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मंत्रिमंडल विस्तार से योगी ने साधा क्षेत्रीय-जातीय गणित, उपचुनाव और 2022 विस चुनाव पर नजर

इस विस्तार को जातीय-क्षेत्रीय गणित की कसौटी पर कसने से यह बात बिल्कुल साफ हो जाती है कि सीएम योगी ने इसके जरिए आसन्न उपचुनाव और 2022 के विधानसभा की जमीन तैयार करने का ही काम किया है.

Updated on: 21 Aug 2019, 05:29 PM

highlights

  • योगी मंत्रिमंडल विस्तार में उपचुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव पर नजर.
  • 23 चेहरों में 6 ब्राह्मण, 3-3 दलित और वैश्य समेत कुर्मी-जाट का रखा ध्यान.
  • बुंदेलखंड का सूखा खत्म कर पूर्वांचल और पश्चिम उप्र को अच्छा प्रतिनिधित्व.

नई दिल्ली.:

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुप्रतिक्षित मंत्रिमंडल विस्तार को अंततः बुधवार को आकार दे दिया. इस विस्तार को जातीय-क्षेत्रीय गणित की कसौटी पर कसने से यह बात बिल्कुल साफ हो जाती है कि सीएम योगी ने इसके जरिए आसन्न उपचुनाव और 2022 के विधानसभा की जमीन तैयार करने का ही काम किया है. युवाओं और नये चेहरों को तवज्जो देने का संबंध उनके आत्मविश्वास से जोड़ कर देखा जा सकता है. यह बताता है कि वह अगले विधानसभा चुनाव में भी वापसी की राह प्रशस्त करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं.

विस्तार में कुल 23 मंत्रियों ने ली शपथ
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की गंभीर हालत के मद्देनजर योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार टाल दिया था, जिसे बुधवार को अंजाम दिया गया. इसके तहत कुल 23 सदस्यों ने मंत्री पद की शपथ ली. इस मंत्रिमंडल विस्तार में 6 कैबिनेट, 6 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 11 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली. योगी सरकार में अभी तक 47 मंत्री थे. इनमें से तीन मंत्री सांसद बनकर दिल्ली चले गए. कुल मिलाकर देखें तो मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का पूरा-पूरा ध्यान रखा गया है.

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आधा दर्जन ब्राह्मण चेहरे
जातीय गणना के आधार पर देखें तो योगी मंत्रिमंडल के विस्तार में सबसे ज्यादा प्रमुखता ब्राह्मण समाज को मिली है. आधा दर्जन के लगभग ब्राह्मण चेहरों को विस्तार में जगह दी गई है. इनमें कैबिनेट मंत्री के तौर पर राम नरेश अग्निहोत्री, तो स्वतंत्र प्रभार के तौर पर नीलकंठ तिवारी और सतीश दि्वेदी को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. इसके अलावा राज्यमंत्री के तौर पर अनिल शर्मा, आनंद स्वरूप शुक्ला और चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को शामिल किया गया है.

3 दलित और 3 वैश्य भी शामिल
अन्य जातियों को भी उनके समानुपातिक प्रतिनिधित्व के लिहाज से मंत्रीमंडल विस्तार में जगह दी गई है. अगर आधा दर्जन ब्राह्मण चेहरे रखे गए, तो 3 दलित और 3 वैश्य समुदाय से मंत्री बनाए गए हैं. दलित चेहरों में कैबिनेट मंत्री के तौर पर कमल रानी वरुण को बनाया गया है. स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री के तौर पर श्रीराम चौहान को शामिल किया गया है. राज्यमंत्री के तौर पर गिराज सिंह धर्मेश को बनाया गया है. वैश्य समुदाय से स्वतंत्र प्रभार के तौर पर कपिल देव अग्रवाल और रवींद्र जायसवाल को शामिल किया गया है, तो राज्यमंत्री के तौर पर महेश गुप्ता को जगह मिली है.

