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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के खाते में दिया पैसा, बीजेपी के खाते में आएंगे वोट?

पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा से कुछ ही पहले गोरखपुर से अपनी सबसे बड़ी लड़ाई का आगाज़ कर दिया है.

Updated on: 26 Feb 2019, 03:21 PM

नई दिल्ली:

अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किसानों के खाते में पैसा भेज दिया. स्मार्ट फोन के जरिये एक क्लिक से पैसा सीधे किसान के ख़ाते में, कोई बिचौलिया नहीं, कोई घोटाला नहीं यही पीएम मोदी की राजनीति का मूलमंत्र भी है. पीएम मोदी ने किसानों के खाते में पैसा तो दे दिया, अब सवाल ये है कि क्या बीजेपी के खाते में वोट भी आएंगे? किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत पीएम मोदी ने ख़ास तौर पर यूपी के गोरखपुर से की क्योंकि ये सीएम योगी का क्षेत्र तो है ही, पूर्वी उत्तर प्रदेश का वो रणक्षेत्र है, जहां विपक्ष ने मोदी हटाओ अभियान के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. एसपी-बीएसपी गठबंधन सामने है तो कांग्रेस ने अपने मास्टरस्ट्रोक प्रियंका को भी पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही आजमाया है. ऐसे में किसानों के जरिये सत्ता में फिर वापसी के लिए पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा से कुछ ही पहले गोरखपुर से अपनी सबसे बड़ी लड़ाई का आगाज़ कर दिया है. उम्मीद है कि मार्च के पहले हफ्ते में लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो सकता है.

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किसानों के जरिये पीएम मोदी ने साधे एक तीर से कई निशाने

प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के खाते में सीधे 2 हज़ार रुपए की पहली किस्त ट्रांसफर की और इस किस्त के साथ ही मिशन 2019 की जीत को सुनिश्चित करने का पहला बड़ा कदम उठाया. इस एक तीर से पीएम मोदी ने कई निशाने साधने की कोशिश की है, पहला निशाना तो साफ ज़ाहिर है किसान वोट बैंक. पीएम मोदी ने ख़ास तौर पर किसानों को ये भरोसा देने की कोशिश की है कि सालाना 6 हज़ार रुपए का इंतज़ाम कोई चुनावी रेवड़ी नहीं है. पीएम ने ये भी साफ किया कि ये पूरा पैसा मोदी सरकार ही देगी, जिसे कोई वापस नहीं ले सकता. यानी किसानों को इस बात का भी अहसास कराया गया कि जो कुछ किया गया है वो पूरा का पूरा मोदी सरकार की देन है, किसी भ्रम या बहकावे में आने की ज़रूरत नहीं. दूसरा निशाना कार्यक्रम की जगह के जरिये साधा. गोरखपुर यानी सीएम योगी का गढ़, जहां से लगातार 5 बार सांसद रहे, लेकिन सीएम बनने के बाद भी विपक्षी गठबंधन ने लोकसभा उप चुनाव में यहां बीजेपी की बत्ती गुल कर दी थी. गोरखपुर पूर्वांचल का भी एक बड़ा रणक्षेत्र है, यहां से अपना एक बड़ा दांव चलकर पीएम मोदी ने पूर्वांचल में विपक्षियों की धार कुंद करने की कोशिश की है. तीसरा निशाना पीएम मोदी ने विपक्ष पर सीधे ही निशाना साध कर लगाया.

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गोरखपुर में इस कार्यक्रम के दौरान देशभर से किसान बुलाए गए थे, लेकिन कुछ राज्यों के किसानों के ना पहुंचने को भी पीएम मोदी ने विपक्ष पर हमला करने का बेहतरीन मौका बना दिया. पीएम मोदी ने कहा कि विपक्ष मुझसे दुश्मनी रखे, लेकिन किसानों का नुकसान क्यों कर रहा है, यानी पीएम मोदी ने खुद को किसानों का हितैषी और विपक्ष को किसानों का दुश्मन साबित करने की कोशिश की. चौथा निशाना पीएम मोदी ने कांग्रेस पर साधा लेकिन नाम लिए बगैर, किसानों के 6 लाख करोड़ के कर्ज़ का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि विरोधियों ने सिर्फ 52 हज़ार करोड़ की कर्ज़माफी की. पीएम मोदी यूपीए सरकार के साल 2009 में चुनाव से पहले किए किसान कर्ज़माफी के एलान की बात कर रहे थे. किसानों को दी गई रकम के साथ ही पीएम मोदी ने आरोप भी लगाया कि उस कर्ज़माफी में भी ज्यादा हिस्सा पार्टी कार्यकर्ताओं को दिया गया, जिनमें से कई कार्यकर्ता तो किसान भी नहीं थे. पांचवा निशाना पीएम मोदी ने कुछ यूं साधा कि कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों की किसान कर्ज़माफी की योजना को ही बेमानी साबित करने की कोशिश की, किसान कर्ज़माफी को पीएम मोदी ने सतही योजना बताते हुए ये दम भी भरा कि उनकी सरकार किसानों के जीवन और पीढ़ियों को सुधारने वाली दूरदर्शी योजना लाई है, यानी पीएम मोदी ने हर तरह से किसानों को लुभाने और किसानों के बहाने विपक्ष को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.

