादियों और हमें नुकसान पहुंचाने की इच्छा रखने वालों ने महसूस किया है कि ऑनलाइन हमला करना किसी व्यक्ति पर हमला की तुलना में काफी आसान है.

संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे मजबूत साइबर सिक्योरिटी सिस्टम है

पेरिस में 2015 में आतंकवादी हमले, जिसमें 130 लोगों की जान चली गई थी, के बाद कई देशों ने अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत किया. इस हमले के बाद ब्रिटेन की सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए अपनी साइबर सुरक्षा का बजट दोगुना 2 बिलियन पाउंड ($ 2.3 बिलियन) से अधिक कर दिया था. दुनिया में सबसे मजबूत साइबर सिक्योरिटी सिस्टम संयुक्त राज्य अमेरिका और यूके के पास है.

साइबर सिक्योरिटी के लिए कोई फंड नहीं रखा गया था

जब एनडीए सरकार सत्ता में आई तो उसने 1,13,000 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की घोषणा की. कार्यक्रम के विजन डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि भारत 2019 तक एक उच्च स्तरीय डिजिटाइज्ड सोसाइटी बन जाएगा. हालांकि, साइबर सिक्योरिटी के लिए कोई फंड नहीं रखा गया था. ये विजन दस्तावेज अबतक साइबर स्पेस पर चुप है, भले ही यह डिजिटल स्पेस में भारत को विश्व का नेता बनाने की बात करता हो.

दूसरी ओर, वित्त वर्ष 2016-17 में साइबर सुरक्षा को लेकर भारत का बजट आवंटन सिर्फ $10 मिलियन (70 करोड़ रुपये) था. अगर हम संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन के साथ भारत की तुलना नहीं करते हैं तो यह बजट भारत की साइबर सुरक्षा के लिए काफी कम है. 2012-13 के बाद से पिछले पांच वित्तीय वर्षों में साइबर सुरक्षा के लिए सिर्फ 320 करोड़ रुपये (लगभग 50 मिलियन डॉलर) बजट आवंटन किया गया है. इस बजट का बड़ा हिस्सा देश में साइबर सुरक्षा के लिए जिम्मेदार संगठनों पर खर्च किया गया है.

क्या आज गंभीर ऑनलाइन हमलों से भारत बच पाएगा?

सवाल उठता है कि क्या आज गंभीर ऑनलाइन हमलों से भारत बच पाएगा, जबकि सुरक्षा के एहतियान उपाय न के बराबर हैं. ई-गवर्नेंस, ई-एजुकेशन, ई-हेल्थ जैसे सभी सरकारी कार्यक्रमों की आगे बढ़ने की गति बहुत धीमी है. सरकार डिजिटल भुगतान पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसे लोग अपना भी रहे हैं. ऐसे में यहां मजबूत साइबर सुरक्षा प्रणाली न होने से ऑनलाइन लेनदेन साइबर हमले की चपेट में आ सकता है. किसी भी माध्यम में डिजिटल भुगतान- क्रेडिट/डेबिट कार्ड, वॉलेट या ऑनलाइन बैंकिंग ऑनलाइन हमलों के जोखिम में हैं.

2013 में भारत में एक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति (NCSP) तैयार की गई थी. इस नीति में साइबर सुरक्षा, सार्वजनिक निजी साझेदारी में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना, 2018 तक 500,000 पेशेवरों का एक टास्क फोर्स बनाना और गतिशील कानूनी प्रणाली विकसित करना शामिल है. हालांकि, इनमें से ज्यादा चीजों का आजतक इम्प्लीमेंट नहीं किया गया है. ऐसा लगता है कि सरकार को इस बात का अहसास नहीं है कि साइबर हैक एक वेबसाइट को हैक करने से कहीं अधिक है और साइबर सुरक्षा वेबसाइटों के आसपास फायरवॉल स्थापित करने से परे है.

साइबर सिक्योरिटी के लिए कोई फंड नहीं रखा गया था

जब एनडीए सरकार सत्ता में आई तो उसने 1,13,000 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की घोषणा की. कार्यक्रम के विजन डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि भारत 2019 तक एक उच्च स्तरीय डिजिटाइज्ड सोसाइटी बन जाएगा. हालांकि, साइबर सिक्योरिटी के लिए कोई फंड नहीं रखा गया था. ये विजन दस्तावेज अबतक साइबर स्पेस पर चुप हैं, भले ही यह डिजिटल स्पेस में भारत को विश्व का नेता बनाने की बात करता हो.

पेरिस में आतंकवादी हमले के बाद यूके के पूर्व चांसलर जॉर्ज ओसबोर्न ने अपने भाषण में नागरिकों को सुरक्षित करने में सरकार की भूमिका का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि 'कुछ चीजें हैं जो केवल सरकारें ही कर सकती हैं. साइबर स्पेस में सिर्फ सरकार गुप्त खुफिया जानकारी एकत्र कर सकती है. सरकार का कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों और कंपनियों को अपराध से बचाए. सरकार अपनी संप्रभु क्षमता का उपयोग कर सबसे परिष्कृत खतरों से अपने लोगों का बचाव कर सकती है.

एक मजबूत साइबर सुरक्षा प्रणाली डिजिटल समाज के लिए बेहद जरूरी

सरकार को यह महसूस करना चाहिए कि एक मजबूत साइबर सुरक्षा प्रणाली डिजिटल समाज के लिए बेहद जरूरी है. अगर देश में एक मजबूत मजबूत सुरक्षा प्रणाली नहीं होगी तो कभी भी साइबर हमला हो सकता है. इस साइबर हमले से सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था को ही नहीं, बल्कि सबकुछ जैसे बिजली की आपूर्ति, हवाई यातायात नियंत्रण, परमाणु ऊर्जा स्टेशनों को भी नुकसान पहुंच सकता है. साइबर हमला सफल रहा तो इससे मानव जीवन को भी खतरा पहुंच सकता है.