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कुर्मी-जाट समुदाय से भी 2-2 मंत्री
कुर्मी समुदाय के दो मंत्री मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं. इनमें नीलिमा कटियार और रामशंकर सिंह पटेल शामिल हैं, जिन्हें राज्यमंत्री बनाया गया है. इसके अलावा जाट समुदाय से भी दो मंत्री बनाए गए हैं. भूपेंद्र सिंह चौधरी का प्रमोशन करके कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है और राज्यमंत्री के तौर पर चौधरी उदय भान सिंह को शामिल किया गया है. क्षत्रिय समुदाय से किसी नए चेहरे को शामिल नहीं किया गया है. हालांकि दो कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं. इनमें महेंद्र सिंह और सुरेश राणा का नाम शामिल हैं.

अनिल राजभर का कद बढ़ा
ओम प्रकाश राजभर के बीजेपी से अलग होने के बाद राजभर समुदाय को साधने के लिए योगी आदित्यनाथ ने अनिल राजभर का कद बढ़ा दिया है. अनिल राजभर को राज्यमंत्री से सीधे प्रमोशन कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. मल्लाह समुदाय को साधने के लिए योगी सरकार ने विजय कश्यप को राज्यमंत्री बनाया है, जबकि लोध समुदाय से लाखन सिंह राजपूत को राज्यमंत्री बनाकर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.

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बुंदेलखंड-पूर्वांचल और पश्चिम को साधा
क्षेत्रवार बात की जाए तो इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बुंदेलखंड और पूर्वांचल को पूरी तरह से साधने की कवायद की गई है. कैबिनेट मंत्री से लेकर स्वतंत्र प्रभार और राज्य मंत्रियों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अच्छी खासी जगह दी गई है. पश्चिम उप्र के मुजफ्फरनगर से कपिलदेव अग्रवाल और चरथावल से विधायक विजय कश्यप, बुलंदशहर से अनिल शर्मा, आगरा कैंट से जीएस धर्मेश और फतेहपुर सीकरी से चौधरी उदयभान सिंह, मैनपुरी से रामनरेश अग्निहोत्री को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.

वाराणसी से तीन मंत्री
इसी तरह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह की कर्मस्थली बुंदेलखंड से चित्रकूट विधायक चंद्रिका प्रसाद को भी मंत्री बनाकर वहां से सूखा समाप्त करने का प्रयास किया गया है. इसके अलावा कानपुर से नीलिमा कटियार व कमल रानी वरुण को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. बस्ती मंडल से सतीश दि्वेदी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से रवींद्र जायसवाल को मंत्री बनाया है. इस तरह देखें तो वाराणसी से योगी सरकार में तीन मंत्री हो गए हैं. इसमें शहर उत्तरी से दो बार विधायक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता रवींद्र जायसवाल राज्यमंत्री बनें, तो यहीं से राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे अनिल राजभर का प्रमोशन कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. वाराणसी के शहर दक्षिणी से विधायक और न्याय, युवा कल्याण, खेल एवं सूचना राज्य मंत्री नीलकंठ तिवारी को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शपथ दिलाई गई है.

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अगले विधानसभा चुनाव पर नजर
साफ है योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले मंत्रिमंडल विस्तार से जातीय और क्षेत्रीय गणित का पूरा-पूरा ख्याल रखा है. जाहिर है इसके जरिये वे उत्तर प्रदेश में आसन्न उपचुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव की गणित अभी से साधने की कोशिश कर रहे हैं. नए व युवा चेहरों को वरीयता देकर उन्होंने जता दिया है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति अब उन चेहरों को आगे कर की जाएगी, जो भविष्य के लिहाज से उम्मीदें जगाते हों इस तरह योगी आदित्यनाथ ने यह भी जताने का प्रयास किया है कि अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सूबे में सरकार बनाने की प्रबल दावेदारी होगी.