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किसानों को 6000 सालाना पर विपक्ष का निशाना

पीएम मोदी अपनी जिस डायरेक्ट कैश योजना को किसानों के लिए क्रांतिकारी बता रहे हैं, ऐतिहासिक बता रहे हैं उसे लेकर विपक्ष ने फिर पीएम मोदी पर निशाना साधा. पीएम का भाषण खत्म होते ही बीएसपी प्रमुख मायावती ने पीएम मोदी की इस योजना पर फिर सवाल उठाए. दरअसल किसानों को कैश योजना की बाज़ीगरी का आंकड़ा ये कहता है कि 6 हज़ार सालाना मतलब 500 रुपए महीना, यानी रोज़ाना 17 रुपए से भी कम, अब सवाल ये उठता है कि एक दिन में 17 रुपए किसी की ज़िंदगी कैसे बदल पाएंगे ? किसानों के मामले में अगर आदर्श स्थिति भी मान लें कि अनाज-सब्जी वो खुद उगा रहा है, जानवर पालकर दूध भी घर में ही मिल रहा है, गेंहूं पीसकर आटा बनाने का काम भी घर की चक्की में हो रहा है तब भी नमक-तेल, मिर्च-मसाला, रसोई गैस वगैरह क्या 17 रुपए में इन सबका इंतज़ाम हो जाएगा ? और ध्यान रखिये ये पूरे परिवार को मिलने वाली रकम है, एक परिवार में कम से कम 4 लोग तो होंगे ही वैसे भी किसानों का संकट फ़सल की बर्बादी, फ़सल का वाज़िब दाम ना मिलना, दाम समय पर ना मिलना है.

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ये आकलन भी आदर्श स्थिति में हुआ है, आदर्श स्थिति कितनी किसानों के पास है ये भी सब जानते हैं. ये वो सवाल है, जो अब किसानों को सोचना और समझना है, विपक्ष भी अब पीएम मोदी के इस कदम की काट ज़ोरशोर से करने की तैयारी करेगा ही. पीएम मोदी के गोरखपुर में आयोजित कार्यक्रम के खत्म होते ही किसान सम्मान योजना को बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने किसानों का अपमान बता दिया, यानी विपक्ष ने अपने एजेंडे पर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है.

किसानों को कैश की ऐतिहासिक योजना कितनी क्रांतिकारी?

पीएम मोदी को किसानों की असल ताकत का अहसास मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवाने के बाद ही हुआ. लिहाज़ा विधानसभा चुनावों के बाद और लोकसभा चुनाव से ऐन पहले अपने आखिरी बजट में पीएम मोदी ने किसानों को डायरेक्ट कैश का एलान कर मास्टरकार्ड चलने की कोशिश की. गोरखपुर से योजना का आगाज़ कर उस पर अमल भी शुरू कर दिया ताकि विपक्ष या किसान ये इल्ज़ाम ना लगा सकें कि ये सिर्फ चुनाव वादा है, लेकिन असल में किसानों को सीधे नगद रकम मुहैया कराने की योजना कई राज्यों में पहले से ही चल रही है. कई राज्यों में तो रकम भी काफी ज्यादा है, तेलंगाना की केसीआर सरकार किसानों को 'रायतु बंधू योजना' के तहत सालाना 8 हजार रुपये दे रही है. ओडिशा में पटनायक सरकार भी किसानों को 10 हजार सालाना दे रही, पश्चिम बंगाल में ममता सरकार ने भी किसानों को 5 हजार देने की घोषणा कर रखी है. यहां तक कि बीजेपी की सत्ता वाली झारखंड की रघुवर दास सरकार भी पिछले साल से किसानों को 5000 रुपये सालाना दे रही है.

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17 रुपए रोज़ाना किसानों का सम्मान या अपमान?

विपक्ष के पास काट अब इसी बात पर है कि 17 रुपए रोज़ाना से किसानों का क्या भला होने वाला है. अन्नदाता की परेशानियों को कितना दूर कर पाएगा 17 रुपए रोज़ाना का ख़ज़ाना, हालांकि विपक्ष के पास किसानों के लिए कर्जमाफी से ज्यादा कोई सोच और योजना अबतक सामने नहीं आई है. चाहे केंद्र की कांग्रेस सरकार हो या फिर यूपी में पिछली सरकारें, मुफ्त-मुफ्त के शोर से ज्यादा अबतक कुछ सुनाई नहीं दिया. हिंदी बेल्ट के तीन राज्यों में जीत हासिल करने वाली कांग्रेस ने भी किसानों को फिलहाल कर्ज़माफी का ही तोहफा दिया है उससे ज्यादा कुछ नहीं. प्रियंका गांधी वाड्रा भी किसानों के साथ ही यूपी के बुंदेलखंड को लेकर भी चिंतित हैं, लेकिन उस चिंता को अमली जामा किस तरह पहनाएंगी इसकी कोई रूप-रेखा अबतक सामने नहीं आई है. ऐसे में पीएम मोदी ने किसानों को लेकर कई ऐसी योजनाएं सामने रखी हैं, जिनसे किसानों में उम्मीद तो जगी है. किसानों को लेकर मचा ये सियासी घमासान चुनावी घमासान के साथ ही और तेज़ हो सकता है, पीएम मोदी तो अपना दांव चल चुके हैं अब बारी विपक्ष की है.